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निगम मंडल में नियुक्तियों को लेकर राजनीति, कांग्रेस के आरोपों पर बीजेपी का पलटवार

छत्तीसगढ़ में बीजेपी सरकार को बने एक साल हो चुके हैं.लेकिन अब तक निगम मंडल आयोग में नियुक्तियां नहीं हो सकी है.

Congress attacked BJP
निगम मंडल आयोग में नहीं हो सकी नियुक्तियां (ETV BHARAT CHHATTISGARH)
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By ETV Bharat Chhattisgarh Team

Published : 9 hours ago

रायपुर : छत्तीसगढ़ में बीजेपी की सरकार बने एक साल बीत गए हैं. लेकिन अभी तक निगम मंडल आयोग में नई नियुक्तियां नहीं हुई है. पूर्ववर्ती सरकार में भी कई निगम मंडल आयोग में नियुक्ति नहीं हो पाई थी. पहले ऐसा लग रहा था कि सरकार के कामकाज संभालते ही आयोग में नियुक्तियां हो जाएंगी.लेकिन ऐसा नहीं हुआ.इसके बाद लगा कि लोकसभा चुनाव के बाद पार्टी निगम मंडल को लेकर बड़ा फैसला लेगी.लेकिन फिर निगम मंडलों में नियुक्तियां नहीं हुई. इसके बाद जब उपचुनाव हुए तो भी निगम मंडल की सूची जारी नहीं हुई. अब प्रदेश में निकाय चुनाव सिर पर हैं.ऐसे में अब तक निगम मंडल आयोग में नियुक्तियां नहीं हुई हैं.जिसके बाद अब कयास लगने लगे हैं कि क्या बीजेपी पूर्व की कांग्रेस के नक्शे कदम पर चल रही है.

कांग्रेस ने नियुक्तियों को लेकर हमला : अब इस मामले को लेकर प्रदेश में राजनीति शुरू हो गई है. कांग्रेस ने निगम मंडल आयोग में नियुक्ति ना किए जाने को लेकर सरकार पर हमला बोला है. कांग्रेस मीडिया विभाग के प्रदेश अध्यक्ष सुशील आनंद शुक्ला का कहना है कि नियुक्ति पाने का अधिकार सत्ता दल के कार्यकर्ताओं का होता है. एक साल का समय हो गया, लेकिन सरकार में गुटबाजी के कारण निगम मंडल आयोग में नियुक्ति नहीं की जा रही है. निश्चित तौर पर कार्यकर्ताओं का हक मारा जा रहा है.

यह संवैधानिक प्रावधान है, कानून में ऐसी व्यवस्था है कि जनप्रतिनिधियों को सामाजिक क्षेत्र में काम करने वाले राजनीतिक दल के नेताओं को निगम मंडल आयोग नियुक्त की जाती है.जिस दल की सरकार होती है. उन्हें वहां नियुक्ति दी जाती है. जिससे वे जनता की सेवा कर सके.लेकिन दुर्भाग्य से बीजेपी में गुटबाजी के चलते यह नियुक्ति नहीं हो पा रही है.ये गलत है यहां कार्यकर्ताओं का हक मारा जा रहा है- सुशील आनंद शुक्ला, प्रदेशाध्यक्ष, मीडिया विभाग कांग्रेस


वहीं कांग्रेस के इस बयान पर पलटवार करते हुए प्रदेश प्रवक्ता संजय श्रीवास्तव ने कहा कि सरकार हमारी है, निर्णय हमें करना है. वह चिंतित हो रहे हैं, यह अपने आप में बेईमानी है. हमने 60 लाख सदस्य बना लिए हम सक्रिय सदस्य बना रहे हैं. चुनाव कर ले रहे हैं. लेकिन दीपक बैज जो पीसीसी के अध्यक्ष है. वह अपनी कार्यकारिणी तक नहीं बन पा रहे हैं. जो अपनी कार्यकारिणी नहीं बन पा रहे हो. वह सरकार की चिंता करेंगे.

पहले हमारी प्राथमिकता लोकसभा और विधानसभा उपचुनाव थी.अब हम नगरी निकाय चुनाव की तैयारी कर रहे हैं, बीच-बीच में इस तरह की कुछ नियुक्तियां भी हो रही है. मुझे लगता है कि जल्द ही ये नियुक्तियां हो जाएगी. कांग्रेस को अपने घर को ठीक करने की आवश्यकता है. दूसरे घरों में झांकने के कारण अपना घर बर्बाद हो जाए, इस बात की चिंता कांग्रेस करनी चाहिए - संजय श्रीवास्तव ,प्रदेश प्रवक्ता बीजेपी



बीजेपी ने कांग्रेस पर कसा तंज : पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार के दौरान 5 साल बाद भी निगम मंडल आयोग की नियुक्ति न होने पर संजय श्रीवास्तव ने तंज कसते हुए कहा कि वो नेता आधारित पार्टी है. पहले कांग्रेस प्रदेश प्रभारी थे, फिर शैलजा बनी. सभी अपने-अपने कार्यकर्ताओं की लिस्ट जेब में लेकर 5 साल घूमते रहे. उनमें एक भी नहीं हो पाएं, इसलिए उनके निगम मंडल आयोग अधूरे रह गए. लेकिन बीजेपी में ऐसा नहीं है, इसमें समय लगता है, इसका भी समय निर्धारण करेंगे. सभी नेताओं कार्यकर्ताओं उनके योग्यता सीनियरिटी के हिसाब से नियुक्ति दी जाएगी. इसकी तैयारी भी की गई है.


नियुक्ति में देर होने पर क्या है नुकसान : वहीं राजनीति के जानकार एवं वरिष्ठ पत्रकार अनिरुद्ध दुबे का कहना है कि आज बीजेपी सरकार को लगभग 1 साल पूरे होने जा रहे हैं. इसके पहले जुलाई में निगम मंडल आयोग में नियुक्ति को लेकर चर्चा जोरों पर थी, बाद में विधानसभा सत्र आया. उस बीच में निगम मंडल आयोग में नियुक्ति को लेकर चर्चा थी. इसके बाद लोकसभा चुनाव और विधानसभा उपचुनाव के दौरान भी निगम मंडल आयोग में नियुक्ति कि सिर्फ चर्चा ही रही, लेकिन अब तक नियुक्ति नहीं की गई है. इन कामों में देरी नहीं होनी चाहिए, क्योंकि पार्टी के नेताओं और कार्यकर्ताओं में इन नियुक्तियों को लेकर काफी उम्मीदें और आकांक्षाएं होती हैं.जो लोग इस दौड़ में शामिल हैं वो आज परेशान हैं, इसलिए इन नियुक्तियों में देरी नहीं करना चाहिए.

पूर्ववर्ती सरकारों की बात की जाए तो साल 2003 में डॉ रमन सरकार ने सत्ता पर काबिज होने के कुछ महीने बाद ही निगम मंडल आयोग की नियुक्ति कर दी थी, यानी की 2003 में सरकार बनी और 2004 के शुरुआती महीना में ही निगम मंडल आयोग में नियुक्ति कर दी गई.वहीं डॉ रमन सरकार के दूसरे कार्यकाल में भी निगम मंडल आयोग में जल्दी नियुक्ति दी गई, हालांकि रमन सरकार के तीसरे कार्यकाल नियुक्ति में काफी देरी हुई थी - अनिरुद्ध दुबे, वरिष्ठ पत्रकार

भूपेश शासन में भी हुई देरी : वहीं पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार के कार्यकाल में निगम मंडल आयोग की नियुक्ति को लेकर अनिरुद्ध दुबे ने कहा कि भूपेश सरकार में कुछ नियुक्ति सरकार बनने के कुछ समय बाद ही हो गई थी. कुछ नियुक्तियां साल डेढ़ साल बाद हुई और कुछ नियुक्तियां 5 साल बाद भी नहीं हुई. वहीं साय सरकार की बात की जाए तो एक साल बाद भी निगम मंडल आयोग में नियुक्ति नहीं की गई है. सरकार को नियुक्ति जल्दी करना चाहिए, जिससे पार्टी नेता कार्यकर्ताओं का मनोबल बढ़ेगा और इसका लाभ पार्टी मिलेगा.


आपको बता दें कि प्रदेश की करीब 30 से अधिक निगम-मंडलों, आयोगों में करीब 200 से अधिक नियुक्तियां होनी है. इस निगम मंडल आयोग में जगह पाने के लिए पार्टी के नेता कार्यकर्ता एड़ी चोटी का जोर लगा रहे हैं. उसमें वे नेता भी शामिल है, जो कांग्रेस छोड़कर बीजेपी में आए हैं. उम्मीद है कि निगम मंडल आयोग में उन्हें भी जगह दी जाएगी. गौरतलब है कि निगम-मंडल आयोगों के अध्यक्षों को कैबिनेट मंत्री का दर्जा भी दिया जाता है. इसमें उनके वेतन-भत्ता, गाड़ी, आवास की सुविधा दी जाती है. इसी तरह अलग-अलग मंडल आयोगों में सदस्यों को भी सुविधाओं का लाभ मिलता है. इन पदों पर ज्यादातर राजनीतिक व्यक्तियों को ही बैठाया जाता है.

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रायपुर : छत्तीसगढ़ में बीजेपी की सरकार बने एक साल बीत गए हैं. लेकिन अभी तक निगम मंडल आयोग में नई नियुक्तियां नहीं हुई है. पूर्ववर्ती सरकार में भी कई निगम मंडल आयोग में नियुक्ति नहीं हो पाई थी. पहले ऐसा लग रहा था कि सरकार के कामकाज संभालते ही आयोग में नियुक्तियां हो जाएंगी.लेकिन ऐसा नहीं हुआ.इसके बाद लगा कि लोकसभा चुनाव के बाद पार्टी निगम मंडल को लेकर बड़ा फैसला लेगी.लेकिन फिर निगम मंडलों में नियुक्तियां नहीं हुई. इसके बाद जब उपचुनाव हुए तो भी निगम मंडल की सूची जारी नहीं हुई. अब प्रदेश में निकाय चुनाव सिर पर हैं.ऐसे में अब तक निगम मंडल आयोग में नियुक्तियां नहीं हुई हैं.जिसके बाद अब कयास लगने लगे हैं कि क्या बीजेपी पूर्व की कांग्रेस के नक्शे कदम पर चल रही है.

कांग्रेस ने नियुक्तियों को लेकर हमला : अब इस मामले को लेकर प्रदेश में राजनीति शुरू हो गई है. कांग्रेस ने निगम मंडल आयोग में नियुक्ति ना किए जाने को लेकर सरकार पर हमला बोला है. कांग्रेस मीडिया विभाग के प्रदेश अध्यक्ष सुशील आनंद शुक्ला का कहना है कि नियुक्ति पाने का अधिकार सत्ता दल के कार्यकर्ताओं का होता है. एक साल का समय हो गया, लेकिन सरकार में गुटबाजी के कारण निगम मंडल आयोग में नियुक्ति नहीं की जा रही है. निश्चित तौर पर कार्यकर्ताओं का हक मारा जा रहा है.

यह संवैधानिक प्रावधान है, कानून में ऐसी व्यवस्था है कि जनप्रतिनिधियों को सामाजिक क्षेत्र में काम करने वाले राजनीतिक दल के नेताओं को निगम मंडल आयोग नियुक्त की जाती है.जिस दल की सरकार होती है. उन्हें वहां नियुक्ति दी जाती है. जिससे वे जनता की सेवा कर सके.लेकिन दुर्भाग्य से बीजेपी में गुटबाजी के चलते यह नियुक्ति नहीं हो पा रही है.ये गलत है यहां कार्यकर्ताओं का हक मारा जा रहा है- सुशील आनंद शुक्ला, प्रदेशाध्यक्ष, मीडिया विभाग कांग्रेस


वहीं कांग्रेस के इस बयान पर पलटवार करते हुए प्रदेश प्रवक्ता संजय श्रीवास्तव ने कहा कि सरकार हमारी है, निर्णय हमें करना है. वह चिंतित हो रहे हैं, यह अपने आप में बेईमानी है. हमने 60 लाख सदस्य बना लिए हम सक्रिय सदस्य बना रहे हैं. चुनाव कर ले रहे हैं. लेकिन दीपक बैज जो पीसीसी के अध्यक्ष है. वह अपनी कार्यकारिणी तक नहीं बन पा रहे हैं. जो अपनी कार्यकारिणी नहीं बन पा रहे हो. वह सरकार की चिंता करेंगे.

पहले हमारी प्राथमिकता लोकसभा और विधानसभा उपचुनाव थी.अब हम नगरी निकाय चुनाव की तैयारी कर रहे हैं, बीच-बीच में इस तरह की कुछ नियुक्तियां भी हो रही है. मुझे लगता है कि जल्द ही ये नियुक्तियां हो जाएगी. कांग्रेस को अपने घर को ठीक करने की आवश्यकता है. दूसरे घरों में झांकने के कारण अपना घर बर्बाद हो जाए, इस बात की चिंता कांग्रेस करनी चाहिए - संजय श्रीवास्तव ,प्रदेश प्रवक्ता बीजेपी



बीजेपी ने कांग्रेस पर कसा तंज : पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार के दौरान 5 साल बाद भी निगम मंडल आयोग की नियुक्ति न होने पर संजय श्रीवास्तव ने तंज कसते हुए कहा कि वो नेता आधारित पार्टी है. पहले कांग्रेस प्रदेश प्रभारी थे, फिर शैलजा बनी. सभी अपने-अपने कार्यकर्ताओं की लिस्ट जेब में लेकर 5 साल घूमते रहे. उनमें एक भी नहीं हो पाएं, इसलिए उनके निगम मंडल आयोग अधूरे रह गए. लेकिन बीजेपी में ऐसा नहीं है, इसमें समय लगता है, इसका भी समय निर्धारण करेंगे. सभी नेताओं कार्यकर्ताओं उनके योग्यता सीनियरिटी के हिसाब से नियुक्ति दी जाएगी. इसकी तैयारी भी की गई है.


नियुक्ति में देर होने पर क्या है नुकसान : वहीं राजनीति के जानकार एवं वरिष्ठ पत्रकार अनिरुद्ध दुबे का कहना है कि आज बीजेपी सरकार को लगभग 1 साल पूरे होने जा रहे हैं. इसके पहले जुलाई में निगम मंडल आयोग में नियुक्ति को लेकर चर्चा जोरों पर थी, बाद में विधानसभा सत्र आया. उस बीच में निगम मंडल आयोग में नियुक्ति को लेकर चर्चा थी. इसके बाद लोकसभा चुनाव और विधानसभा उपचुनाव के दौरान भी निगम मंडल आयोग में नियुक्ति कि सिर्फ चर्चा ही रही, लेकिन अब तक नियुक्ति नहीं की गई है. इन कामों में देरी नहीं होनी चाहिए, क्योंकि पार्टी के नेताओं और कार्यकर्ताओं में इन नियुक्तियों को लेकर काफी उम्मीदें और आकांक्षाएं होती हैं.जो लोग इस दौड़ में शामिल हैं वो आज परेशान हैं, इसलिए इन नियुक्तियों में देरी नहीं करना चाहिए.

पूर्ववर्ती सरकारों की बात की जाए तो साल 2003 में डॉ रमन सरकार ने सत्ता पर काबिज होने के कुछ महीने बाद ही निगम मंडल आयोग की नियुक्ति कर दी थी, यानी की 2003 में सरकार बनी और 2004 के शुरुआती महीना में ही निगम मंडल आयोग में नियुक्ति कर दी गई.वहीं डॉ रमन सरकार के दूसरे कार्यकाल में भी निगम मंडल आयोग में जल्दी नियुक्ति दी गई, हालांकि रमन सरकार के तीसरे कार्यकाल नियुक्ति में काफी देरी हुई थी - अनिरुद्ध दुबे, वरिष्ठ पत्रकार

भूपेश शासन में भी हुई देरी : वहीं पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार के कार्यकाल में निगम मंडल आयोग की नियुक्ति को लेकर अनिरुद्ध दुबे ने कहा कि भूपेश सरकार में कुछ नियुक्ति सरकार बनने के कुछ समय बाद ही हो गई थी. कुछ नियुक्तियां साल डेढ़ साल बाद हुई और कुछ नियुक्तियां 5 साल बाद भी नहीं हुई. वहीं साय सरकार की बात की जाए तो एक साल बाद भी निगम मंडल आयोग में नियुक्ति नहीं की गई है. सरकार को नियुक्ति जल्दी करना चाहिए, जिससे पार्टी नेता कार्यकर्ताओं का मनोबल बढ़ेगा और इसका लाभ पार्टी मिलेगा.


आपको बता दें कि प्रदेश की करीब 30 से अधिक निगम-मंडलों, आयोगों में करीब 200 से अधिक नियुक्तियां होनी है. इस निगम मंडल आयोग में जगह पाने के लिए पार्टी के नेता कार्यकर्ता एड़ी चोटी का जोर लगा रहे हैं. उसमें वे नेता भी शामिल है, जो कांग्रेस छोड़कर बीजेपी में आए हैं. उम्मीद है कि निगम मंडल आयोग में उन्हें भी जगह दी जाएगी. गौरतलब है कि निगम-मंडल आयोगों के अध्यक्षों को कैबिनेट मंत्री का दर्जा भी दिया जाता है. इसमें उनके वेतन-भत्ता, गाड़ी, आवास की सुविधा दी जाती है. इसी तरह अलग-अलग मंडल आयोगों में सदस्यों को भी सुविधाओं का लाभ मिलता है. इन पदों पर ज्यादातर राजनीतिक व्यक्तियों को ही बैठाया जाता है.

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