नई दिल्ली/ग्रेटर नोएडा: ग्रेटर नोएडा में लाइफ इंश्योरेंस कंपनी के नाम पर फर्जी दस्तावेज तैयार कर साइबर ठगी करने वाले शातिर आरोपी को बिसरख पुलिस ने गिरफ्तार किया है. पुलिस ने आरोपी के कब्जे से ठगी में प्रयोग किए गए मोबाइल फोन, डिजिटल पेमेंट, क्यूआरकोड, लैपटॉप और बायोमेट्रिक मशीन सहित अन्य सामान बरामद किया है. आरोपी पहले एक लाइफ इंश्योरेंस कंपनी में काम कर चुका है. और उसी कंपनी से चुराए गए डेटा से लोगों को कॉल करके उनके साथ ठगी करता था.
आरोपी साइबर कैफे की आड़ में कर रहा था ठगी: बिसरख पुलिस को गोपनीय सूचना मिली थी कि आरोपी अमित साइबर कैफे की आड़ में पॉलिसी धारकों का डेटा ऑनलाइन डाउनलोड करके उनके साथ ठगी कर रहा है. आरोपी पॉलिसी नंबर के सामने दर्ज फोन नंबर पर की पैड वाले मोबाइल फोन में सिम बदलकर फोन करके उनसे उनकी पॉलिसी को रिनुअल या बंद करने के लिए फोन करता था. उसके बाद उनके साथ धोखाधड़ी करके अपने बैंक के खातों में फोन पे के द्वारा पैसा ट्रांसफर कराकर अवैध लाभ कमाता था. आरोपी के पास एसएमसी कंपनी का कोई रजिस्ट्रेशन या फ्रेंचाइजी नहीं है.
आरोपी 2 साल पहले एसएमसी इंश्योरेंस कंपनी में करता था काम: डीसीपी सेंट्रल नोएडा शक्ति मोहन अवस्थी ने बताया कि बिसरख पुलिस द्वारा लाइफ इंश्योरेंस के नाम पर फर्जी दस्तावेज तैयार कर लोगों के साथ साइबर ठगी करने वाले आरोपी को गिरफ्तार किया गया है. आरोपी मूल रूप से हरियाणा सोनीपत जिले के थाना गन्नौर स्थित मोहल्ला गांधीनगर का रहने वाला है. इसका नाम अमित है, जो वर्तमान में ग्रेटर नोएडा वेस्ट में रह रहा है. आरोपी 2 साल पहले एसएमसी इंश्योरेंस कंपनी सेक्टर 2 नोएडा में टीएसओ के पद पर नौकरी करता था. उस कंपनी में पॉलिसी एवं इंश्योरेंस का काम होता था.
टीएसओ के पद पर काम करते हुए कंपनी से की डाटा की चोरी: टीएसओ के पद पर काम करते हुए आरोपी ने कंपनी से पॉलिसी धारकों के पॉलिसी डेटा के प्रिंट और डाउनलोड करके इकट्ठा करना शुरू कर दिया. पॉलिसी धारकों को उनके पॉलिसी में दर्ज फोन नंबरों पर संपर्क करता था और पॉलिसी होल्डर को अपनी कंपनी की आईडी दिखाकर अपनी पॉलिसी बंद करने या रिन्युअल के नाम पर फोन पे के माध्यम से अपने खाते में पैसा ले लेता था.
आरोपी ने 5 साल पुरानी पॉलिसी होल्डर का डेटा किया जमा: कंपनी से 2 साल पहले नौकरी छोड़ने के बाद आरोपी ने 5 साल पुरानी पॉलिसी होल्डर का डेटा जमा किया. फिर दीप साइबर कैफे एवं स्टेशनरी के नाम से एपीएस गोल्ड बिल्डिंग में दुकान खोली. इसके साथ ही साइबर कैफे की दुकान में दो कंप्यूटर, एक लैपटॉप, एंड्राइड मोबाइल और की पैड मोबाइल को खरीद कर अपने साइबर कैफे का काम शुरू कर दिया.
पॉलिसी रिनुअल और लैप्स के नाम पर करता था ठगी: डीसीपी ने बताया कि आरोपी ने पुरानी पॉलिसी होल्डर का जो डेटा कंपनी से छिपा कर इकट्ठा किया था, उससे उन पॉलिसी होल्डर को फोन करता था. जिनकी पॉलिसी 5 साल पुरानी होती थी और लैप्स (बंद) हो जाती थी. उन्ही पॉलिसी धारकों से की पैड फोन में अलग-अलग सिम का प्रयोग करके बात करके अपनी पॉलिसी रिनुअल करने के लिए बोलता था.
आरोपी के पास से 19260 पॉलिसी होल्डर का डाटा बरामद : पॉलिसी धारक जब आरोपी से आईडी प्रूफ मांगते थे तो आरोपी पहले से ही गूगल से कर्मचारियों की आईडी डाउनलोड करके उनको दिखा देता था. इसके बाद कंपनी के मैनेजर व अन्य कर्मचारियों की आईडी प्रूफ भेज कर कस्टमर को संतुष्ट करके 10% कमीशन का लाभ बढ़कर अपने बैंक खाता यूपीआई और मोबाइल द्वारा पॉलिसी धारकों से डलवा लेता था. पॉलिसी डाटा अपने लैपटॉप पर एडिट करके पॉलिसी का रिनुअल दिखाकर प्रिंट उनको भेजता था. आरोपी के पास से 19260 पॉलिसी होल्डर का डाटा पुलिस को मिला है, जिनमें से 13455 पॉलिसी होल्डर से आरोपी अब तक बात कर चुका था.
आरोपी के पास से ठगी में प्रयोग किया गया सामान बरामद: आरोपी के पास से पुलिस ने एक लैपटॉप, दो सीपीयू, पॉलिसी होल्डर का डेटा, मोबाइल फोन, नोटबुक, बिल बुक, फोनपे क्यूआरकोड, फोनपे, कार्ड स्वाइप मशीन, बायोमेट्रिक मशीन, एक स्टांप मोहर (दीप साइबर कैफे एंड स्टेशनरी), पेन ड्राइव, अलग-अलग पतों के पैन कार्ड और आधार कार्ड, इंडियन इनकम टैक्स रिटर्न एक्नॉलेजमेंट फॉर्म, जीएसटी रजिस्ट्रेशन सर्टिफिकेट, एग्रीमेंट सेल लेटर और शपथ पत्र की फोटोकॉपी सहित लैपटॉप और ऑनलाइन एडिट कर किए गए चेक आईडी कार्ड में विभिन्न लोगों के आधार कार्ड भी बरामद किए गए हैं.
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