नई दिल्ली: दिल्ली की एक अदालत ने एक किशोर (जुवेनाइल) को दो नाबालिग लड़कियों से बलात्कार करने का दोषी ठहराया है. रेप का ये मामला साल 2017 का है. अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश अमित सहरावत ने नाबालिग आरोपी के खिलाफ मामले की सुनवाई की.
नाबालिग आरोपी पर सात और करीब चार साल की बच्चियों से दुष्कर्म करने के लिए (POCSO) और (IPC) के प्रावधानों के तहत मुकदमा दर्ज किया गया था. अदालत ने मंगलवार को पारित एक आदेश में कहा है कि निर्णायक रूप से ऐसा कहा जा सकता है कि अभियोजन पक्ष बिना किसी संदेह के आरोपों को साबित करने में सफल रहा है कि आरोपी ने दोनों बच्चियों से दुष्कर्म के अपराध को अंजाम दिया था. राज्य की ओर से विशेष लोक अभियोजक विजय दहिया मौजूद रहे.
हालांकि, अदालत ने यह कहा कि जांच अधिकारी (आईओ) ने तय समय के भीतर पीड़ित बच्चियों के बयान दर्ज नहीं किये और न ही उनमें से साक्ष्य के रूप में बच्ची के फटे हुए कपड़े जब्त किए. लेकिन इसका यह कतई मतलब यह नहीं है कि अपराध नहीं हुआ है. अदालत के मुताबिक, ”आईओ की तरफ से हुई लापरवाही के कारण अन्य सबूतों को व्यर्थ नहीं करार दिया जा सकता.”
अदालत ने कहा कि ऐसा कुछ भी नहीं है, जिससे यह पता चले कि पीड़ित बच्चियों को आरोपों के बारे में कुछ सिखाया गया हो. अदालत ने कहा कि बच्चियों की चिकित्सा जांच से उनके बयानों की पुष्टि होती है. अदालत के मुताबिक, जिस दिन अपराध हुआ उसी दिन बच्चियों की चिकित्सा जांच कराई गयी थी. अदालत ने साफ कहा, ”दोनों बच्चियों की चिकित्सीय जांच केवल एक ही बात की ओर इशारा करती हैं कि दोनों के साथ जबरन दुष्कर्म किया गया था.”
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अदालत के मुताबिक, बच्चियों में से एक अदालत में आरोपी की पहचान नहीं कर सकी थी, लेकिन उसकी गवाही से जो नहीं साफ हो सका था उसे न फॉरेंसिक विज्ञान प्रयोगशाला (एफएसएल) की रिपोर्ट ने पूरा कर दिया. फॉरेंसिक जांच के अनुसार, बच्ची का खून आरोपी के पायजामा पर पाया गया था.
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