जयपुर. राजस्थान में कई हजार फैक्ट्रियां और कारखाने हैं, जिनके पास अब तक फायर एनओसी नहीं है. अकेले राजधानी और उसके आसपास करीब 5000 फैक्ट्रियां हैं, जिनमें 10 प्रतिशत के पास ही फायर एनओसी है. आपको जानकर हैरानी होगी कि राजस्थान ऐसा स्टेट है जहां फायर एक्ट लागू नहीं और ना ही कोई अलग निदेशालय है. जबकि पड़ोसी राज्य दिल्ली, गुजरात, मध्य प्रदेश और हरियाणा में फायर एक्ट बना हुआ है. यही वजह है कि अब आगजनी की घटनाओं पर नकेल करने और फायरफाइटर्स के लिए मानक निर्धारित करने की मांग उठ रही है. हाल ही में हेरिटेज नगर निगम के सीएफओ देवेंद्र मीणा ने फायरफाइटर की चुनौतियों का जिक्र करते हुए प्रदेश में फायर एक्ट और सर्विस रूल्स बनाने के संबंध में अपनी बात रखी.
उधर, ग्रेटर नगर निगम की फायर समिति के अध्यक्ष पारस जैन ने फायर एक्ट लागू करने पर गंभीरता दिखाई है. उन्होंने कहा कि पिछली सरकार के सामने काफी मांगे रखी थी, लेकिन कोई सुनने वाला नहीं था. सरकार की काम करने की बिल्कुल मंशा नहीं थी, लेकिन अब फायर एक्ट को लेकर मंथन किया जा रहा है. ये एक्ट न सिर्फ कार्मिकों के लिए उपयोगी साबित होगा, बल्कि आमजन और व्यापारियों के लिए भी उपयोगी साबित होगा.
फायर सेफ्टी एक्ट लागू होने के बाद फायर एनओसी मैंडेटरी होगी और जिस तरह से आए दिन आगजनी की घटनाएं होती हैं, उस पर अंकुश लगेगा. उन्होंने कहा कि जैसे ही आचार संहिता पूरी होगी, इस पर काम शुरू करेंगे और सरकार से योजना बनाकर फायर एक्ट को लागू कराने का भरपूर प्रयास करेंगे. उन्होंने बताया कि फायर एनओसी लेने की व्यवस्था में काफी हद तक सुधार किया गया है. अब फायर एनओसी मैन्युअल नहीं, बल्कि ऑनलाइन दी जा रही है. इसमें फाइल को आसानी से ट्रैक भी किया जा सकता है और पूरी पारदर्शिता के साथ फायर एनओसी देने का काम किया जा रहा है.
उन्होंने स्पष्ट किया कि फिलहाल फायर एनओसी उच्च प्रतिष्ठान, फैक्ट्री, बड़ी-बड़ी बिल्डिंग, हॉस्पिटल, सरकारी इमारतों के लिए मैंडेटरी है. फायर एक्ट बनने के बाद एक शॉप को भीबफायर एनओसी लेनी पड़ेगी. हालांकि, इसमें उन्हें कोई दुविधा नहीं आने दी जाएगी. नियमों में और सलीकरण किया जाएगा.
आपको बता दें कि यदि शॉर्ट सर्किट वाले स्थान के आसपास फायर सेफ्टी बॉल या एक्सटिंग्विशर लगे होंगे तो आग पर समय रहते काबू पा लिया जाएगा, जिससे कोई बड़ी हानि नहीं होगी. फायर एक्ट में इस तरह के सभी प्रावधान शामिल होंगे.