नई दिल्ली: दिल्ली के मुखर्जी नगर स्थित सिग्नेचर व्यू अपार्टमेंट को तोड़ने की प्रक्रिया के लिए डीडीए ने कॉन्ट्रैक्टर की तलाश शुरू कर दी है. वहीं दूसरी तरफ लोगों का आरोप है कि डीडीए अपनी कार्रवाई के लिए सारी प्रक्रिया पूरी करने में लगा है, लेकिन यहां के फ्लैट्स छोड़ चुके लोगों को किराया मिलना शुरू नहीं हुआ है. इससे पहले डीडीए की ओर से अपार्टमेंट को खाली करने के लिए नोटिस दिया गया था, ताकि डीडीए अपार्टमेंट की बिजली और पानी का कनेक्शन काटकर काम जल्द शुरू कर सके.
डीडीए की कार्रवाई को लेकर सिग्नेचर व्यू अपार्टमेंट की आरडब्ल्यूए दो पक्षों के बंटी हुई नजर आ रही है. इसमें एक पक्ष ने डीडीए के खिलाफ आरडब्ल्यूए दिल्ली हाईकोर्ट भी गई और इसके खिलाफ स्टे ले लिया है. कोर्ट ने डीडीए के अधिकारियों से पूछा था कि सिग्नेचर व्यू में बने सभी टावर्स खतरनाक कैसे हैं, जिसके लिए डीडीए ने अपना जवाब कोर्ट के सामने रखा.
सिग्नेचर व्यू अपार्टमेंट रेजिडेंट्स वेलफेयर एसोसिएशन के पदाधिकारी धर्मेंद्र कुमार ने बताया कि डीडीए ने अपार्टमेंट के बने सभी 10 टावर्स को तोड़ने के लिए कॉन्ट्रैक्टर हायर करने की प्रक्रिया शुरू कर दी है. हालांकि भी तक लोगों को किराया मिलना शुरू नहीं हुआ है, जबकि सभी 10 टॉवर में 336 फ्लैट्स बने हुए हैं. इनमें से 100 फ्लैट मालिक अपना फ्लैट खाली कर दूसरी जगह किराए पर शिफ्ट हो चुके हैं और उन्हें काफी मोटा किराया देना पड़ रहा है.
वहीं डीडीए का साफ कहना है कि जब तक सभी 336 फ्लैट खाली नहीं किए जाएंगे, तबतक किराया मिलना शुरू नही होगा. वह अपने सारी औपचारिकता जल्द से जल्द पूरी कर लेना चाहता है, ताकि काम शुरू करने में देरी न हो. सिग्नेचर व्यू अपार्टमेंट में बने सभी 10 टावर्स में एचआईजी और एमआईजी 336 फ्लैट्स बने हुए हैं, जिनके लिए 50,000 और 38,000 रुपए किराया फिक्स किया गया है. डीडीए ने मांग रखी है कि वह अपना सारा खर्चा निकालने के लिए इसमें 164 और अतिरिक्त फ्लैट बनाएंगे.
वहीं आरडब्ल्यूए के दूसरे पदाधिकारी कुणाल कश्यप ने कहा कि डीडीए के खिलाफ रेजिडेंट्स वेलफेयर एसोसिएशन और फ्लैट मालिक आरडब्ल्यूए में दो अलग अलग पक्षों में खड़े नजर आ रहे हैं. कुछ फ्लैट मालिकों का कहना है कि डीडीए उसमें अतिरिक्त फ्लैट बनाएं, उससे उन्हें कोई लेना देना नहीं है, लेकिन उन्हें उनके फ्लैट का कब्जा वहीं मिलना चाहिए जहां पर पहले था. वहीं कुछ लोगों का कहना है कि डीडीए इसमें अतिरिक्त फ्लैट बनाएगी तो उससे लोगों पर असर पड़ेगा. सोसाइटी में 336 फ्लैट हैं और सभी के लिए पार्किंग और पार्क का स्पेस भी निश्चित है. जब इसमें 500 या उससे ज्यादा फ्लैट बनेंगे तो उन 500 लोगों के लिए पार्क, पार्किंग और रहने के व्यवस्था करना बड़ा मुश्किल होगा. साथ ही उनके घर की सुंदरता भी खत्म होगी. लोगों की मांग है की डीडीए फ्लैट मालिकों को अपने फ्लैट के रेनोवेशन पर खर्च किया गया पैसा भी दे, जो उन्होंने हाल ही में खर्च किया है .
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डीडीए का कहना है कि कॉन्ट्रैक्ट फाइनल होने के बाद ही बिल्डिंग को तोड़ने के लिए 120 दिन का समय लिया जाएगा. सभी टावर्स को तोड़ने की प्रक्रिया में कुल लागत 3.04 करोड रुपए खर्च होगी. टेंडर के लिए आठ अप्रैल तक अप्लाई किया जा सकता है. वहीं इसकी प्री बोर्ड मीटिंग एक अप्रैल को होगी हालांकि.
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