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कॉर्बेट 'पाखरो' विवाद के बीच ढेला रेंज में टाइगर सफारी खोलने की उठी मांग, नया टाइगर कंजर्वेशन प्लान हो रहा तैयार - Corbett Pakhro Tiger Reserve

Tiger Conservation Plan, Demand to Open Tiger Safari in Dhela Range रामनगर में कॉर्बेट के ढेला रेंज स्थित रेस्क्यू सेंटर में टाइगर सफारी खोले जाने की मांग उठाई गई है. स्थानीय व्यापारियों का कहना है कि वहां पेड़ काटने की जरूरत नहीं पड़ेगी, क्योंकि उस क्षेत्र में पर्याप्त मात्रा में पार्क के पास खाली जमीन है. इससे पहले आज सुप्रीम कोर्ट ने कॉर्बेट के पाखरों में हुए अवैध निर्माण और पेड़ों के अवैध कटान मामले पर तत्कालीन वन मंत्री हरक सिंह रावत और तत्कालीन डीएफओ किशन चंद पर तीखी टिप्पणी की.

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By ETV Bharat Uttarakhand Team

Published : Mar 6, 2024, 6:58 PM IST

Updated : Mar 6, 2024, 9:56 PM IST

कॉर्बेट 'पाखरो' विवाद के बीच ढेला रेंज में टाइगर सफारी खोलने की उठी मांग

रामनगर: विश्व प्रसिद्ध कॉर्बेट नेशनल पार्क के पाखरो रेंज में अवैध निर्माण और पेड़ों के अवैध कटान मामले की सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने सख्त टिप्पणी की. सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने कॉर्बेट टाइगर रिजर्व में अवैध निर्माण के लिए पूर्व वन मंत्री हरक सिंह रावत व तत्कालीन डीएफओ किशन चंद को फटकार लगाई है. इसके साथ ही पार्क के अंदर जानवरों के बाड़े बनाने के उत्तराखंड सरकार के प्रस्ताव पर सुप्रीम कोर्ट ने एक समिति गठित करने का निर्देश दिया. ये समिति विचार करेगी कि क्या बफर या फ्रिंज क्षेत्रों में टाइगर सफारी की इजाजत दी जानी चाहिए या नहीं, और यदि अनुमति दी जाती है तो फिर इसके लिए क्या दिशा निर्देश दिए जाने चाहिए.

सेंट्रल एम्पॉवर्ड कमेटी (CEC) की रिपोर्ट के आधार पर कोर्ट ने टिप्पणी करते हुए कहा कि, जांच के आधार पर साफ है कि पूर्व वन मंत्री और पूर्व डीएफओ स्वयं को ही कानून मानते थे. कानून और व्यावसायिक उद्देश्यों को नजरअंदाज करते हुए उन्होंने पर्यटन को बढ़ावा देने के बहाने इमारतें बनाने के लिए बड़े पैमाने पर पेड़ों की अवैध कटाई की. कोर्ट ने इस मामले को एक क्लासिक केस बताया जो दिखाता है कि नेताओं और नौकरशाहों ने 'पब्लिक ट्रस्ट डॉक्ट्रिन को कूड़ेदान में फेंक दिया.'

ढेला रेंज में टाइगर सफारी खोलने की उठी मांग: इसी बीच कारोबारियों ने कॉर्बेट के ढेला रेंज स्थित रेस्क्यू सेंटर में टाइगर सफारी खोले जाने की मांग उठाई हैं. कॉर्बेट पार्क में टाइगर सफारी की मांग कर रहे भाजपा नगर मंडल अध्यक्ष मदन जोशी ने कहा कि टाइगर सफारी को कॉर्बेट पार्क के ढेला रेंज स्थित रेस्क्यू सेंटर में खोला जाना चाहिए. वहां पेड़ काटने की जरूरत नहीं पड़ेगी, क्योंकि उस क्षेत्र में पर्याप्त मात्रा में पार्क के पास खाली जमीन है. वहीं, कॉर्बेट टाइगर रिजर्व के निदेशक डॉ. धीरज पांडे ने कहा कि, नया टाइगर कंजर्वेशन प्लान हम लोग तैयार कर रहे हैं. जिसमें इन सभी पहलुओं का हम अध्ययन करेंगे और इसका समावेश इन टाइगर कंजर्वेशन प्लान में जरूर किया जाएगा.

गौरव बंसल ने 2021 में दिल्ली HC में याचिका की थी दाखिल: बता दें कि, कॉर्बेट टाइगर रिजर्व के पाखरो सफारी मामले में सबसे पहले गौरव बंसल ने अगस्त 2021 में दिल्ली हाईकोर्ट में याचिका डाली थी. इसके बाद गौरव बंसल ने ही सुप्रीम कोर्ट में 2023 में इस मामले को उठाया. सुप्रीम कोर्ट ने प्रकरण को लेकर सेंट्रल एम्पॉवर्ड कमेटी (CEC) गठित कर रिपोर्ट देने के लिए कहा था. इसके बाद CEC ने भी 2023 में इस जांच से जुड़े दस्तावेज सुप्रीम कोर्ट में सबमिट कर दिए थे.

CEC ने हरक सिंह रावत को बताया था जिम्मेदार: CEC की रिपोर्ट में बताया गया था कि कॉर्बेट फाउंडेशन के करीब ₹200 करोड़ के बजट का भी इस्तेमाल किया गया है. अपनी इस जांच रिपोर्ट में CEC ने तत्कालीन वन मंत्री हरक सिंह रावत को जिम्मेदार बताया था. इन जांच रिपोर्ट्स के बाद डीएफओ किशन चंद, चीफ वाइल्ड लाइफ वार्डन जेएस सुहाग और कॉर्बेट में तैनात रेंजर बृज बिहारी को उत्तराखंड वन विभाग ने निलंबित किया गया. इसके साथ ही तत्कालीन पीसीसीएफ हॉफ रहे राजीव भरतरी को भी उनके पद से हटाया गया था.

ये भी पढ़ें-

  1. कॉर्बेट रिजर्व अवैध निर्माण: SC की हरक-किशन चंद को फटकार, 'खुद को ही कानून मान बैठे, पब्लिक ट्रस्ट डॉक्ट्रिन को कूड़ेदान में फेंका'
  2. ED की चिट्ठी पर वन मंत्री सुबोध उनियाल बोले- कानून के हाथ लंबे, कोई नहीं बचेगा, जानिए पूरा मामला

कॉर्बेट 'पाखरो' विवाद के बीच ढेला रेंज में टाइगर सफारी खोलने की उठी मांग

रामनगर: विश्व प्रसिद्ध कॉर्बेट नेशनल पार्क के पाखरो रेंज में अवैध निर्माण और पेड़ों के अवैध कटान मामले की सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने सख्त टिप्पणी की. सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने कॉर्बेट टाइगर रिजर्व में अवैध निर्माण के लिए पूर्व वन मंत्री हरक सिंह रावत व तत्कालीन डीएफओ किशन चंद को फटकार लगाई है. इसके साथ ही पार्क के अंदर जानवरों के बाड़े बनाने के उत्तराखंड सरकार के प्रस्ताव पर सुप्रीम कोर्ट ने एक समिति गठित करने का निर्देश दिया. ये समिति विचार करेगी कि क्या बफर या फ्रिंज क्षेत्रों में टाइगर सफारी की इजाजत दी जानी चाहिए या नहीं, और यदि अनुमति दी जाती है तो फिर इसके लिए क्या दिशा निर्देश दिए जाने चाहिए.

सेंट्रल एम्पॉवर्ड कमेटी (CEC) की रिपोर्ट के आधार पर कोर्ट ने टिप्पणी करते हुए कहा कि, जांच के आधार पर साफ है कि पूर्व वन मंत्री और पूर्व डीएफओ स्वयं को ही कानून मानते थे. कानून और व्यावसायिक उद्देश्यों को नजरअंदाज करते हुए उन्होंने पर्यटन को बढ़ावा देने के बहाने इमारतें बनाने के लिए बड़े पैमाने पर पेड़ों की अवैध कटाई की. कोर्ट ने इस मामले को एक क्लासिक केस बताया जो दिखाता है कि नेताओं और नौकरशाहों ने 'पब्लिक ट्रस्ट डॉक्ट्रिन को कूड़ेदान में फेंक दिया.'

ढेला रेंज में टाइगर सफारी खोलने की उठी मांग: इसी बीच कारोबारियों ने कॉर्बेट के ढेला रेंज स्थित रेस्क्यू सेंटर में टाइगर सफारी खोले जाने की मांग उठाई हैं. कॉर्बेट पार्क में टाइगर सफारी की मांग कर रहे भाजपा नगर मंडल अध्यक्ष मदन जोशी ने कहा कि टाइगर सफारी को कॉर्बेट पार्क के ढेला रेंज स्थित रेस्क्यू सेंटर में खोला जाना चाहिए. वहां पेड़ काटने की जरूरत नहीं पड़ेगी, क्योंकि उस क्षेत्र में पर्याप्त मात्रा में पार्क के पास खाली जमीन है. वहीं, कॉर्बेट टाइगर रिजर्व के निदेशक डॉ. धीरज पांडे ने कहा कि, नया टाइगर कंजर्वेशन प्लान हम लोग तैयार कर रहे हैं. जिसमें इन सभी पहलुओं का हम अध्ययन करेंगे और इसका समावेश इन टाइगर कंजर्वेशन प्लान में जरूर किया जाएगा.

गौरव बंसल ने 2021 में दिल्ली HC में याचिका की थी दाखिल: बता दें कि, कॉर्बेट टाइगर रिजर्व के पाखरो सफारी मामले में सबसे पहले गौरव बंसल ने अगस्त 2021 में दिल्ली हाईकोर्ट में याचिका डाली थी. इसके बाद गौरव बंसल ने ही सुप्रीम कोर्ट में 2023 में इस मामले को उठाया. सुप्रीम कोर्ट ने प्रकरण को लेकर सेंट्रल एम्पॉवर्ड कमेटी (CEC) गठित कर रिपोर्ट देने के लिए कहा था. इसके बाद CEC ने भी 2023 में इस जांच से जुड़े दस्तावेज सुप्रीम कोर्ट में सबमिट कर दिए थे.

CEC ने हरक सिंह रावत को बताया था जिम्मेदार: CEC की रिपोर्ट में बताया गया था कि कॉर्बेट फाउंडेशन के करीब ₹200 करोड़ के बजट का भी इस्तेमाल किया गया है. अपनी इस जांच रिपोर्ट में CEC ने तत्कालीन वन मंत्री हरक सिंह रावत को जिम्मेदार बताया था. इन जांच रिपोर्ट्स के बाद डीएफओ किशन चंद, चीफ वाइल्ड लाइफ वार्डन जेएस सुहाग और कॉर्बेट में तैनात रेंजर बृज बिहारी को उत्तराखंड वन विभाग ने निलंबित किया गया. इसके साथ ही तत्कालीन पीसीसीएफ हॉफ रहे राजीव भरतरी को भी उनके पद से हटाया गया था.

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Last Updated : Mar 6, 2024, 9:56 PM IST
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