देहरादून: उत्तराखंड में भूस्खलन के खतरों को लेकर डेटाबेस तैयार करने के साथ ही इसके जोखिम के आकलन और स्थलीय परीक्षण को प्रभावी बनाने का काम किया जाएगा. मुख्य सचिव राधा रतूड़ी ने राज्य में लैंडस्लाइड को लेकर अधिकारियों की बैठक लेते हुए जरूरी दिशा निर्देश दिए. इस दौरान चार धाम यात्रा मार्ग क्षेत्र में लैंडस्लाइड इनफॉरमेशन डेटाबेस के तहत एटलस तैयार करने के लिए भी कहा गया.
मुख्य सचिव राधा रतूड़ी ने लैंडस्लाइड इनफॉरमेशन डेटाबेस के तहत चार धाम यात्रा मार्ग का एटलस तैयार करने के निर्देश दिए हैं. इसके साथ ही जिलेवार लैंडस्लाइड इन्वेंटरी तैयार करने और भूस्खलन की संवेदनशीलता की मैपिंग करने के लिए भी कहा गया है. राज्य में अल्मोड़ा, गोपेश्वर, मसूरी, नैनीताल और उत्तरकाशी में किये जा रहे कार्यों के बाद भूस्खलन के खतरों और जोखिम के आकलन की रिपोर्ट भी तलब की गई है.
मुख्य सचिव राधा रतूड़ी ने भूस्खलन की सूचनाओं के डाटाबेस तैयार करने भूस्खलन के खतरों और जोखिम के आकलन, भूस्खलन के स्थलीय परीक्षण को प्रभावी बनाने के भी निर्देश दिए हैं. इसके अलावा भूस्खलन के खतरों को कम करने के लिए हो रहे कामों की मॉनिटरिंग के निर्देश दिए गए हैं.
राज्य में 1 साल के भीतर 60 स्थलों का भूस्खलन स्थलीय परीक्षण किया जा चुका है. इसमें जोशीमठ, हल्दुपानी, इलधारा, बलिया नाला, और ग्लोगी में भूस्खलन न्यूनीकरण और अनुकरण के प्रोजेक्ट संचालित किया जा रहे हैं. नैनीताल के नैना चोटी, हरिद्वार के मनसा देवी और कर्णप्रयाग के बहुगुणा नगर में लैंडस्लाइड मिशन और मॉनिटरिंग के प्रोजेक्ट को भी जल्द से जल्द शुरू करने की तैयारी है.