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दिल्ली हाईकोर्ट ने पूछा- बीते दो साल में अतिक्रमण हटाने के नाम पर कितने पेड़ काटे? - Trees cut to remove encroachment

राजधानी में अतिक्रमण हटाने के नाम पर हुई पेड़ों की कटाई के मामले पर दिल्ली हाईकोर्ट ने सख्त रूख अपनाया है. कोर्ट ने दिल्ली के वन सचिव से बीते दो सालों में हुई पेड़ों की कटाई से संबंधित आंकड़ा पेश करने का आदेश दिया है. साथ ही यह भी कहा है कि इसके बदले कितने पेड़ लगाए गए.

पेड़ों की कटाई के मामले पर दिल्ली हाईकोर्ट ने सख्त रूख अपनाया है.
पेड़ों की कटाई के मामले पर दिल्ली हाईकोर्ट ने सख्त रूख अपनाया है. ((फाइल फोटो))
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By ETV Bharat Delhi Team

Published : May 3, 2024, 10:28 PM IST

नई दिल्लीः दिल्ली हाईकोर्ट ने दिल्ली के वन सचिव से दिल्ली मेट्रो, राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण और पीडल्ब्यूडी को वन क्षेत्र से अतिक्रमण हटाने के लिए पेड़ों को काटने की अनुमति देने संबंधी विस्तृत जानकारी तलब किया है. कार्यकारी चीफ जस्टिस मनमोहन की अध्यक्षता वाली बेंच ने 22 जुलाई तक ये जानकारी कोर्ट में दाखिल करने का निर्देश दिया है.

कोर्ट ने वन सचिव को निर्देश दिया कि वो ये बताएं कि 1 अप्रैल 2022 से लेकर 31 मार्च 2024 तक अतिक्रमण हटाने के लिए वन क्षेत्र से कितने पेड़ों को काटने की अनुमति दी गई. कोर्ट ने वन सचिव को निर्देश दिया कि वे अपनी रिपोर्ट में संरक्षित वनों, अधिसूचित वनों, अधिसूचित खुले वन और अधिसूचित बायोडायर्सिटी पार्क की जानकारी दें. वे अपनी रिपोर्ट में हटाए गए पेड़ों के बदले लगाए गए पौधों की संख्या भी बताएं.

दरअसल, हाईकोर्ट दिल्ली में वायु गुणवत्ता की खराब हालत को लेकर दायर जनहित याचिकाओं पर सुनवाई कर रही थी. इसी मामले पर कोर्ट ने स्वत: संज्ञान भी लिया है. कोर्ट की मदद करने के लिए वकील कैलाश वासुवेद को एमिकस क्यूरी नियुक्त किया है. कैलाश वासुदेव ने कोर्ट को बताया था कि उन्हें पेड़ों को हटाने संबंधी डाटा उपलब्ध नहीं कराया जा रहा है.

यह भी पढ़ेंः सहमति से बने यौन संबंध अपराध नहीं, भले उनकी शादी हुई हो या नहींः हाईकोर्ट - Delhi High Court

इसके पहले कैलाश वासुदेव ने कोर्ट को बताया था कि किस तरह शहर में जंगलों को हटाया गया है. उन्होंने बताया कि दिल्ली के कई इलाके जो जंगल होते थे अब वे अनाधिकृत कॉलोनियों में तब्दील हो चुके हैं. इससे निपटने का केवल एक ही उपाय है कि इन अनाधिकृत कॉलोनियों पर लगाम लगाया जाए. तब कोर्ट ने कहा था कि ये सब कुछ रातों-रात तो तैयार नहीं हुए होंगे. इसके जिम्मेदार लोगों को तो इसकी जानकारी होनी चाहिए. कोर्ट ने कैलाश वासुदेव को निर्देश दिया था कि वो दिल्ली में वनों को हटाने के मसले पर अपने सुझाव दें.

यह भी पढ़ेंःदिल्ली: तिहाड़ जेल में बंद दो कैदियों के बीच हिंसक झड़प, एक की हत्या - Tihar inmates Murder

नई दिल्लीः दिल्ली हाईकोर्ट ने दिल्ली के वन सचिव से दिल्ली मेट्रो, राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण और पीडल्ब्यूडी को वन क्षेत्र से अतिक्रमण हटाने के लिए पेड़ों को काटने की अनुमति देने संबंधी विस्तृत जानकारी तलब किया है. कार्यकारी चीफ जस्टिस मनमोहन की अध्यक्षता वाली बेंच ने 22 जुलाई तक ये जानकारी कोर्ट में दाखिल करने का निर्देश दिया है.

कोर्ट ने वन सचिव को निर्देश दिया कि वो ये बताएं कि 1 अप्रैल 2022 से लेकर 31 मार्च 2024 तक अतिक्रमण हटाने के लिए वन क्षेत्र से कितने पेड़ों को काटने की अनुमति दी गई. कोर्ट ने वन सचिव को निर्देश दिया कि वे अपनी रिपोर्ट में संरक्षित वनों, अधिसूचित वनों, अधिसूचित खुले वन और अधिसूचित बायोडायर्सिटी पार्क की जानकारी दें. वे अपनी रिपोर्ट में हटाए गए पेड़ों के बदले लगाए गए पौधों की संख्या भी बताएं.

दरअसल, हाईकोर्ट दिल्ली में वायु गुणवत्ता की खराब हालत को लेकर दायर जनहित याचिकाओं पर सुनवाई कर रही थी. इसी मामले पर कोर्ट ने स्वत: संज्ञान भी लिया है. कोर्ट की मदद करने के लिए वकील कैलाश वासुवेद को एमिकस क्यूरी नियुक्त किया है. कैलाश वासुदेव ने कोर्ट को बताया था कि उन्हें पेड़ों को हटाने संबंधी डाटा उपलब्ध नहीं कराया जा रहा है.

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इसके पहले कैलाश वासुदेव ने कोर्ट को बताया था कि किस तरह शहर में जंगलों को हटाया गया है. उन्होंने बताया कि दिल्ली के कई इलाके जो जंगल होते थे अब वे अनाधिकृत कॉलोनियों में तब्दील हो चुके हैं. इससे निपटने का केवल एक ही उपाय है कि इन अनाधिकृत कॉलोनियों पर लगाम लगाया जाए. तब कोर्ट ने कहा था कि ये सब कुछ रातों-रात तो तैयार नहीं हुए होंगे. इसके जिम्मेदार लोगों को तो इसकी जानकारी होनी चाहिए. कोर्ट ने कैलाश वासुदेव को निर्देश दिया था कि वो दिल्ली में वनों को हटाने के मसले पर अपने सुझाव दें.

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