नई दिल्ली: दिल्ली प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष देवेन्द्र यादव ने कहा कि पिछले 10 वर्षों से भी अधिक समय से दिल्ली सरकार के पास लगभग 11 लाख राशन कार्ड के आवेदन पड़े हैं पर इन्हें नहीं बनाया गया है. उपराज्यपाल द्वारा मुख्य सचिव को 90,000 गरीब को राशन कार्ड न दिए जाने के मामले की जांच के आदेश दिए जाना गरीबों के हित में है लेकिन फूड सप्लाई इंस्पेक्टर, फूड सप्लाई ऑफिसर, स्तर पर वैध पाए जाने के बावजूद करीब 11 लाख राशन कार्ड क्यों पड़े है ? कांग्रेस शासन में 2013-14 में फूड कार्ड की संख्या 34.55 लाख थी, आज मात्र 17.83 लाख रह गई है. 2013-14 में राशन दुकानों की संख्या 2396 थी जो मात्र 1976 है, 11 वर्षों में 420 दुकानें बंद क्यों की गई?
उन्होंने कहा कि दिल्ली कांग्रेस उपराज्यपाल से मांग करती है कि 90,000 गरीबों के राशन कार्ड नहीं देने के साथ ही पिछले 10 वर्षों में लगभग 11 लाख राशन आवेदन लंबित क्यों रहे, इसकी जांच के आदेश भी दिए जाए. उन्होंने कहा कि नेशनल फूड सिक्योरिटी एक्ट के तहत समाज के सबसे निचले वर्ग के साथ, निम्न और मध्यम वर्ग तक राशन देने की जिम्मेदारी आम आदमी पार्टी की दिल्ली सरकार की है, जिसमें वह पूरी असफल रही है.
बीजेपी ने भी माना, कांग्रेस ने किया विकास कार्य
देवेन्द्र यादव ने कहा कि बीजेपी 10 वर्ष पहले की दिल्ली सरकार का उदाहरण देती है कि सब कुछ व्यवस्थित था और दिल्ली प्रगति की राह पर चल रही थी, दिल्ली के हर नागरिक तक जन सुविधाएं, पब्लिक ट्रांसपोर्ट और राशन हर गरीब के घर तक पहुंचता था. उन्होंने कहा कि बीजेपी दिल्ली के गरीब लोगों की बात करके सिर्फ वोट बैंक की राजनीति कर रही है. यह वंचित वर्ग जानता है कि बीजेपी ने कभी भी इनके उत्थान के लिए कुछ नही किया और 11 वर्षों में आम आदमी पार्टी ने इनको वोट बैंक के रुप में इस्तेमाल किया है.
देवेन्द्र यादव ने कहा कि आज पीने के पानी के साथ, लोग राशन और अपनी स्वास्थ्य सुरक्षा के लिए अतिरिक्त खर्च का बोझ उठा रहे हैं. उन्होंने कहा कि दिल्ली कांग्रेस, उपराज्यपाल से मांग करती है कि यदि दिल्ली वालों के हितों और कल्याण के लिए नीति बनानी है तो तुरंत लंबित पड़े 11 लाख राशन कार्ड बनाने के लिए जांच के आदेश दे. उन्होंने कहा कि कांग्रेस ने दिल्ली में अपने 15 साल के शासन में हमेशा हर गरीब और जरुरतमंद को राशन सहित हर वह सुविधा दी थी जिनके वो हकदार थे. परंतु सत्ताधारी आम आदमी पार्टी और भाजपा की आपसी लड़ाई के कारण दिल्ली हर क्षेत्र में पिछड़ गई है.
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