नई दिल्ली: दिल्ली विश्वविद्यालय छात्र संघ (डूसू) चुनाव में शुक्रवार को नामांकन वापसी के बाद अब मुकाबले की तस्वीर साफ हो गई है. अध्यक्ष, उपाध्यक्ष, सचिव और संयुक्त सचिव के चारों पदों पर किसका-किससे मुकाबला है यह तय हो गया है. यूं तो अगर कुल प्रत्याशी की बात करें तो डूसू चुनाव में 21 प्रत्याशी मैदान में हैं. इनमें से अध्यक्ष पद पर 8, उपाध्यक्ष पद पर पांच, सचिव पद पर चार और संयुक्त सचिव पद पर भी चार प्रत्याशी चुनाव लड़ रहे हैं. लेकिन, अगर मुख्य मुकाबले की बात करें तो सीधा-सीधा मुकाबला अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) और नेशनल स्टूडेंट यूनियन ऑफ इंडिया (एनएसयूआई) के प्रत्याशियों के बीच ही है.
आइसा और एसएफआई भी दे रहें कड़ी टक्कर : अगर त्रिकोणीय संघर्ष की बात करें तो तीसरे मोर्चे के रूप में वामपंथी छात्र संगठन आइसा और एसएफआई भी इस बार गठबंधन करके अपनी मजबूत उपस्थिति दर्ज कराने की तैयारी में हैं. डूसू चुनाव में प्रत्याशी अपना शक्ति प्रदर्शन करने और अपने पक्ष में माहौल बनाने के लिए बड़ी-बड़ी गाड़ियों के साथ चुनाव प्रचार करते हैं. अब चुनाव प्रचार के लिए बचे हुए पांच दिनों में यह सब माहौल देखने को मिलेगा.
27 सितंबर को डूसू चुनाव के लिए होगा मतदान: आधिकारिक प्रत्याशी घोषित होने के बाद अब सभी प्रत्याशी पूरे दमखम के साथ मैदान में उतर चुके हैं. 27 सितंबर को डूसू चुनाव में मतदान होना है. इसलिए अब चुनाव प्रचार के लिए प्रत्याशियों के पास सिर्फ 5 दिन का समय बचा है. 25 सितंबर की शाम को चुनाव प्रचार खत्म हो जाएगा. एबीवीपी और एनएसयूआई की ओर से संभावित प्रत्याशियों ने प्रत्याशी बनने से करीब 15 दिन पहले से ही संभावित प्रत्याशी के रूप में अपना चुनाव प्रचार शुरू कर दिया था.
पूरे जोश और जज्बे के साथ प्रचार में जुटे प्रत्याशी : इन प्रत्याशियों में प्रमुख रूप से एनएसयूआई की ओर से रौनक खत्री, यश नांदल, लोकेश चौधरी एवं विद्यार्थी परिषद की ओर से ऋषभ चौधरी, मित्रविंदा कर्णवाल, भानु प्रताप सिंह और अमन कपासिया शामिल रहे. अब इनको दोनों संगठनों की ओर से आधिकारिक रूप से प्रत्याशी घोषित कर दिया गया है. अब आज से यह लोग आधिकारिक प्रत्याशी के रूप में अपना पूरे जोश और जज्बे और ताकत के साथ चुनाव प्रचार शुरू करेंगे. इसके अलावा एक-दो दिन में भारतीय जनता पार्टी और कांग्रेस के प्रदेश स्तरीय नेताओं की ओर से भी डूसू चुनाव में सहभागिता शुरू की जाएगी. जैसा कि हमेशा से होता रहा है.
दिल्ली विश्वविद्यालय चुनाव का देशभर में होता है असर : बता दें कि दिल्ली विश्वविद्यालय में देश भर के छात्र छात्राएं पढ़ने आते हैं. इसलिए इसका संदेश पूरे देश में जाता है. इसकी वजह से भाजपा और कांग्रेस की ओर से भी चुनाव में जोर लगाया जाता है. मौजूदा समय में हरियाणा और जम्मू कश्मीर में विधानसभा चुनाव होने के चलते डूसू चुनाव का महत्व और बढ़ गया है.
डूसू चुनाव के कई प्रत्याशी मूल रूप से हरियाणा के : दिल्ली का पड़ोसी राज्य होने के चलते हरियाणा विधानसभा चुनाव में डूसू चुनाव का एक अलग ही संदेश और चर्चा रहती है. डूसू चुनाव के कई प्रत्याशी मूल रूप से हरियाणा के निवासी हैं और वहां के बाहुल्य वोट बैंक जाट समुदाय से भी संबंध रखते हैं. वहीं, वामपंथी छात्र संगठनों की बात करें तो ऐसे में आइसा और एसएफआई की ओर से अभी कोई खास चुनाव प्रचार देखने को नहीं मिला है. लेकिन, अब इन दोनों दलों की ओर से भी अधिक सक्रियता देखने को मिलेगी. आईए जानते हैं कि किन पदों पर कौन-कौन प्रत्याशी हैं जो सीधे मुकाबले में हैं या मुकाबले को त्रिकोणीय बनाने की स्थिति में हैं.
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