मेरठः अभी एक बैंक के सेवानिवृत्त कर्मचारी से पौने दो करोड़ रूपये की साइबर ठगी का मामला थमा नहीं था. वहीं, जिले एक अधिवक्ता का डाक्यूमेंट और नाम का इस्तेमाल करके साइबर अपराधियों ने लगभग 43 करोड़ रुपये से ज्यादा का लेनदेन करडाला. इसकी जानकारी अधिवक्ता को तब हुई ज़ब वह इनकम टैक्स रिटर्न भरने के लिए पोर्टल खोला. जैसे ही अधिवक्ता ने अपने नाम पर फर्जी कम्पनी का ब्यौरा देखा तो उनके पैरों के तले से जमीन ही खिसक गई. अधिवक्ता ने थाना ब्रह्मपुरी में मुकदमा दर्ज कराकर जांच की मांग की है.
पूर्वा इलाही बख्श कॉलोनी में रहने वाले अधिवक्ता मोहम्मद समीर ने थाने में दी तहरीर में बताया कि कुछ दिन पूर्व उन्होंने इनकम टैक्स रिटर्न भरवाने के लिए आयकर विभाग का पोर्टल खोला था. जिसमें उन्हें यह जानकारी हुई कि उनके पैन कार्ड पर दो जीएसटी नंबर पंजीकृत है. किसी ने एमएस ओवरसीज और एमएस ट्रेडर्स नाम की फर्म बनाकर उसके जरिए 43 करोड़ 42 लाख रुपये की खरीद-फरोख्त की हुई है.
एएसपी ब्रह्मपुरी अंतरिक्ष जैन ने बताया कि अधिवक्ता मोहम्मद समीर ने शिकायत की है कि उनके पैन कार्ड पर किसी ने फर्जी जीएसटी नंबर पंजीकृत करा लिया है औऱ उनकी आईडी पर फर्जी कंपनी चलाकर 43.42 करोड़ की खरीद-फरोख्त भी कर डाली है. शिकायतकर्ता अधिवक्ता का कहना है कि इस सबसे उनका कोई लेना देना नहीं है, साइबर अपराधियों ने उनकी आई डी का गलत ढंग से इस्तेमाल किया है. एएसपी ने बताया कि अधिवक्ता ने ब्रह्मपुरी थाना पुलिस रिपोर्ट दर्ज कर जांच कर रही है.
वहीं अधिवक्ता का कहना है कि जीएसटी पोर्टल पर दोनों नंबरों की शिकायत भी कर दी गई है. इसके अलावा साइबर क्राइम पोर्टल पर भी शिकायत की है.
अधिवक्ता ने कहा कि कोई व्यक्ति उनकी आईडी से फर्जी कंपनी चला रहा है, लिहाजा समय रहते इस मामले में पुलिस आवश्यक कदम उठाए. जीएसटी नंबरों को यदि बंद नहीं किया गया तो उन्हें आर्थिक नुकसान पहुंचा सकता है. अधिवक्ता ने एडीजी, डीएम, एसएसपी से भी आपबीती बताते हुए शिकायत की है.
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