नई दिल्ली: दिल्ली हाईकोर्ट ने दिल्ली विकास प्राधिकरण (डीडीए) को निर्देश दिया है कि वो यमुना के जलग्रहण इलाके से अतिक्रमण हटाएं. कार्यकारी चीफ जस्टिस मनमोहन की अध्यक्षता वाली बेंच ने डीडीए से यमुना के जलग्रहण इलाके में कम से कम 10 बायोडाइवर्सिटी पार्क और वेटलैंड्स के निर्माण पर स्टेटस रिपोर्ट तलब किया है.
हाईकोर्ट ने कहा कि यमुना के जलग्रहण क्षेत्र से निर्माण के मलबे को हटाने और वैज्ञानिक तरीके से यमुना को पुनर्जीवित करने की कोशिश युद्ध स्तर पर किया जाना चाहिए. कोर्ट ने डीडीए को निर्देश दिया कि वो यमुना रिवरफ्रंट को ग्रीन हॉर्टिकल्चर के रूप में विकसित करने पर विचार करें. साथ ही यह भी निर्देश दिया कि वो यमुना रिवरफ्रंट पर मनोरंजन क्षेत्र बनाने के लिए नोडल अफसर नियुक्त करें.
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कोर्ट ने कहा कि यमुना के विभिन्न किनारों पर काफी बड़ी संख्या में श्रद्धालु पूजा करते हैं. वे श्रद्धालु ठोस कचरा यमुना के पानी में फेंकते हैं, जो कि गंभीर समस्या है. इस स्थिति से निपटने के लिए डीडीए श्रद्धालुओं के लिए घाटों का निर्माण करे और ठोस कचरों के निस्तारण के लिए प्लेटफार्म बनाए.
हाल ही यमुना में आयी बाढ़ से पता चला कि दिल्ली के 22 किलोमीटर से होकर गुजरने वाली नदी हर मॉनसून में ओवरफ्लो हो जाती है, क्योंकि यमुना उथली हो चुकी है. बता दें, हाईकोर्ट ने यमुना नदी पर स्वत: संज्ञान लेकर सुनवाई तब शुरू की थी, जब 2023 में इसमें बाढ़ आया था और दिल्ली के कई इलाकों में बाढ़ का पानी भर गया था
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