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दून नगर निगम महाघोटाला: 9 करोड़ के सफाई कर्मचारी वेतन घोटाले में कार्रवाई का इंतजार हुआ लंबा, जानें क्यों - Municipal Corporation salary scam - MUNICIPAL CORPORATION SALARY SCAM

Delay in action in Dehradun Municipal Corporation salary scam देहरादून नगर निगम में स्वच्छता समिति की आड़ में हुए करीब 9 करोड़ रुपए के वेतन घोटाले में कार्रवाई का इंतजार लंबा होता जा रहा है. जांच रिपोर्ट और फाइल नगर आयुक्त और स्वास्थ्य अधिकारी की टेबल पर इधर से उधर दौड़ रही है. अब एक और नई जांच ने देहरादून नगर निगम के इस वेतन महाघोटाले की कार्रवाई का इंतजार और लंबा कर दिया है.

Dehradun Municipal Corporation salary scam
नगर निगम सफाई कर्मी वेतन घोटाला (Photo- ETV Bharat)
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By ETV Bharat Uttarakhand Team

Published : Aug 7, 2024, 12:03 PM IST

Updated : Aug 7, 2024, 2:05 PM IST

दून नगर निगम वेतन घोटाले में कार्रवाई की इंतजार (Video- ETV Bharat)

देहरादून: शहर की सफाई व्यवस्था में लगाए नगर निगम की ओर से स्वच्छता समिति के तहत सफाई कर्मचारियों के नाम पर हुए करोड़ों रुपए के वेतन फर्जीवाड़े में कार्रवाई का इंतजार और लंबा हो गया है. करीब 7 महीने से जांच के बाद जांच रिपोर्ट और फाइल इधर से उधर घूमने सिलसिला तो अभी चल ही रहा था, लेकिन अब शासन स्तर से मामले में एक और जांच बैठा दी गई है.

दून नगर निगम महाघोटाला: इस पूरे मामले में अब शहरी विकास निदेशालय जांच करेगा और निदेशालय ने कमेटी का गठन कर अब तक हुई जांच का परीक्षण शुरू कर दिया है. साथ ही निदेशालय की कमेटी ने मामले से जुड़े दस्तावेज और अब तक की गई जांच की रिपोर्ट मांगी है. बता दें कि साल 2019 में तीसरी बोर्ड बैठक में निर्णय लेने के बाद देहरादून नगर निगम के सभी 100 वार्डों में साफ-सफाई के लिए स्वच्छता समिति बनाई गई थी. प्रत्येक वार्ड में बनाई गई समिति में 8 से 12 सफाई कर्मचारी कार्यरत बताए गए थे. इनके वेतन के लिए 15-15 हजार रुपए स्वच्छता समिति को दिए जाते थे. ऐसे में शहर भर में यह संख्या करीब एक हजार है.

स्वच्छता समिति के नाम पर हुआ घोटाला: नगर निगम बोर्ड का कार्यकाल खत्म होने से पहले सफाई कर्मचारियों का वेतन स्वास्थ्य समिति को दिया जाता था. लेकिन 2 दिसंबर 2023 को बोर्ड भंग होने के बाद नई व्यवस्था बनाने का प्रयास किया गया था. कर्मचारियों के वेतन और पीएफ आदि में गड़बड़ी की शिकायत मिलने के बाद सीधे कर्मचारियों के खाते में वेतन की धनराशि ट्रांसफर करने का निर्णय लिया गया. इसके लिए नगर निगम ने समितियों के एक-एक कर्मचारी की भौतिक उपस्थित, आधार कार्ड और बैंक खाता संख्या जुटाए थे.

99 फर्जी स्वच्छता कर्मियों ने नाम पर डकारा वेतन: नगर निगम की टीम ने सत्यापन में पाया कि पहले उपलब्ध कराई गई सूची में से कई जगह कर्मचारी मौके पर नहीं मिले और उनके स्थान पर कोई अन्य व्यक्ति कार्य करते पाए गए. इससे साफ हो गया कि सूची के अनुसार दिया जा रहा वेतन गलत व्यक्ति को दिया जा रहा था. इसके बाद नगर निगम प्रशासक सोनिका ने सीडीओ झरना कामठन को मामले की जांच सौंपी. भौतिक सत्यापन के साथ दस्तावेजों की जांच में पाया गया कि 99 कर्मचारी ऐसे थे, जिनके नाम नगर निगम को उपलब्ध कराए गए थे, लेकिन वो अस्तित्व में नहीं थे.

टेबल-टेबल घूम रही फाइल: सीडीओ द्वारा इसकी जांच रिपोर्ट नगर निगम प्रशासक को सौंप दी गई है. जिसके बाद फाइल नगर निगम में एक टेबल से दूसरी टेबल में अब तक घूम रही है. नगर आयुक्त द्वारा बार-बार नगर स्वास्थ्य अधिकारी से जांच की संख्या मांगी जाती है, लेकिन हर बार नगर स्वास्थ्य अधिकारी द्वारा आख्या में कुछ कमी रह जाती है. जिसके बाद नगर आयुक्त फिर से नगर स्वास्थ्य अधिकारी के पास फाइल भेज देते हैं. पिछले कई महीनों से चल रही जांच के बाद फिर से यह फाइल शहरी निदेशालय जाएगी और वहां पर जांच रिपोर्ट जारी की जाएगी.

9 करोड़ का है घोटाला: करीब 9 करोड़ के स्वच्छता समिति से जुड़े इस घोटाले में नगर आयुक्त गौरव कुमार ने बताया कि नगर स्वास्थ्य अधिकारी से आख्या मांगी गई है. साथ ही शहरी निदेशालय ने भी नगर निगम से आख्या मांगी है, जिसके बाद शहरी निदेशालय द्वारा फाइल का परीक्षण कराया जाएगा.
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दून नगर निगम महाघोटाला: इस पूरे मामले में अब शहरी विकास निदेशालय जांच करेगा और निदेशालय ने कमेटी का गठन कर अब तक हुई जांच का परीक्षण शुरू कर दिया है. साथ ही निदेशालय की कमेटी ने मामले से जुड़े दस्तावेज और अब तक की गई जांच की रिपोर्ट मांगी है. बता दें कि साल 2019 में तीसरी बोर्ड बैठक में निर्णय लेने के बाद देहरादून नगर निगम के सभी 100 वार्डों में साफ-सफाई के लिए स्वच्छता समिति बनाई गई थी. प्रत्येक वार्ड में बनाई गई समिति में 8 से 12 सफाई कर्मचारी कार्यरत बताए गए थे. इनके वेतन के लिए 15-15 हजार रुपए स्वच्छता समिति को दिए जाते थे. ऐसे में शहर भर में यह संख्या करीब एक हजार है.

स्वच्छता समिति के नाम पर हुआ घोटाला: नगर निगम बोर्ड का कार्यकाल खत्म होने से पहले सफाई कर्मचारियों का वेतन स्वास्थ्य समिति को दिया जाता था. लेकिन 2 दिसंबर 2023 को बोर्ड भंग होने के बाद नई व्यवस्था बनाने का प्रयास किया गया था. कर्मचारियों के वेतन और पीएफ आदि में गड़बड़ी की शिकायत मिलने के बाद सीधे कर्मचारियों के खाते में वेतन की धनराशि ट्रांसफर करने का निर्णय लिया गया. इसके लिए नगर निगम ने समितियों के एक-एक कर्मचारी की भौतिक उपस्थित, आधार कार्ड और बैंक खाता संख्या जुटाए थे.

99 फर्जी स्वच्छता कर्मियों ने नाम पर डकारा वेतन: नगर निगम की टीम ने सत्यापन में पाया कि पहले उपलब्ध कराई गई सूची में से कई जगह कर्मचारी मौके पर नहीं मिले और उनके स्थान पर कोई अन्य व्यक्ति कार्य करते पाए गए. इससे साफ हो गया कि सूची के अनुसार दिया जा रहा वेतन गलत व्यक्ति को दिया जा रहा था. इसके बाद नगर निगम प्रशासक सोनिका ने सीडीओ झरना कामठन को मामले की जांच सौंपी. भौतिक सत्यापन के साथ दस्तावेजों की जांच में पाया गया कि 99 कर्मचारी ऐसे थे, जिनके नाम नगर निगम को उपलब्ध कराए गए थे, लेकिन वो अस्तित्व में नहीं थे.

टेबल-टेबल घूम रही फाइल: सीडीओ द्वारा इसकी जांच रिपोर्ट नगर निगम प्रशासक को सौंप दी गई है. जिसके बाद फाइल नगर निगम में एक टेबल से दूसरी टेबल में अब तक घूम रही है. नगर आयुक्त द्वारा बार-बार नगर स्वास्थ्य अधिकारी से जांच की संख्या मांगी जाती है, लेकिन हर बार नगर स्वास्थ्य अधिकारी द्वारा आख्या में कुछ कमी रह जाती है. जिसके बाद नगर आयुक्त फिर से नगर स्वास्थ्य अधिकारी के पास फाइल भेज देते हैं. पिछले कई महीनों से चल रही जांच के बाद फिर से यह फाइल शहरी निदेशालय जाएगी और वहां पर जांच रिपोर्ट जारी की जाएगी.

9 करोड़ का है घोटाला: करीब 9 करोड़ के स्वच्छता समिति से जुड़े इस घोटाले में नगर आयुक्त गौरव कुमार ने बताया कि नगर स्वास्थ्य अधिकारी से आख्या मांगी गई है. साथ ही शहरी निदेशालय ने भी नगर निगम से आख्या मांगी है, जिसके बाद शहरी निदेशालय द्वारा फाइल का परीक्षण कराया जाएगा.
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Last Updated : Aug 7, 2024, 2:05 PM IST
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