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इलाज तो दूर प्रमोद को चार अस्पतालों ने स्ट्रेचर तक नहीं दिया, दिल्ली सरकार ने हाईकोर्ट में दिया जवाब - Delhi government replied in HC

Delhi government replied in High Court: 3 जनवरी को प्रमोद की मौत मामले में दिल्ली हाईकोर्ट में दिल्ली सरकार के स्वास्थ्य और परिवार कल्याण विभाग ने जवाब पेश किया है. उसमें कहा है कि चार बड़े अस्पतालों ने लापरवाही बरती. मरीज को स्ट्रेचर तक नहीं दिया. और इलाज में देरी के चलते उसकी मौत हो गई.

प्रमोद की मौत मामले में दिल्ली सरकार ने हाई कोर्ट में दिया जवाब
प्रमोद की मौत मामले में दिल्ली सरकार ने हाई कोर्ट में दिया जवाब
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By ETV Bharat Delhi Team

Published : Jan 30, 2024, 3:18 PM IST

नई दिल्ली: दो जनवरी को शराब के नशे में पुलिस की जिप्सी से कूदने वाले प्रमोद की मौत हो गई थी. प्रमोद को दिल्ली के चार बड़े सरकारी अस्पतालों ने उचित इलाज देने से इनकार कर दिया था. इतना ही नहीं उसे स्ट्रेचर भी उपलब्ध नहीं कराया गया था. अस्पताल के कर्मचारियों की कागजी कार्रवाई के दौरान उसकी मौत हो गई. यह जानकारी दिल्ली हाईकोर्ट में दिल्ली सरकार के स्वास्थ्य और परिवार कल्याण विभाग ने दी है.

घटना के बाद एक जनहित याचिका पर हाईकोर्ट ने दिल्ली सरकार से स्पष्टीकरण मांगा था. सुनवाई के दौरान कोर्ट ने संकेत दिया कि वह केंद्र और दिल्ली सरकार दोनों के वरिष्ठ अधिकारियों द्वारा मामले की संयुक्त जांच का निर्देश देगी ताकि भविष्य में चिकित्सा में बुनियादी ढांचे की कमी से बचा जा सके. और अस्पताल आगे ऐसी चूक न करें. अदालत ने यह भी कहा कि जवाबदेही अधिकारियों द्वारा तय की जानी चाहिए और दिल्ली सरकार ने बताया कि जांच चल रही है.

घायल प्रमोद को इलाज के लिए दिल्ली सरकार के जग प्रवेश चंद्र अस्पताल, गुरु तेग बहादुर (जीटीबी), लोक नायक अस्पताल और केंद्र सरकार के राम मनोहर लोहिया अस्पताल में आईसीयू/वेंटिलेटर बिस्तर या सीटी स्कैन की अनुपलब्धता सहित विभिन्न कारणों से इलाज करने से इनकार कर दिया गया था. हलफनामे में समयवार विवरण देते हुए कहा गया है कि 47 वर्षीय मरीज को 2 जनवरी की रात 10 बजे सिर में चोट लगने के कारण घायल अवस्था में जग प्रवेश चंद्र अस्पताल लाया गया था. सर्जरी विभाग में उन्हें भर्ती करने के बाद अस्पताल ने उन्हें बेहतर इलाज के लिए गुरु तेग बहादुर अस्पताल में स्थानांतरित कर दिया. जहां वह 12.30 बजे एक डॉक्टर के साथ पहुंचे.

हालांकि, जीटीबी अस्पताल मरीज को स्ट्रेचर भी उपलब्ध कराने में विफल रहा और उसके साथ भेजे गए जूनियर डॉक्टर को आपातकालीन कार्ड बनाने के लिए कहा गया, लेकिन इसे अस्वीकार कर दिया गया. क्योंकि इसके लिए सीएमओ-ऑन-ड्यूटी की सहमति आवश्यक थी. रिपोर्ट में कहा गया है कि सीएमओ ने यह कहते हुए मना कर दिया कि सीटी स्कैन मशीन काम नहीं कर रही है और वेंटिलेटर भी उपलब्ध नहीं है. इसलिए मरीज को अस्पताल में भर्ती नहीं किया जा सकता.

हालत बिगड़ने पर प्रमोद को जेपीसी अस्पताल के डॉक्टर द्वारा 1.40 बजे लोक नायक अस्पताल ले जाया गया, लेकिन न्यूरो-सर्जरी विभाग में आईसीयू वेंटिलेशन बेड की कमी, कोई अटेंडेंट नहीं होने और नर्सिंग अर्दली की अनुपलब्धता के कारण उन्हें प्रवेश देने से इनकार कर दिया. इनका हवाला देकर मरीज को वापस जेपीसीएच या जीटीबी अस्पताल जाने को कहा गया या फिर 3.45 बजे एम्स जाने की सलाह दी गयी.

डॉ. ज्योति, जो प्रमोद के साथ थीं सुबह 4 बजे आरएमएल अस्पताल पहुंचीं, लेकिन सीएमओ ने उन्हें प्रवेश देने से इनकार कर दिया. जिन्होंने बताया कि लोकनायक अस्पताल के न्यूरोसर्जरी विभाग के रेफरल पर कोई मुहर या हस्ताक्षर नहीं था. रिपोर्ट में कहा गया है कि जब डॉक्टर सुबह 4.30 बजे वापस जेपीसी पहुंचे प्रमोद की जिंदगी धीरे-धीरे खत्म हो गई.

ये भी पढ़ें : प्रमोद की मौत मामले में जांच के दायरे में लोकनायक अस्पताल, जल्द हो सकती है बड़ी कार्रवाई

नई दिल्ली: दो जनवरी को शराब के नशे में पुलिस की जिप्सी से कूदने वाले प्रमोद की मौत हो गई थी. प्रमोद को दिल्ली के चार बड़े सरकारी अस्पतालों ने उचित इलाज देने से इनकार कर दिया था. इतना ही नहीं उसे स्ट्रेचर भी उपलब्ध नहीं कराया गया था. अस्पताल के कर्मचारियों की कागजी कार्रवाई के दौरान उसकी मौत हो गई. यह जानकारी दिल्ली हाईकोर्ट में दिल्ली सरकार के स्वास्थ्य और परिवार कल्याण विभाग ने दी है.

घटना के बाद एक जनहित याचिका पर हाईकोर्ट ने दिल्ली सरकार से स्पष्टीकरण मांगा था. सुनवाई के दौरान कोर्ट ने संकेत दिया कि वह केंद्र और दिल्ली सरकार दोनों के वरिष्ठ अधिकारियों द्वारा मामले की संयुक्त जांच का निर्देश देगी ताकि भविष्य में चिकित्सा में बुनियादी ढांचे की कमी से बचा जा सके. और अस्पताल आगे ऐसी चूक न करें. अदालत ने यह भी कहा कि जवाबदेही अधिकारियों द्वारा तय की जानी चाहिए और दिल्ली सरकार ने बताया कि जांच चल रही है.

घायल प्रमोद को इलाज के लिए दिल्ली सरकार के जग प्रवेश चंद्र अस्पताल, गुरु तेग बहादुर (जीटीबी), लोक नायक अस्पताल और केंद्र सरकार के राम मनोहर लोहिया अस्पताल में आईसीयू/वेंटिलेटर बिस्तर या सीटी स्कैन की अनुपलब्धता सहित विभिन्न कारणों से इलाज करने से इनकार कर दिया गया था. हलफनामे में समयवार विवरण देते हुए कहा गया है कि 47 वर्षीय मरीज को 2 जनवरी की रात 10 बजे सिर में चोट लगने के कारण घायल अवस्था में जग प्रवेश चंद्र अस्पताल लाया गया था. सर्जरी विभाग में उन्हें भर्ती करने के बाद अस्पताल ने उन्हें बेहतर इलाज के लिए गुरु तेग बहादुर अस्पताल में स्थानांतरित कर दिया. जहां वह 12.30 बजे एक डॉक्टर के साथ पहुंचे.

हालांकि, जीटीबी अस्पताल मरीज को स्ट्रेचर भी उपलब्ध कराने में विफल रहा और उसके साथ भेजे गए जूनियर डॉक्टर को आपातकालीन कार्ड बनाने के लिए कहा गया, लेकिन इसे अस्वीकार कर दिया गया. क्योंकि इसके लिए सीएमओ-ऑन-ड्यूटी की सहमति आवश्यक थी. रिपोर्ट में कहा गया है कि सीएमओ ने यह कहते हुए मना कर दिया कि सीटी स्कैन मशीन काम नहीं कर रही है और वेंटिलेटर भी उपलब्ध नहीं है. इसलिए मरीज को अस्पताल में भर्ती नहीं किया जा सकता.

हालत बिगड़ने पर प्रमोद को जेपीसी अस्पताल के डॉक्टर द्वारा 1.40 बजे लोक नायक अस्पताल ले जाया गया, लेकिन न्यूरो-सर्जरी विभाग में आईसीयू वेंटिलेशन बेड की कमी, कोई अटेंडेंट नहीं होने और नर्सिंग अर्दली की अनुपलब्धता के कारण उन्हें प्रवेश देने से इनकार कर दिया. इनका हवाला देकर मरीज को वापस जेपीसीएच या जीटीबी अस्पताल जाने को कहा गया या फिर 3.45 बजे एम्स जाने की सलाह दी गयी.

डॉ. ज्योति, जो प्रमोद के साथ थीं सुबह 4 बजे आरएमएल अस्पताल पहुंचीं, लेकिन सीएमओ ने उन्हें प्रवेश देने से इनकार कर दिया. जिन्होंने बताया कि लोकनायक अस्पताल के न्यूरोसर्जरी विभाग के रेफरल पर कोई मुहर या हस्ताक्षर नहीं था. रिपोर्ट में कहा गया है कि जब डॉक्टर सुबह 4.30 बजे वापस जेपीसी पहुंचे प्रमोद की जिंदगी धीरे-धीरे खत्म हो गई.

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