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परंपरागत खेती छोड़कर बेल वाली सब्जियों की तरफ बढ़ा किसानों का रूझान, सरकार दे रही अनुदान राशि - CULTIVATION OF VINE VEGETABLES

हरियाणा में किसान परंपरागत खेती छोड़कर बेल वाली सब्जियों की तरफ रूख कर रहे हैं. किसानों को काफी फायदा भी हो रहा है.

Cultivation of vine vegetables
Cultivation of vine vegetables (Etv Bharat)
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By ETV Bharat Haryana Team

Published : Dec 22, 2024, 4:07 PM IST

Updated : Dec 22, 2024, 4:45 PM IST

नूंह: हरियाणा के नूंह में किसान बेल वाली सब्जियों की फसल की तरफ तेजी से अपना रुझान बढ़ रहा है. बीते साल 2023 में तकरीबन 14500 एकड़ भूमि में बेल वाली खासकर टमाटर की सब्जी किसानों के द्वारा लगाई गई थी. इस बार भी किसान बेल वाली सब्जियां को इस समय लगाने में जी जान से जुटा हुआ है. इसमें न केवल उत्पादन दोगुना होता है बल्कि पैदावार भी दोगुना होती है. जिससे किसानों की आमदनी पर इसका सीधा प्रभाव पड़ता है. मार्केट में भी घीया, टमाटर, तोरई, करेला इत्यादि जो सब्जी है. उसका रंग एक जैसा होता है. यही कारण है कि ग्राहक उसको आसानी से खरीद लेता है.

सरकार दे रही किसानों को अनुदान राशि: जिला बागवानी अधिकारी डॉ. दीन मोहम्मद ने पत्रकारों को बताया कि जिला बागवानी विभाग के तरफ से 15000 प्रति एकड़ अनुदान राशि दी जाती है. उन्होंने बताया कि मैं सभी किसान भाइयों से कहना चाहता हूं. जितने भी बेल वाली सब्जियां हैं. उसको बांस की स्केटिंग के ऊपर लगाएं. बांस की स्केटिंग के ऊपर 31250 सरकार अनुदान राशि देती है.

सब्सिडी भी अलग से दी जाती है: साथ ही साथ हाइब्रिड वेजिटेबल की 15000 सब्सिडी अलग से दी जाती है. अगर कोई बंबू स्केटिंग पर खेती करता है, तो 46250 प्रति एकड़ की सब्सिडी बागवानी विभाग द्वारा दी जाती है. इसका सबसे बड़ा लाभ यह है कि इसका जो बेल वाली सब्जी है. जब जमीन पर चलती है, तो बहुत सारा फल दिखाई नहीं देता. खराब होने का भी खतरा रहता है. अगर बंबू स्केटिंग के ऊपर फल लगता है, तो रंग भी एक जैसा आता है और पूरा फल भी दिखाई देता है.

Cultivation of vine vegetables (Etv Bharat)

सब्जियों का भाव: बेल वाली सब्जियों में जमीन पर कई बार जहरीले कीड़े सांप इत्यादि होते हैं, जिसके काटने से किसान की जान भी जा सकती है. जमीन पर जो सब्जी फसल उगाई जाती है. उसमें सूरज की रोशनी का भी दाग हो जाता है. ऊंची-नीची जमीन समतल नहीं होने की वजह से सब्जी का फल खराब हो जाता है. स्केटिंग पर लगाने से नीचे की तरफ फल लटकता है. चारों तरफ से धूप लगती है. एक जैसा कलर होने की वजह से इसकी मांग सब्जी मंडी में अधिक बढ़ जाती है. इन सब्जियों का भाव भी अच्छा मिलता है.

किसानों ने छोड़ी परंपरागत खेती: इन फसलों से किसानों की आमदनी 2 गुना बढ़ रही है. इसका रेट आम सब्जियों के मुकाबले ज्यादा बेहतर होता है. उन्होंने कहा कि टमाटर की बेल वाली सब्जियों को लगाने में किसान इस समय जुटा हुआ है. घिया या इत्यादि सब्जी की फसल लगाते हैं, तो वर्टिकल पद्धति से दो गुना ज्यादा बेलों की संख्या हो जाती है. तो फल भी अधिक आता है. जिससे आमदनी भी दोगुना हो जाती है. लिहाजा बंबू स्केटिंग पर ही किसान अपनी फसलों को लगाएं. नूंह जिले के पुन्हाना, नगीना, फ़िरोजपुर झिरका इत्यादि खंड में बेल वाली सब्जियों को किसान उगाता है. परम्परागत खेती को छोड़कर किसान खुशहाल जीवन जी रहा है.

ये भी पढ़ें: गाजर की खेती से मालामाल हो रहे किसान, हरियाणा सरकार किसानों को दे रही 50 प्रतिशत अनुदान राशि

ये भी पढ़ें: सौंधापुर की गजक के दीवाने हुए हरियाणा सीएम नायब सिंह सैनी, स्वाद चखने के बाद जमकर की तारीफ

नूंह: हरियाणा के नूंह में किसान बेल वाली सब्जियों की फसल की तरफ तेजी से अपना रुझान बढ़ रहा है. बीते साल 2023 में तकरीबन 14500 एकड़ भूमि में बेल वाली खासकर टमाटर की सब्जी किसानों के द्वारा लगाई गई थी. इस बार भी किसान बेल वाली सब्जियां को इस समय लगाने में जी जान से जुटा हुआ है. इसमें न केवल उत्पादन दोगुना होता है बल्कि पैदावार भी दोगुना होती है. जिससे किसानों की आमदनी पर इसका सीधा प्रभाव पड़ता है. मार्केट में भी घीया, टमाटर, तोरई, करेला इत्यादि जो सब्जी है. उसका रंग एक जैसा होता है. यही कारण है कि ग्राहक उसको आसानी से खरीद लेता है.

सरकार दे रही किसानों को अनुदान राशि: जिला बागवानी अधिकारी डॉ. दीन मोहम्मद ने पत्रकारों को बताया कि जिला बागवानी विभाग के तरफ से 15000 प्रति एकड़ अनुदान राशि दी जाती है. उन्होंने बताया कि मैं सभी किसान भाइयों से कहना चाहता हूं. जितने भी बेल वाली सब्जियां हैं. उसको बांस की स्केटिंग के ऊपर लगाएं. बांस की स्केटिंग के ऊपर 31250 सरकार अनुदान राशि देती है.

सब्सिडी भी अलग से दी जाती है: साथ ही साथ हाइब्रिड वेजिटेबल की 15000 सब्सिडी अलग से दी जाती है. अगर कोई बंबू स्केटिंग पर खेती करता है, तो 46250 प्रति एकड़ की सब्सिडी बागवानी विभाग द्वारा दी जाती है. इसका सबसे बड़ा लाभ यह है कि इसका जो बेल वाली सब्जी है. जब जमीन पर चलती है, तो बहुत सारा फल दिखाई नहीं देता. खराब होने का भी खतरा रहता है. अगर बंबू स्केटिंग के ऊपर फल लगता है, तो रंग भी एक जैसा आता है और पूरा फल भी दिखाई देता है.

Cultivation of vine vegetables (Etv Bharat)

सब्जियों का भाव: बेल वाली सब्जियों में जमीन पर कई बार जहरीले कीड़े सांप इत्यादि होते हैं, जिसके काटने से किसान की जान भी जा सकती है. जमीन पर जो सब्जी फसल उगाई जाती है. उसमें सूरज की रोशनी का भी दाग हो जाता है. ऊंची-नीची जमीन समतल नहीं होने की वजह से सब्जी का फल खराब हो जाता है. स्केटिंग पर लगाने से नीचे की तरफ फल लटकता है. चारों तरफ से धूप लगती है. एक जैसा कलर होने की वजह से इसकी मांग सब्जी मंडी में अधिक बढ़ जाती है. इन सब्जियों का भाव भी अच्छा मिलता है.

किसानों ने छोड़ी परंपरागत खेती: इन फसलों से किसानों की आमदनी 2 गुना बढ़ रही है. इसका रेट आम सब्जियों के मुकाबले ज्यादा बेहतर होता है. उन्होंने कहा कि टमाटर की बेल वाली सब्जियों को लगाने में किसान इस समय जुटा हुआ है. घिया या इत्यादि सब्जी की फसल लगाते हैं, तो वर्टिकल पद्धति से दो गुना ज्यादा बेलों की संख्या हो जाती है. तो फल भी अधिक आता है. जिससे आमदनी भी दोगुना हो जाती है. लिहाजा बंबू स्केटिंग पर ही किसान अपनी फसलों को लगाएं. नूंह जिले के पुन्हाना, नगीना, फ़िरोजपुर झिरका इत्यादि खंड में बेल वाली सब्जियों को किसान उगाता है. परम्परागत खेती को छोड़कर किसान खुशहाल जीवन जी रहा है.

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Last Updated : Dec 22, 2024, 4:45 PM IST
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