नई दिल्ली: दिल्ली हाईकोर्ट ने आयुष्मान भारत योजना में आयुर्वेद, योग और नैचुरोपैथी को शामिल करने की मांग करने वाली याचिका खारिज कर दिया है. कार्यकारी चीफ जस्टिस मनमोहन की अध्यक्षता वाली बेंच ने याचिका खारिज करने का आदेश दिया. सोमवार को जब इस मामले की सुनवाई की बारी आई तो याचिकाकर्ता की ओर से कोई पेश नहीं हुआ. बाद में जब दोबारा इस मामले की सुनवाई शुरू हुई उस समय भी याचिकाकर्ता की ओर से कोई पेश नहीं हुआ. इसके बाद कोर्ट ने याचिका खारिज करने का आदेश दिया.
हाईकोर्ट ने 2 नवंबर 2023 को केंद्र और दिल्ली सरकार को नोटिस जारी किया था. याचिका बीजेपी नेता और वकील अश्विनी उपाध्याय ने दायर किया था. आयुष्मान भारत योजना की शुरुआत 2018 में हुई थी. इस योजना के तहत आर्थिक रूप से पिछड़े और गरीबी रेखा से नीचे के लोगों को स्वास्थ्य सुविधाएं उपलब्ध कराना है. याचिका में कहा गया था कि आयुष्मान भारत योजना को दो हिस्से में बांटा गया है. पहला हिस्सा प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना और दूसरा हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर हैं. प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना के तहत एक परिवार को पांच लाख रुपए की स्वास्थ्य सुविधाएं मिल सकती है.
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याचिका में कहा गया था कि प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना के तहत केवल एलोपैथिक अस्पतालों और डिस्पेंसरी को ही कवर किया जाता है जबकि देसी चिकित्सा पद्धति जैसे आयुर्वेद, योग, नैचुरोपैथी, सिद्ध इत्यादि को कवर नहीं किया गया है. देसी चिकित्सा पद्धति का इस योजना के तहत इस्तेमाल नहीं करना देशी चिकित्सा पद्धति के डॉक्टरों के मौलिक अधिकारों का उल्लंघन है.