हजारीबाग: बदलते समय में झारखंड में अखाड़े की परंपरा समाप्त होती जा रही है. दंगल भी बेहद कम दिखता है. हजारीबाग में रामनवमी के दौरान दंगल का आयोजन किया गया. हजारीबाग में चालीस साल पहले शुक्ला जी का अखाड़ा भी हुआ करता था. जहां पहलवान कुश्ती करते थे. लेकिन धीरे धीरे यह परम्परा समाप्त होती चली गई.
हजारीबाग में पहली बार दंगल का आयोजन किया. जिसमें हरियाणा, पंजाब , बनारस और हजारीबाग के भी पहलवानों ने भाग लिया. दंगल में पहलवानों ने एक-दूसरे को खूब पटका. बनारस से आए पहलवान इस दौरान सुर्खियों में रहे. हनुमानगढ़ी के पहलवान ने पंजाब के पहलवान को जब पटका तो पूरा अखाड़ा तालियों की गड़गड़ाहट से गूंज उठा. पहली बार इस तरह की पहलवानी हजारीबाग में देखने को मिला. पहलवान ने भी कहा कि हजारीबाग के रामनवमी के बारे में टीवी और अखबारों में पढ़ा था. पहली बार देखा तो ऐसा लगता है कि हजारीबाग भी अयोध्या से कम नहीं है.
हजारीबाग की रामनवमी को खास और आकर्षक बनाने के लिए प्रयास किया जा रहा है. इसी क्रम में रामनवमी संरक्षण समिति ने बड़ा अखाड़ा परिसर में दंगल का आयोजन किया. समिति के अध्यक्ष प्रशांत प्रधान ने बताया कि आजकल के युवा नशे की दुनिया जा रहे हैं. हजारीबाग में रामनवमी आने पर युवा शक्ति प्रदर्शन करते हुए कई कार्यक्रम का आयोजन करते हैं. इसी को देखते हुए पहली बार यह आयोजन किया गया है.
आयोजन समिति के सदस्य भी बताते हैं कि चार से पांच राज्यों से पहलवान पहली बार हजारीबाग पहुंचे हैं. यहां दंगल का आयोजन किया गया है. दो दिन के इस आयोजन में भरपूर मनोरंजन देखने को मिलेगा. कोशिश की जा रही है कि फिर से अखाड़े की परंपरा को शुरू की जाए. पहलवानी एक समय देश की पहचान हुआ करती थी. बदलते समय के साथ अखाड़ा भी खत्म होता जा रहा है.
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