नई दिल्ली: कहते हैं कि अगर दिल में कुछ कर गुजरने का जुनून हो, तो कोई भी काम मुश्किल नहीं रह जाता. दिल्ली के 16 वर्षीय हृदान शर्मा, इस बात को चरितार्थ करते हुए नजर आते हैं. दरअसल ह्रदान ने दृष्टिबाधित बच्चों के लिए एक ऐप बनाया है, जिसे फोन में ही डाउनलोड कर के आंखों की जांच की जा सकती है. इसके बाद उनकी दृष्टि दोष को कम करने की ओर बढ़ा जा सकता है.
इस तरह हुई शुरुआत: हृदान अपने माता-पिता के साथ पश्चिमी दिल्ली के जनकपुरी इलाके में रहते हैं. उनकी मां एक सरकारी स्कूल में शिक्षिका हैं, जबकि पिता अनिल शर्मा पुलिस अधिकारी हैं. उन्होंने बताया कि उन्हें बचपन से ही बच्चों को पढ़ाने का शौक है. इसलिए वे अलग-अलग स्कूलों के बच्चों को बेसिक मैथ और कंप्यूटर साइंस पढ़ाते हैं. पढ़ाने के दौरान उन्होंने देखा कि बच्चे किताब और ब्लैक बोर्ड पर लिखे हुए शब्दों को ठीक से नहीं पढ़ पा रहे थे और उन्हें साफ दिखाई नहीं दे रहा था. इसके बाद उन्होंने ऐसा ऐप बनाने का निर्णय लिया. यह उनके लिए सबसे अधिक मददगार है, जिनके माता पिता बच्चों की आंखों की जांच नहीं करा पाते.
आंकड़ों ने किया स्तब्ध: उन्होंने आगे बताया कि, मैंने यह ऐप पांच महीने पहले बनाया था. जब मैंने बच्चों की इस समस्या को लेकर रिसर्च किया तो पता चला कि पूरे भारत में 93 लाख लोग विजुअली इंपेयर्ड यानि की दृष्टि बाधित हैं, जिनमें से 2,70,000 लोग दृष्टिहीन हैं. वहीं हर एक हजार बच्चों में से एक बच्चा दृष्टिहीन है. इन सभी समस्याओं को देखकर मुझे लगा कि इनके लिए कुछ करना चाहिए. इसलिए मैंने विजन टू विजन ऐप बनाया. इस ऐप को बनाने के बाद सरकारी स्कूलों में जिले के उप शिक्षा निदेशक के सहयोग से आई चेकअप कैंप शुरू किए. इसके पहले चरण में बच्चों की आंखों की जांच शुरू की, तो देखा कि छठीं कक्षा के छात्र की आई-साइट-8 थी, जिसे एक तरह से दृष्टिहीन ही कहेंगे.
![कई स्कूलों में लगा चुके हैं कैंप](https://etvbharatimages.akamaized.net/etvbharat/prod-images/28-06-2024/del-ndl-01-visiontovision-app-photo-vis-7211683_27062024201908_2706f_1719499748_736.jpg)
इस तरह से करता है काम: हृदान ने ऐप को प्ले स्टोर से डाउनलोड करने के बाद, इससे आंखों का टेस्ट करने के लिए मोबाइल 40 सेंटीमीटर की दूरी पर रखना होता है. इसके बाद ऐप पर क्लिक करने पर उसमें लेटर्स आते हैं. आपको माइक बटन दबाकर उन लेटर्स को पढ़ना है. अगर आप सही पढ़ेंगे तो ऐप में ग्रीन सिग्नल दिखाएगा और गलत पढ़ेंगे तो रेड सिग्नल. ऐसा ही करके दोनों आंखों का टेस्ट होगा. इसके बाद आपको ऐप के माध्यम से अपनी विजुअल एक्टिविटी और चश्मे का पावर का पता चल जाएगा. हमने इस ऐप में वही चार्ट अटैच किया है, जिस चार्ट को पढ़वाकर डॉक्टर आंखों का टेस्ट करते हैं. हमने एक्यूरेसी का पता करने के लिए बहुत से स्कूलों में ऐप से और दूसरे तरीके दोनों से आंखों की जांच की है. अभी तक 90 प्रतिशत मामलों में ऐप की एक्यूरेट रही है.
17 हजार बच्चों की कर चुके हैं जांच: उन्होंने आगे बताया कि वह अभी तक दिल्ली के 42 सरकारी स्कूलों में 43 कैंप लगाकर 17 हजार बच्चों की आंखों की जांच कर चुके हैं. साथ ही विजन फाउंडेशन की मदद से 1600 बच्चों को निःशुल्क चश्मे भी प्रदान कर चुके हैं. ह्रदान ने बताया, स्कूलों में कैंप लगाने के लिए हमने उप शिक्षा निदेशक पश्चिमी जोन राजबीर सिंह से बात की थी. उन्हें हमारा प्रोजेक्ट बहुत अच्छा लगा, इसलिए उन्होंने हमें स्कूलों में कैंप लगाने की अनुमति दी थी. स्वास्थ्य और शिक्षा मंत्रालय ने भी हमारे काम की तारीफ की है. हमारा उद्देश्य है विजन फॉर ऑल बाइ द ईयर 2045, यानी वर्ष 2045 तक पूरे देश के दृष्टिबाधित बच्चों को चश्मा उपलब्ध करा सकें.
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पढ़ाई करते समय बच्चे पर नजर रखें माता-पिता: हृदान ने कहा कि जब बच्चे को देखने में समस्या होती है तो उसकी सबसे सटीक पहचान होती है कि उसे ब्लैकबोर्ड पर लिखा हुआ साफ दिखाई नहीं देता है. इस समस्या को बहुत से बच्चे अपने घर पर नहीं बताते हैं. अगर बच्चा ब्लैकबोर्ड पर लिखा हुआ नहीं साफ नहीं देख पा रहा है, तो तुरंत उसकी आंखों की जांच कराएं. उन्होंने बताया कि वह आगे कंप्यूटर इंजीनियर बनकर इसी क्षेत्र में काम करना चाहते हैं, ताकि वह आंखों की जांच को और सुलभ बना सकें.
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