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ओरण बचाने के लिए 60 किलोमीटर की पदयात्रा, बोले- पर्यावरण को बचाने लिए जंगलों का होना जरूरी - Walk For Oran land

जैसलमेर में ओरण क्षेत्र को रेवेन्यू रिकॉर्ड में दर्ज करवाने की मांग को लेकर जिले की ओरण टीम पदयात्रा कर जैसलमेर जिला मुख्यालय पहुंची. इस दौरान 60 किलोमीटर का सफर ग्रामीणों ने पैदल तय किया.

ओरण बचाने के लिए 60 किलोमीटर की पदयात्रा
ओरण टीम ने की 60 किलोमीटर की पदयात्रा (ETV Bharat Jaisalmer)
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By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : Jul 29, 2024, 5:31 PM IST

ओरण क्षेत्र को रेवेन्यू रिकॉर्ड में दर्ज करवाने की मांग (ETV Bharat Jaisalmer)

जैसलमेर : पशुपालन पर आधारित जैसलमेर जिले के विभिन्न ओरण (चारागाह) क्षेत्र को रेवेन्यू रिकॉर्ड में दर्ज करवाने की मांग को लेकर जिले की ओरण टीम पदयात्रा कर जैसलमेर जिला मुख्यालय पहुंची. ये ओरण यात्रा देगराय ओरण से रवाना होकर देवीकोट, छोड़, सांगाणा, आकल फांटा, डाबला से होते जैसलमेर पहुंची. इस दौरान 60 किलोमीटर का सफर ग्रामीणों ने पैदल तय किया. वहीं, इस दौरान यात्रा के बीच में आने वाले गांवों के ग्रामीणों को भी ओरण को लेकर जागरूक करने का काम किया गया. यात्रा जैसलमेर विधायक छोटूसिंह भाटी के घर पहुंची, जहां विधायक को ओरण क्षेत्र को रेवेन्यू रिकॉर्ड में दर्ज करवाने की मांग को लेकर ज्ञापन सौंपा गया.

ओरण टीम के सदस्य और पदयात्री सुमेर सिंह सांवता ने बताया कि जिले में ओरण बचाने के लिए टीम लगातार पद यात्रा करके सरकार को जगाने का काम कर रही है. एक बार फिर ओरण को बचाने के लिए पदयात्रा की जा रही है. इस बीच पदयात्रियों ने जिला कलेक्टर से मुलाकात कर जैसलमेर जिले के विभिन्न ओरणों के महत्व के बारे में बताया. प्रतिनिधिमंडल ने कहा कि ओरण क्षेत्रों में पशुपालक गायों, भेड़ों व बकरियों को सदियों से चराते आए हैं, लेकिन पिछले कुछ सालों से इन प्राचीन पारंपरिक चारागाहों को विभिन्न ऊर्जा कंपनियों को आवंटित करने से चारागाहों पर संकट मंडारा गया है, जिससे इन ओरण में घास की कमी भी दिखने लगी है.

इसे भी पढ़ें- जैसलमेर : देगराय ओरण में NGT के आदेशों की अवमानना, रोक के बावजूद हो रहे कार्य

जमीन निजी कंपनियों को अलॉट नहीं होने देंगे : सुमेर सिंह सांवता ने बताया कि ओरण में विचरण करने वाले वन्यजीवों को भोजन-पानी की तलाश में ओरणों से खेतों की तरफ जाना पड़ता है. इस कारण वे विभिन्न हादसों में मारे भी जा रहे हैं. उन्होंने जिले की प्राचीन ओरण के जमीनी खसरों को जल्द से जल्द राजस्व रिकॉर्ड में गैर मुमकिन ओरण के रूप में दर्ज करवाने की मांग की है. ग्रामीणों ने कहा कि ओरण को राजस्व रिकार्ड में दर्ज करने के लिए हमें जो भी आवश्यक कदम उठाने पड़ेंगे वो उठाएंगे, लेकिन हमारे पूर्वजों की इस धरोहर को निजी कंपनियों को अलॉट नहीं होने देंगे.

ओरण क्षेत्र को रेवेन्यू रिकॉर्ड में दर्ज करवाने की मांग (ETV Bharat Jaisalmer)

जैसलमेर : पशुपालन पर आधारित जैसलमेर जिले के विभिन्न ओरण (चारागाह) क्षेत्र को रेवेन्यू रिकॉर्ड में दर्ज करवाने की मांग को लेकर जिले की ओरण टीम पदयात्रा कर जैसलमेर जिला मुख्यालय पहुंची. ये ओरण यात्रा देगराय ओरण से रवाना होकर देवीकोट, छोड़, सांगाणा, आकल फांटा, डाबला से होते जैसलमेर पहुंची. इस दौरान 60 किलोमीटर का सफर ग्रामीणों ने पैदल तय किया. वहीं, इस दौरान यात्रा के बीच में आने वाले गांवों के ग्रामीणों को भी ओरण को लेकर जागरूक करने का काम किया गया. यात्रा जैसलमेर विधायक छोटूसिंह भाटी के घर पहुंची, जहां विधायक को ओरण क्षेत्र को रेवेन्यू रिकॉर्ड में दर्ज करवाने की मांग को लेकर ज्ञापन सौंपा गया.

ओरण टीम के सदस्य और पदयात्री सुमेर सिंह सांवता ने बताया कि जिले में ओरण बचाने के लिए टीम लगातार पद यात्रा करके सरकार को जगाने का काम कर रही है. एक बार फिर ओरण को बचाने के लिए पदयात्रा की जा रही है. इस बीच पदयात्रियों ने जिला कलेक्टर से मुलाकात कर जैसलमेर जिले के विभिन्न ओरणों के महत्व के बारे में बताया. प्रतिनिधिमंडल ने कहा कि ओरण क्षेत्रों में पशुपालक गायों, भेड़ों व बकरियों को सदियों से चराते आए हैं, लेकिन पिछले कुछ सालों से इन प्राचीन पारंपरिक चारागाहों को विभिन्न ऊर्जा कंपनियों को आवंटित करने से चारागाहों पर संकट मंडारा गया है, जिससे इन ओरण में घास की कमी भी दिखने लगी है.

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जमीन निजी कंपनियों को अलॉट नहीं होने देंगे : सुमेर सिंह सांवता ने बताया कि ओरण में विचरण करने वाले वन्यजीवों को भोजन-पानी की तलाश में ओरणों से खेतों की तरफ जाना पड़ता है. इस कारण वे विभिन्न हादसों में मारे भी जा रहे हैं. उन्होंने जिले की प्राचीन ओरण के जमीनी खसरों को जल्द से जल्द राजस्व रिकॉर्ड में गैर मुमकिन ओरण के रूप में दर्ज करवाने की मांग की है. ग्रामीणों ने कहा कि ओरण को राजस्व रिकार्ड में दर्ज करने के लिए हमें जो भी आवश्यक कदम उठाने पड़ेंगे वो उठाएंगे, लेकिन हमारे पूर्वजों की इस धरोहर को निजी कंपनियों को अलॉट नहीं होने देंगे.

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