नई दिल्लीः दिल्ली हाईकोर्ट ने इलेक्टोरल बांड के रूप में दिए गए चंदे की कोर्ट की निगरानी में CBI जांच की मांग करने वाली याचिका पर सुनवाई करते हुए CBI को अपना पक्ष रखने को कहा है. कार्यकारी चीफ जस्टिस विभू बाखरू की अध्यक्षता वाली बेंच ने मामले की अगली सुनवाई जनवरी में करने का आदेश दिया.
सुनवाई के दौरान कोर्ट ने याचिकाकर्ता से कहा कि वो आरोपों की पड़ताल नहीं कर रही है लेकिन CBI को इस मामले पर अपना पक्ष रखने दीजिए. कोर्ट ने कहा कि याचिका में कोई तथ्य नहीं दिया गया है, केवल जांच करने की मांग की गई है. हवा में जांच नहीं की जा सकती है.
इलेक्टोरल बांड ''एक हाथ से दो दूसरे हाथ से लो'' वाली थी योजनाः सुनवाई के दौरान CBI की ओर से पेश वकील ने याचिका के सुनवाई योग्य होने पर सवाल उठाया. सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता सुदीप नारायण तमनकर की ओर से पेश वकील ने कहा कि इलेक्टोरल बांड को निरस्त करने से सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद जो खुलासे हुए उसकी जांच होनी चाहिए. याचिका में कहा गया है कि इलेक्टोरल बांड स्कीम कारपोरेट और राजनीतिक दलों के बीच ''एक हाथ से दो दूसरे हाथ से लो'' वाली योजना थी.
सुप्रीम कोर्ट द्वरा करार दिया गया था असंवैधानिकः बतादें कि 15 फरवरी को सुप्रीम कोर्ट ने इलेक्टोरल बांड को असंवैधानिक करार दिया था. 21 मार्च को स्टेट बैंक ऑफ इंडिया ने इलेक्टोरल बांड की पूरी जानकारी उपलब्ध करा दिया था. कोर्ट ने कहा था कि वोटर को राजनीतिक दल की फंडिंग के बारे में जानकारी रखने का हक है. सुप्रीम कोर्ट ने 2 अगस्त को इलेक्टोरल बांड के रूप में दिए गए चंदे की कोर्ट की निगरानी में SIT से जांच की मांग करने वाली याचिका खारिज कर दिया था.
बतादें कि केंद्र सरकार ने राजनीतिक दलों को चंदा देने के लिए चुनावी बांड की शुरूआत की थी. राजनीतिक चंदे में पारदर्शिता लाने के लिए चुनावी बांड पेश किए गए थे. इन्हें राजनीतिक दलों को मिलने वाले नकद चंदे के विकल्प के रूप में पेश किया गया था.
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