नई दिल्ली: दिल्ली विश्वविद्यालय (डीयू) की कार्यकारी परिषद (EC) की 1269वीं बैठक शुक्रवार को विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. योगेश सिंह की अध्यक्षता में हुई. इसमें वित्तीय वर्ष 2024-2025 के लिए दिल्ली विश्वविद्यालय का 1717.45 करोड़ रुपए का बजट भी पारित किया गया. वहीं, पीएचडी में प्रवेश के लिए दिव्यांग अभ्यर्थियों को कुल शुल्क में 75% की छूट को भी मंजूरी प्रदान की गई.
बैठक के आरंभ में कुलपति प्रो. योगेश सिंह ने विश्वविद्यालय का लेखा-जोखा प्रस्तुत किया और रजिस्ट्रार डॉ. विकास गुप्ता ने पिछली बैठक के मिनट्स और एक्शन टेकन रिपोर्ट प्रस्तुत की. शून्य काल के दौरान ईसी सदस्यों द्वारा विभिन्न मुद्दों पर भी चर्चा की गई. वित्तीय वर्ष 2024-2025 के लिए पारित बजट अनुमान के अनुसार सैलरी हैड में कुल 553.95 करोड़ रुपए का बजट रखा गया है.
एक विषय में 10 अंकों के विशेष मॉडरेशन का प्रावधान: जिन विद्यार्थियों का कोर्स पूरा करने के लिए एक पेपर शेष रहता है, उन्हें 10 अंकों का विशेष मॉडरेशन दिया जाएगा. ईसी द्वारा यह निर्णय 30 नवम्बर, 2023 को आयोजित हुई विश्वविद्यालय की अकादमिक परिषद (एसी) की बैठक में की गई सिफारिशों पर विचार के उपरांत लिया गया.
कुलपति प्रो. योगेश सिंह ने बताया कि विश्वविद्यालय में डिग्री कार्यक्रमों को पूरा करने के लिए एक निर्दिष्ट अवधि का प्रावधान है. इसके भीतर विद्यार्थियों को अपना डिग्री कार्यक्रम पूरा करना होता है. जो विद्यार्थी निर्दिष्ट अवधि में अपना डिग्री पाठ्यक्रम पूरा करने में असमर्थ रहते हैं, एनईपी यूजीसीएफ-2022 के कार्यान्वयन के साथ अब उन विद्यार्थियों के लिए कुछ राहत के प्रावधान उपलब्ध हैं.
ऐसे मामलों में वे नियमानुसार प्रमाण-पत्र या डिप्लोमा प्राप्त करने के पात्र हैं, भले ही वे पूर्ण डिग्री कार्यक्रम पूरा करने में असफल रहते हों. इसके अलावा डिग्री पूरी करने के लिए 7 साल की अवधि प्रदान की जाती है. कुलपति ने कहा कि ऐसी स्थिति उन विद्यार्थियों के लिए विशेष रूप से चुनौतीपूर्ण हो जाती है, जो एक पेपर को छोड़कर कोर्स की सभी आवश्यकताओं को पूरा करते हों. कई बार विद्यार्थी प्रतिकूल परिस्थितियों के कारण अपनी डिग्री पूरी करने में असमर्थ होते हैं. ऐसे मामलों में विश्वविद्यालय एक बचे हुए पेपर के लिए विशेष मॉडरेशन देकर उनके समय को और की गई मेहनत को बर्बाद होने से रोक सकता है.
कुलपति ने बताया कि यह प्रावधान विशेष रूप से उन विद्यार्थियों के लिए विशेष मॉडरेशन प्रदान कर सकता है, जिनके पास अधिकतम 10 अंकों की सीमा तक एक पेपर शेष है. यह विशेष मॉडरेशन उस पेपर पर पहले से लागू किसी भी मॉडरेशन के अतिरिक्त हो सकता है. उन्होंने बताया कि यह प्रावधान विद्यार्थी द्वारा प्रस्तुत किए गए कारणों पर सावधानीपूर्वक विचार करने के उपरांत विश्वविद्यालय की संतुष्टि के अधीन लागू होगा.
कोविड पीड़ितों को डिग्री पूरी करने के लिए मिलेगा विशेष अवसर: कुलपति प्रो. योगेश सिंह ने कहा कि कोविड-19 महामारी ने लोगों के सामने अप्रत्याशित चुनौतियां पैदा की. इनके कारण कई विद्यार्थियों की शैक्षणिक प्रगति पर भी प्रतिकूल प्रभाव पड़ा. ऐसे में उनके नियंत्रण से परे के कारकों के लिए उन्हें दंडित करना अन्यायपूर्ण है. इसलिए 2021-22 और 2022-23 में अपनी शैक्षणिक अवधि पार कर चुके विद्यार्थियों को उनकी डिग्री पूरी करने के लिए आवश्यक शेष पेपरों में उपस्थित होने के लिए एक विशेष मौका देने का निर्णय लिया गया है.
विदेशी विश्वविद्यालयों से पीएचडी करने के लिए नियम निर्धारित: विदेशी विश्वविद्यालयों से पीएचडी करने के इच्छुक दिल्ली विश्वविद्यालय के संकाय सदस्यों को अध्ययन अवकाश देने के लिए दिशा-निर्देशों को भी डीयू ईसी की बैठक के दौरान मंजूरी दी गई. दिशा-निर्देश बनाने के लिए गठित कमेटी की अनुशंसा के अनुसार गैर-पीएचडी वाले संकाय सदस्य जिस विदेशी विश्वविद्यालय से पीएचडी करना चाहते हैं. उस विश्वविद्यालय की क्यूएस वर्ल्ड रैंकिंग दिल्ली विश्वविद्यालय से कम नहीं होनी चाहिए.
संकाय सदस्य को अपने आवेदन में फैलोशिप के प्रकार और उसकी राशि का भी उल्लेख करना होगा. यदि संकाय सदस्य को कोई फेलोशिप मिल रही है, तो अध्ययन अवकाश के लिए आवेदन करते समय इसकी घोषणा भी करनी होगी. संकाय सदस्य का वेतन दिल्ली विश्वविद्यालय के मौजूदा नियमों और विनियमों के अनुसार तय किया जाएगा.
फैकल्टी ऑफ टेक्नोलॉजी के लिए पदों को मिली स्वीकृति: दिल्ली विश्वविद्यालय के प्रौद्योगिकी संकाय के लिए शिक्षण एवं गैर-शैक्षणिक पदों के सृजन को लेकर शिक्षा मंत्रालय, भारत सरकार से मिली स्वीकृति पर भी ईसी की बैठक में चर्चा की गई. गौरतलब है कि विश्वविद्यालय की वित्त समिति ने 16 फरवरी, 2024 को आयोजित अपनी बैठक में इन पदों के सृजन संबंधी पत्र को स्वीकार किया था. इसके तहत प्रौद्योगिकी संकाय के लिए 8 प्रोफेसर, 16 एसोसिएट प्रोफेसर और 48 असिस्टेंट प्रोफेसर पदों पर नियुक्तियों का रास्ता साफ होगा है. इसके साथ ही गैर-शैक्षणिक पदों के लिए भी अलग-अलग पदानुसार 48 पदों को स्वीकृति प्रदान की गई है.
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आईएचबीएएस में 2025-26 तक हो सकेगी एम.फिल: चिकित्सा में एम.फिल. की वैधता बढ़ाते हुए क्लिनिकल साइकोलॉजी और मनोरोग सामाजिक कार्य में शैक्षणिक सत्र 2025-26 तक एम.फिल. जारी रखने को भी ईसी द्वारा मंजूरी दी गई है. कुलपति ने कहा कि मानसिक स्वास्थ्य सेवाएं प्रदान करने में मनोवैज्ञानिकों और मनोरोग सामाजिक कार्यकर्ताओं द्वारा निभाई गई महत्वपूर्ण भूमिका को देखते हुए यह आंशिक छूट दी गई है.
हालांकि, राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 की अनुशंसा के अनुरूप अन्य विषयों में दिल्ली विश्वविद्यालय में एम.फिल को बंद किया जा चुका है. कुलपति ने कहा कि एक अंतरिम व्यवस्था के रूप में आईएचबीएएस में एम.फिल. (क्लिनिकल साइकोलॉजी) पाठ्यक्रम को फिर से शुरू करने के लिए यूजीसी के निर्देश पर यह निर्णय लिया गया है.