चरखी दादरी: भारतवर्ष में दीपों का त्योहार दीपावली बड़े धूमधाम से मनाई जाती है. हिंदू धर्म साथ-साथ अन्य कई धर्म भी दीपावली के त्यौहार को धूमधाम से मनाते हैं. दिवाली के इस पर्व पर बाजारों में मिट्टी के दियों की डिमांड ज्यादा बढ़ गई है. बाजारों में पारंपरिक वस्तुएं सजनी शुरू कर दी गई हैं. इनमें मिट्टी के दीपक आकर्षण का प्रमुख कारण बने हुए हैं. मिट्टी के दीपक के आगे चाइनीज लड़ियों की चमक फीकी पड़ गई है. इस बार दीपावली के त्योहार को लेकर कुम्हारों को अच्छा-खासा बिजनेस होने का अनुमान है.
मिट्टी के दीपक की बढ़ी डिमांड: बाजारों में मिट्टी के दीयों की डिमांड बढ़ने के कारण कुम्हारों के चाक की रफ्तार भी तेज हो गई है. बाजारों में जहां मिट्टी के बर्तनों की मांग बढ़ी है, वहीं चाइनीज सामान और फैंसी आइटमों की उतनी डिमांड नहीं देखी जा रही है. कारीगरों की सरकार से पटाखों की तर्ज पर चाइनीज आइटमों की बिक्री पर रोक लगाने की मांग उठाई है.
'चाइनीज सामान पर रोक लगाएं सरकार': इस दिवाली कुम्हारों के चेहरे खिले हुए हैं. इस बार ज्यादा मिट्टी के दीपक और बर्तनों की बिक्री हुई है. हालांकि इस बार पिछले वर्षों की तुलना में लोगों की डिमांड रंग-बिरंगे मिट्टी के दीये ही हैं. दीयों के अलावा फ्लावर पाट व पानी वाले दीये भी आकर्षण का केंद्र बने हुए हैं. मिट्टी के दीये बनाने वाले कारीगर बिट्टर प्रजापति का दर्द भी सामने आया. उन्होंने कहा कि बाजारों में चाइनीज सामान और फैंसी आइटमों की वजह से मिट्टी के दीये की बिक्री पर असर पड़ रहा है. जिस तरह सरकार व प्रशासन द्वारा पटाखों पर रोक लगाई गई है, उसी अनुसार चाइनीज सामान पर भी रोक लगानी चाहिए.
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