लखनऊः केंद्र सरकार में लैटरल एंट्री के विज्ञापन निरस्त होने के बाद बिजली निगमों में दलित व पिछड़े वर्ग के अभियंताओं ने हुंकार भरी है. उत्तर प्रदेश पावर ऑफिसर एसोसिएशन ने बिजली कंपनियों में 17 रिक्त निदेशकों के पदों के विज्ञापन को निरस्त करने की मांग की है. कहा है कि पहले दलित और पिछड़े वर्गों के लिए आरक्षण की व्यवस्था लागू की जाए. इसके बाद विज्ञापन निकालकर भर्ती हो, जिससे उनका हक सुरक्षित रहे. इसके ही निदेशकों के पदों की अधिकतम आयु सीमा 65 वर्ष को खारिज किया जाए.
उत्तर प्रदेश पावर ऑफिसर एसोसिएशन ने उत्तर प्रदेश सरकार से मांग की है कि वर्तमान में उत्तर प्रदेश में ऊर्जा क्षेत्र में पावर कॉरपोरेशन उत्पादन निगम, ट्रांसमिशन, मध्यांचल, पूर्वांचल, पश्चिमांचल, दक्षिणांचल, यूपीएसएलडीसी, केस्को और जलविद्युत निगम उत्तर प्रदेश रिन्यूएबल एवं ईवी इंफ्रास्ट्रक्चर लिमिटेड सहित कुल 11 बिजली कंपनियां हैं. इनमें कुल 40 निदेशकों के पद हैं. वर्तमान में लगभग 17 पद खाली हैं. वर्तमान में पिछड़े वर्ग का कोई भी निदेशक नहीं है. 12 साल बाद एक दलित वर्ग का निदेशक मध्यांचल में कार्यरत है. ऐसे में वर्तमान में जो निदेशकों के रिक्त पदों की भर्ती प्रक्रिया चालू की गई हैस उसे तत्काल निरस्त किया जाए. नए सिरे से दलित एवं पिछड़े वर्गों के लिए आरक्षण की व्यवस्था लागू करके फिर से विज्ञापन निकाला जाए. इससे दलित व पिछड़े वर्ग के अभियंता अधिकारियों का भी हक सुरक्षित बना रह सकेगा.
उत्तर प्रदेश पावर ऑफिसर एसोसिएशन के कार्यवाहक अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा, उपाध्यक्ष पीएम प्रभाकर, महासचिव अनिल कुमार, सचिव आरपी केन ने कहा कि उत्तर प्रदेश में 17 निदेशकों के पदों पर भर्ती प्रक्रिया को निरस्त किया जाए. काफी लंबे समय से दलित अभियंता पूर्व सरकार में रिवर्ट होने के बाद बिना आरक्षण के मुख्य अभियंता बनने की लाइन में आए हैं. अब समय आ गया है, जब उनका हक भी उन्हें दिया जाए. जिस प्रकार से निदेशकों के पदों पर अधिकतम आयु सीमा 65 वर्ष की गई है, उसकी भी जांच की जानी चाहिए. अचानक अधिकतम आयु सीमा 65 वर्ष क्यों की गई? इसके पीछे भी किसकी मंशा क्या थी ये जांच होने के बाद ही पता चलेगा.
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