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बादल फटने से आई आपदा के बाद से डरे सहमे हैं पौड़ी में चौथान पट्टी के लोग, सुरक्षित स्थान पर विस्थापन की मांग - Chauthan Patti cloud burst

People of Chauthan Patti of Pauri district demanded displacement पिछले महीने 31 जुलाई को पौड़ी जिले के थलीसैंण क्षेत्र की चौथान पट्टी में बादल फटने से भयानक तबाही हुई थी. तब से इलाके के लोग डर से साये में जी रहे हैं. उनकी मांग है उन्हें सुरक्षित स्थान पर विस्थापित किया जाए. क्षेत्रीय विधायक और कैबिनेट मंत्री धन सिंह रावत खुद आपदाग्रस्त इलाके का मुआयना कर चुके हैं. अब लोग इंतजार कर रहे हैं कि कब उन्हें सुरक्षित स्थान पर विस्थापित किया जाता है. Pauri natural disaster, Chautha Patti villagers troubled

CHAUTHAN PATTI CLOUD BURST
पौड़ी आपदा समाचार (Photo- ETV Bharat)
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By ETV Bharat Uttarakhand Team

Published : Aug 22, 2024, 8:51 AM IST

Updated : Aug 22, 2024, 11:44 AM IST

चौथान पट्टी के लोगों का दर्द (Video- ETV Bharat)

पौड़ी: जिले में मानसून सीजन आपदा प्रभावित गांवों के ग्रामीणों को डरा रहा है. यहां ग्रामीणों को डर है कि एक बार फिर उनके क्षेत्र में आपदा आई, तो इस बार कहीं कोई बड़ी घटना उनके साथ न घट जाए. लिहाजा ग्रामीण शासन प्रशासन से विस्थापन की मांग उठा रहे हैं. क्या है पूरा मामला इस खास रिपोर्ट में जानिए.

People of Chauthan Patti
बादल फटने के बाद से डर के साये में जी रहे लोग (Photo- ETV Bharat)

डर के साये में जी रहे चौथान पट्टी के लोग: पौड़ी जिले के थलीसैंण क्षेत्र की चौथान पट्टी में बीते 31 जुलाई को बादल फटने की घटना और अब तक गांव के हालात ने ग्रामीणों को इस कदर डरा दिया है कि ग्रामीण शासन प्रशासन से उन्हें सुरक्षित स्थान पर विस्थापित करने की मांग करने लगे हैं. यहां जैंती डांग, जैंती चक्र, मगरौं समेत कई गांव में बादल फटने की घटना से काफी नुकसान हुआ है.

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अपना क्षतिग्रस्त घर दिखाती वृद्धा (Photo- ETV Bharat)

चौथान क्षेत्र में हालात ये हैं कि मुख्यालय से इस क्षेत्र को जोड़ने वाला स्टेट हाईवे आपदा में वॉश आउट हो चुका है. इससे क्षेत्रवासियों का संपर्क पूरी तरह से जिला मुख्यालय पौड़ी से कट चुका है. वहीं नदी द्वारा किए गए भू कटाव के कारण बह चुका स्टेट हाईवे और अन्य सड़कों का पुनर्निर्माण अब तक नहीं हो पाया.

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आपदा के निशान (Photo- ETV Bharat)

31 जुलाई को बादल फटने से आई आपदा: गांव के कच्ची सड़क, पैदल मार्ग, पैदल पुलिया आपदा से क्षतिग्रस्त हो चुकी हैं. आपदा के कारण गांव में रह रहे कई लोगों के घरों में मलबे का ढेर अब भी जमा हुआ है. पैदल मार्ग और कच्ची सड़क के बह जाने के कारण ग्रामीणों को डर सता रहा है कि एक बार फिर आपदा आई, तो वो अपनी जान आखिर कैसे बचा पाएंगे. 31 जुलाई से पहले भी ये गांव कई साल आपदा की मार झेल चुका है. इसलिए ग्रामीण विस्थापन की मांग उठा रहे हैं, जिससे वो महफूज जगह पर रह पाएं.

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आपदा से खेती को भी नुकसान पहुंचा था (Photo- ETV Bharat)

विस्थापन की मांग कर रहे हैं ग्रामीण: 31 जुलाई को बादल फटने के बाद क्षेत्र में हुए नुकसान पर इस क्षेत्र के विधायक और कैबिनेट मंत्री धन सिंह रावत भी आपदा प्रभावित क्षेत्र का मुआयना कर चुके हैं. वो आपदा प्रभावित गांव के हालत से वाकिफ हैं. धन सिंह भी पैदल ही गांव तक कड़ी चुनौतियों के बीच पहुंचे थे और ग्रामीणों को आपदा से हुए नुकसान पर 5 हजार की मुआवजा राशि भी प्रत्येक परिवार को बांटी गई.

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हर तरफ बादल फटने के बाद आई आपदा के निशान (Photo- ETV Bharat)

ग्रामीणों की मुख्य मांग सिर्फ उन्हें सुरक्षित स्थान पर विस्थापित करने की है. ग्रामीणों को डर है क्षेत्र से जिस प्रकार से कई बार आपदा आ चुकी है, ऐसे में वे कब तक आपदा का खमियाजा भुगतते रहेंगे. डरे सहमे ग्रामीण अपनी जान को खतरे में डालकर कैसे हर दिन हर रात काटेंगे. इसलिए वे उचित स्थान पर विस्थापन की मांग शासन प्रशासन से कर रहे हैं. ग्रामीणों का कहना है कि मूलभूत सुविधाओं के लिए भी वे आपदा के बाद से तरस रहे हैं.

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आपदा के बाद रास्ते गायब हो गए (Photo- ETV Bharat)

क्षेत्रीय विधायक भी देख चुके इलाके का हाल: वहीं क्षेत्रीय विधायक धन सिंह रावत ने बताया कि ग्रामीण अगर विस्थापन की मांग उठा रहे हैं, तो उन्हें सुरक्षित स्थान पर विस्थापित भी किया जाएगा. वहीं आपदा प्रभावित क्षेत्र में सरकार सड़क निर्माण कार्य समेत अन्य कार्यों के लिए बजट दे चुकी है. राहत सामग्री के साथ डॉक्टर की एक टीम गांव में तैनात की गई है. धन सिंह ने कहा कि जल्द क्षेत्र में हालत सामान्य होंगे.

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बादल फटने से सड़क भी क्षतिग्रस्त हुई थी (Photo- ETV Bharat)

अब सवाल ये है कि आपदा की मार झेल चुके आपदा प्रभावित परिवार किस तरह और कितने दिन इसी तरह से डर के माहौल में अपना जीवन यापन करेंगे. सरकार आखिर कब तक क्षेत्रवासियों को सुरक्षित स्थान पर विस्थापित कर पाएगी भी या नहीं.

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चौथान पट्टी में 31 जुलाई को फटा था बादल (Photo- ETV Bharat)

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पौड़ी: जिले में मानसून सीजन आपदा प्रभावित गांवों के ग्रामीणों को डरा रहा है. यहां ग्रामीणों को डर है कि एक बार फिर उनके क्षेत्र में आपदा आई, तो इस बार कहीं कोई बड़ी घटना उनके साथ न घट जाए. लिहाजा ग्रामीण शासन प्रशासन से विस्थापन की मांग उठा रहे हैं. क्या है पूरा मामला इस खास रिपोर्ट में जानिए.

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बादल फटने के बाद से डर के साये में जी रहे लोग (Photo- ETV Bharat)

डर के साये में जी रहे चौथान पट्टी के लोग: पौड़ी जिले के थलीसैंण क्षेत्र की चौथान पट्टी में बीते 31 जुलाई को बादल फटने की घटना और अब तक गांव के हालात ने ग्रामीणों को इस कदर डरा दिया है कि ग्रामीण शासन प्रशासन से उन्हें सुरक्षित स्थान पर विस्थापित करने की मांग करने लगे हैं. यहां जैंती डांग, जैंती चक्र, मगरौं समेत कई गांव में बादल फटने की घटना से काफी नुकसान हुआ है.

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अपना क्षतिग्रस्त घर दिखाती वृद्धा (Photo- ETV Bharat)

चौथान क्षेत्र में हालात ये हैं कि मुख्यालय से इस क्षेत्र को जोड़ने वाला स्टेट हाईवे आपदा में वॉश आउट हो चुका है. इससे क्षेत्रवासियों का संपर्क पूरी तरह से जिला मुख्यालय पौड़ी से कट चुका है. वहीं नदी द्वारा किए गए भू कटाव के कारण बह चुका स्टेट हाईवे और अन्य सड़कों का पुनर्निर्माण अब तक नहीं हो पाया.

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आपदा के निशान (Photo- ETV Bharat)

31 जुलाई को बादल फटने से आई आपदा: गांव के कच्ची सड़क, पैदल मार्ग, पैदल पुलिया आपदा से क्षतिग्रस्त हो चुकी हैं. आपदा के कारण गांव में रह रहे कई लोगों के घरों में मलबे का ढेर अब भी जमा हुआ है. पैदल मार्ग और कच्ची सड़क के बह जाने के कारण ग्रामीणों को डर सता रहा है कि एक बार फिर आपदा आई, तो वो अपनी जान आखिर कैसे बचा पाएंगे. 31 जुलाई से पहले भी ये गांव कई साल आपदा की मार झेल चुका है. इसलिए ग्रामीण विस्थापन की मांग उठा रहे हैं, जिससे वो महफूज जगह पर रह पाएं.

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आपदा से खेती को भी नुकसान पहुंचा था (Photo- ETV Bharat)

विस्थापन की मांग कर रहे हैं ग्रामीण: 31 जुलाई को बादल फटने के बाद क्षेत्र में हुए नुकसान पर इस क्षेत्र के विधायक और कैबिनेट मंत्री धन सिंह रावत भी आपदा प्रभावित क्षेत्र का मुआयना कर चुके हैं. वो आपदा प्रभावित गांव के हालत से वाकिफ हैं. धन सिंह भी पैदल ही गांव तक कड़ी चुनौतियों के बीच पहुंचे थे और ग्रामीणों को आपदा से हुए नुकसान पर 5 हजार की मुआवजा राशि भी प्रत्येक परिवार को बांटी गई.

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हर तरफ बादल फटने के बाद आई आपदा के निशान (Photo- ETV Bharat)

ग्रामीणों की मुख्य मांग सिर्फ उन्हें सुरक्षित स्थान पर विस्थापित करने की है. ग्रामीणों को डर है क्षेत्र से जिस प्रकार से कई बार आपदा आ चुकी है, ऐसे में वे कब तक आपदा का खमियाजा भुगतते रहेंगे. डरे सहमे ग्रामीण अपनी जान को खतरे में डालकर कैसे हर दिन हर रात काटेंगे. इसलिए वे उचित स्थान पर विस्थापन की मांग शासन प्रशासन से कर रहे हैं. ग्रामीणों का कहना है कि मूलभूत सुविधाओं के लिए भी वे आपदा के बाद से तरस रहे हैं.

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आपदा के बाद रास्ते गायब हो गए (Photo- ETV Bharat)

क्षेत्रीय विधायक भी देख चुके इलाके का हाल: वहीं क्षेत्रीय विधायक धन सिंह रावत ने बताया कि ग्रामीण अगर विस्थापन की मांग उठा रहे हैं, तो उन्हें सुरक्षित स्थान पर विस्थापित भी किया जाएगा. वहीं आपदा प्रभावित क्षेत्र में सरकार सड़क निर्माण कार्य समेत अन्य कार्यों के लिए बजट दे चुकी है. राहत सामग्री के साथ डॉक्टर की एक टीम गांव में तैनात की गई है. धन सिंह ने कहा कि जल्द क्षेत्र में हालत सामान्य होंगे.

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बादल फटने से सड़क भी क्षतिग्रस्त हुई थी (Photo- ETV Bharat)

अब सवाल ये है कि आपदा की मार झेल चुके आपदा प्रभावित परिवार किस तरह और कितने दिन इसी तरह से डर के माहौल में अपना जीवन यापन करेंगे. सरकार आखिर कब तक क्षेत्रवासियों को सुरक्षित स्थान पर विस्थापित कर पाएगी भी या नहीं.

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चौथान पट्टी में 31 जुलाई को फटा था बादल (Photo- ETV Bharat)

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Last Updated : Aug 22, 2024, 11:44 AM IST
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