नई दिल्ली: दिल्ली हाईकोर्ट ने दिल्ली आबकारी घोटाला मामले के आरोपी अरुण पिल्लै को अपनी पत्नी की देखरेख के लिए मिली अंतरिम जमानत बढ़ाने से इनकार कर दिया है. जस्टिस स्वर्णकांता शर्मा ने अरुण पिल्लै को 24 जनवरी तक सरेंडर करने का आदेश दिया है. कोर्ट ने कहा कि अंतरिम जमानत आपात स्थिति में अल्प अवधि के लिए दी जाती है. अंतरिम जमानत को बढ़ाया नहीं जा सकता है. इस आधार पर अंतरिम जमानत आगे नहीं बढ़ाई जा सकती है. इससे पहले अरुण पिल्लै ने अपनी पत्नी के इलाज के लिए मिली अंतरिम जमानत को बढ़ाने की मांग की थी. याचिका में कहा गया था कि अरुण पिल्लै की पत्नी को पीआरपी स्टेरॉयड प्रोसिजर से गुजरना है. इसके लिए आरोपी की पत्नी को छह हफ्ते की देखभाल की जरूरत होगी.
सुनवाई के दौरान ईडी ने इस अर्जी का विरोध करते हुए कहा कि आरोपी की पत्नी की देखभाल के लिए किसी स्थायी अटेंडेंट की जरुरत नहीं है, उन्हें केवल पीआरपी इंजेक्शन दिया जाना है. कोर्ट ने कहा कि आरोपी 18 दिसंबर, 2023 से अंतरिम जमानत पर है, इसलिए अब अंतरिम जमानत आगे नहीं बढ़ाई जा सकती है. बता दें कि राऊज एवेन्यू कोर्ट ने 18 दिसंबर, 2023 को अरुण पिल्लै को दो हफ्ते की अंतरिम जमानत दी थी. उसके बाद हाईकोर्ट ने चार जनवरी को पिल्लै की अंतरिम जमानत बढ़ाई थी. ईडी ने इस मामले में दाखिल पूरक चार्जशीट में अरुण रामचंद्र पिल्लै और अमनदीप ढल को आरोपी बनाया है. चार्जशीट में कहा गया है कि अरुण पिल्लै ने जांच के दौरान झूठा बयान दिया. और तो और उन्होंने साक्ष्यों को नष्ट करने में अहम भूमिका निभाई. दो साल में आरोपी ने पांच मोबाइल फोन नष्ट किए.
ईडी के मुताबिक, जांच के दौरान अरुण पिल्लै घोटाले के दौरान इस्तेमाल किए गए मोबाइल फोन पेश नहीं कर सका. पिल्लै के पास जो फोन थे उसमें लोगों से बातचीत का कोई रिकॉर्ड नहीं मिला. इससे साफ है कि अरुण पिल्लै ने साक्ष्यों को नष्ट करने में अहम भूमिका निभाई. बता दें कि ईडी के मामले में अरुण पिल्लै को 6 मार्च, 2023 को गिरफ्तार किया गया था, जबकि अमनदीप ढल को 1 मार्च 2023 को गिरफ्तार किया गया था. पिल्लै पर आरोप है कि उसने आरोपी समीर महेंद्रू से रिश्वत की रकम इकट्ठा कर दूसरे आरोपियों को दी.
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