नई दिल्ली: दिल्ली हाईकोर्ट ने आज दिल्ली विश्वविद्यालय छात्र संघ के लिए हुए चुनाव की मतगणना की अनुमति देने से एक बार फिर मना कर दिया है. मुख्य न्यायाधीश मनमोहन की अध्यक्षता में हुई बेंच ने मामले की अगली सुनवाई 11 नवंबर को निर्धारित करते हुए संबंधित अधिकारियों को सार्वजनिक संपत्तियों की सफाई के संबंध में ताजा स्थिति रिपोर्ट दाखिल करने का निर्देश दिया.
सुनवाई के दौरान, याचिकाकर्ता और अधिवक्ता प्रशांत मनचंदा ने अदालत को उन उम्मीदवारों की सूची सौंपी जिन्होंने चुनाव प्रचार के दौरान सार्वजनिक संपत्तियों को विरूपित किया था. अदालत ने सभी उम्मीदवारों को निर्देश दिया कि वे केवल कॉलेज और विश्वविद्यालय परिसर को नहीं, बल्कि शहर के उन स्थानों की भी सफाई करें जहां गंदगी फैलाई गई थी.
इससे पहले, 21 अक्टूबर को कोर्ट ने स्पष्ट किया था कि जब तक सार्वजनिक संपत्ति की सफाई नहीं हो जाती, तब तक छात्र संघ चुनाव की मतगणना की अनुमति नहीं दी जा सकती. अदालत ने दिल्ली मेट्रो और दिल्ली पुलिस से सफाई के संबंध में ताजा स्थिति रिपोर्ट देने को कहा था. इस सुनवाई के दौरान, मनचंदा ने दिल्ली विश्वविद्यालय के उस दावे को चुनौती दी थी जिसमें कहा गया था कि 90 प्रतिशत सार्वजनिक संपत्तियों की सफाई कर दी गई है. अदालत ने स्पष्ट किया कि अगर आवश्यक हुआ तो वे उन लोगों के खिलाफ कार्रवाई शुरू कर सकते हैं जिन्होंने सार्वजनिक संपत्तियों को गंदा किया है.
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इस मामले में हाई कोर्ट ने 9 अक्टूबर को भी मतगणना पर रोक लगाई थी. अदालत ने छात्र नेताओं को चेतावनी दी थी कि वे सार्वजनिक संपत्ति को साफ करें और उसे फिर से पेंट कराएं, इसके बाद ही मतगणना आयोजित की जाएगी. सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट ने कहा था कि दिल्ली यूनिवर्सिटी छात्र संघ चुनाव में मुफ्त खाना बांटा जा रहा था, ऐसा हमने आम चुनाव में भी नहीं देखा. छात्र संघ चुनाव में आम चुनाव से भी ज़्यादा पैसा खर्च हुआ है. यह लोकतंत्र का उत्सव है, यह मनी लांड्रिंग का उत्सव नहीं है.
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