नई दिल्ली: दिल्ली हाईकोर्ट ने दिल्ली यूनिवर्सिटी के छात्रसंघ चुनाव के खर्च पर गंभीर टिप्पणी की है. कोर्ट ने कहा कि ऐसा लगता है कि करोड़ों रुपए खर्च किए जा रहे हैं. यह स्थिति देश के आम चुनाव से भी बुरी है. कार्यकारी चीफ जस्टिस मनमोहन की अध्यक्षता वाली बेंच ने कहा कि यह लोकतंत्र का उत्सव है न कि मनी लॉन्ड्रिंग का. इस तरह के सिस्टम से युवाओं को करप्ट नहीं होने देना चाहिए.
सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट ने पूछा कि क्या कोई रिकॉर्ड है कि छात्रसंघ चुनाव में कितना पैसा इस्तेमाल किया जा रहा है. पोस्टर दीवारों और सड़कों पर लगाए जा रहे हैं. इस तरह से पैसा को बर्बाद नहीं होने देना चाहिए. आपको इसके लिए सख्त एक्शन लेना चाहिए. जिन उम्मीदवारों के नाम के पोस्टर लगे हैं उन पोस्टरों को हटाने का पैसे उनसे ही वसूला जाए. यह चुनाव कोई अकेले नहीं लड़ रहा है, बल्कि चुनाव में संगठन शामिल हैं. आप अपने आपको इतना असहाय महसूस मत करिए.
उम्मीदवारी की जाएगी रद्द: वहीं, दिल्ली विश्वविद्यालय की तरफ से कहा गया कि हमने सभी 21 उम्मीदवारों को सर्कुलर जारी कर लिंगदोह कमेटी के दिशा-निर्देश का पालन करने और पोस्टर-बैनर को 25 सितंबर शाम 5 बजे तक हटाने के निर्देश दिए हैं. अगर उम्मीदवार निर्देशों और छात्रसंघ चुनाव के दौरान लिंगदोह कमेटी के नियम का पालन नहीं करेंगे तो उनकी उम्मीदवारी भी रद्द कर दी जाएगी. हालांकि, मंगलवार से ही पोस्टर हटाए जाने शुरू हो गए हैं. विश्वविद्यालय की चुनाव समिति की भी इसपर पैनी नजर है. विश्वविद्यालय की तरफ से यह बताया गया कि लोगों को आ रही दिक्कत को लेकर कारण बताओ नोटिस जारी किया गया और उम्मीदवारों के साथ एक बैठक भी बुलाई गई. हालांकि, इसमें सिर्फ दो उम्मीदवार शामिल हुआ और चार लिखित जवाब मिले.
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नोटिस क्यों नहीं किया जारी: 24 सितंबर को दिल्ली हाईकोर्ट ने पूरे शहर में पोस्टर और नारे लगाने वाले व्यक्तियों के खिलाफ कार्रवाई करने में विफल रहने के लिए दिल्ली पुलिस, दिल्ली विश्वविद्यालय प्रशासन, दिल्ली नगर निगम और दिल्ली मेट्रो रेल कॉरपोरेशन पर नाराजगी जाहिर करते हुए पूछा था कि छात्रसंघ चुनाव आचार संहिता के उल्लंघन के लिए सभी उम्मीदवारों को अयोग्यता का नोटिस क्यों नहीं जारी किया गया. साथ ही यह भी पूछा कि सार्वजनिक संपत्ति का नुकसान पहुंचाने के लिए जुर्माना वसूलने के लिए कोई प्रयास क्यों नहीं किया गया, जबकि दिल्ली हाईकोर्ट पहले ही इस मामले में फैसला दे चुका है. हाईकोर्ट ने सुनवाई के दौरान संबंधित अथॉरिटी से कहा था कि आप चुनाव आचार संहिता के साथ-साथ नगरपालिका कानूनों के गंभीर उल्लंघन की अनुमति दे रहे हैं.
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