लखनऊ: राजधानी लखनऊ की सबसे महत्वपूर्ण कोतवाली हजरतगंज के निरीक्षक समेत सभी सीयूजी नंबरों को साइबर अपराधियों ने हैक कर लिया. इतना ही नहीं इन नंबरों को हैक कर अपराधी लोगों को कॉल कर उन्हें ठगी का शिकार बना रहे हैं. इसका खुलासा तब हुआ, जब कई लोगों ने थाने और निरीक्षक के नंबर पर कॉल कर इस बात की शिकायत की. बहरहाल, अब हजरतगंज थाने में एफआईआर दर्ज कर ली गई है और साइबर सेल जांच में जुट गई है.
पार्सल में ड्रग्स पाए जाने की बात बताकर ठगने की हुई कोशिश : हजरतगंज इंस्पेक्टर विक्रम सिंह के मुताबिक, कुछ दिन से थाने और उनके सीयूजी नंबर पर कुछ लोगों की कॉल आ रही थी. इसमें यह कहा जा रहा था कि उन्हें थाने के सीयूजी नंबर 7839861075 व थाना प्रभारी के सीयूजी नंबर 9454403853 से कॉल आई थी और उनसे कहा जा रहा है कि उनका एक पार्सल पकड़ा गया है, जिसमें ड्रग्स है. इन नंबरों से कॉल करने वाले खुद को क्राइम ब्रांच का होना बताया जा रहा था. इंस्पेक्टर ने बताया कि जब इसकी जांच की गई तो सामने आया कि यह साइबर अपराधियों द्वारा किया जा रहा है. जिन्होंने हजरतगंज थाने व प्रभारी के सीयूजी नंबर को हैक कर लिया है.
CM सचिव व DGP के नंबर भी हो चुके हैं हैक : ऐसा नहीं है कि स्पूफिंग कॉल कर जालसाजी करने का ये कोई नया तरीका है. इससे पहले भी साइबर अपराधियों ने स्पूफिंग कॉल का इस्तेमाल बड़े बड़े अधिकारियों को ठगने के लिए किया था. कुछ माह पहले यूपी के तत्कालीन डीजीपी के नंबर से कानपुर के दो थानेदारों को कॉल की गई थी. कॉल कर थानेदारों से अनैतिक कार्य करने के लिए कहा गया. पहले तो थानेदारों से कॉल करने वाले को डीजीपी ही समझा, लेकिन बाद में सच सामने आने में देर नहीं लगी. वर्ष 2015 में तत्कालीन मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के निजी सचिव के नंबर से राज्य के कई डीएम और मंडलायुक्तों को कॉल की गई थी. कॉल करने वाले ने इन सभी अधिकारियों से भी अनैतिक कार्य करने को कहा, जिस पर एक दो अधिकारियों ने बताए गए काम कर भी दिए. इसी दौरान एक आईएएस अधिकारी को कॉल करने वाले पर शक हुआ तो उसने सीधे तत्कालीन मुख्यमंत्री से इस बात की शिकायत की और जब जांच हुई तो सामने आया कि ये कॉल स्पूफिंग कॉल थी जो निजी सचिव के नंबर का इस्तेमाल कर की गई थी.
प्रतिबंधित कॉल स्पूफिंग से हैक करते थे नंबर : साइबर एक्सपर्ट अमित दुबे ने बताया कि थाने या पुलिस अधिकारी के सीयूजी नम्बर से कॉल कर लोगों को ठगने की कोशिश करना और फिर जब पीड़ित उसी नम्बर पर कॉल करे फिर वह असल अधिकारी के पास पहुंचे तो इसे कॉल स्पूफिंग कहते हैं. यह ऐसी तकनीक है, जिससे अपने नंबर की पहचान छिपाते हुए किसी भी अन्य व्यक्ति के नंबर को हैक करके उससे कॉल करते हैं. इसमें असली नंबर वाले को बिना जानकारी लगे, अगले व्यक्ति को कॉल या मैसेज करने पर नंबर उसी का शो होता है. कॉल स्पूफिंग इंडियन टेलीग्राफ एक्ट के तहत प्रतिबंधित है. ऐसा करते पाए जाने पर जुर्माना, तीन साल जेल या दोनों दंड का प्रावधान है. इसमें तीन साल की सजा के साथ 25 हजार रुपये जुर्माने का भी प्रावधान है.
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