रोहतक: "मंजिल उन्हीं को मिलती है जिनके सपनो में जान होती है, पंख से कुछ नहीं होता हौंसलों से ही उड़ान होती है". इस कहावत को रोहतक के सुखपुरा चौक की रहने वाली अनुराधा ने चरितार्थ कर दी है. दरअसल अनुराधा जब ग्यारह महीने की थी तब गलत इंजेक्शन लगने के कारण वह दिव्यांगता का शिकार हो गयी. लेकिन उसने हिम्मत नहीं हारी और अपना सपना पूरा किया.
बीकॉम की मिली डिग्री: अनुराधा रोहतक के आईसी कॉलेज में पढ़ाई करती है. वहीं से उसने बीकॉम की परीक्षा अच्छे नंबर से पास की. अनुराधा चलने में असमर्थ हैं. इस कारण वह कुर्सी पर बैठकर जब बीकॉम की डिग्री लेने आई तो मौजूद लोगों ने तालियों के साथ उसका स्वागत किया. अनुराधा की इस उपलब्धि की तारीफ न केवल छात्राएं बल्कि टीचर भी कर रहे हैं.
माता-पिता को दिया श्रेय: अनुराधा अपनी सफलता का श्रेय माता-पिता को देती है. अनुराधा बताती है कि "उसके माता-पिता उसे भाइयों से ज्यादा प्यार करते हैं. वह चलने फिरने में सक्षम नहीं है बावजूद इसके भी माता-पिता बेटों की तरह प्यार करते हैं. उन्हीं की बदौलत मैं यहां तक पहुंच पाई हूं". अनुराधा का कहना है कि फिलहाल वह बैंकिंग सेक्टर में जाना चाहती है.
अनुराधा की बुलंद सोच: अनुराधा का कहना है कि "किसी के पास सब कुछ होकर भी कुछ नहीं होता, तो किसी के पास कुछ न होकर भी सब कुछ होता है. हौसला कम नहीं होना चाहिए इसलिए मेहनत की और यह डिग्री प्राप्त की है".
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