नई दिल्ली: 1 फरवरी को संसद में बजट पेश होना है. इस बाबत दिल्ली और देश के प्रमुख व्यापारी संगठन चैंबर ऑफ ट्रेड एंड इंडस्ट्री (CTI) ने वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण को पत्र लिख देश के मिडिल क्लास और छोटे व्यापारियों को बजट में राहत देने की मांग की है. CTI चेयरमैन बृजेश गोयल ने बताया कि 1 फ़रवरी को भारत सरकार अपना अंतिम बजट पेश करने जा रही है. इस पर न केवल व्यापारियों बल्कि आम जनता की नज़रें टिकी हैं. बजट के मद्देनजर CTI ने वित्त मंत्री को पत्र लिख कर निम्नलिखित मांगें रखी हैं.
चैंबर ऑफ ट्रेड एंड इंडस्ट्री(CTI) की मांगें
- 5 प्रतिशत और 20 प्रतिशत के बीच 10 प्रतिशत का टैक्स स्लैब वापस लाया जाए.
- वृद्ध टैक्सपेयर को उनके टैक्स के आधार पर ओल्ड ऐज बेनेफिट मिलना चाहिए. टैक्सपेयर की वृद्धावस्था में पिछले सालों में दिए गए इनकम टैक्स के हिसाब से उसे सोशल सिक्योरिटी और रिटायरमेंट बेनिफिट दिए जाएं.
- तिमाही टीडीएस रिटर्न को खत्म कर दिया जाए और सारी डिटेल टीडीएस चालान के साथ ही ले ली जाए.
- मिडिल क्लास की चिंता है कि 9 साल से इनकम टैक्स में छूट की सीमा 2.5 लाख रुपये ही बनी हुई है, इसको 5 लाख कर देना चाहिए. इससे मिडिल क्लास के उन करोड़ों टैक्स पेयर्स को लाभ होगा जिन्हें टैक्स ना होने के बावजूद रिटर्न जमा करानी पड़ती है.
- नकद लेन-देन की लिमिट बीते कई वर्षों से नहीं बढ़ी है. 8 साल पहले डिजिटल लेन-देन को बढ़ावा देने के लिए नकद पेमेंट की लिमिट 20 हजार से घटाकर 10 हजार कर दी गई. 20 हजार की लिमिट 23 सालों से चली आ रही थी. सुगम व्यापार के लिए नकद पेमेंट की पुरानी लिमिट बहाल की जाए.
- कार्पोरेट्स एवं बड़ी कंपनियों को बैंक लोन 8 - 10% की ब्याज दर से मिल जाता है लेकिन मिडिल क्लास और छोटे व्यापारियों के लिए केन्द्र सरकार की मुद्रा योजना में कहीं ज्यादा ब्याज देना पड़ता है. मिडिल क्लास को सस्ती ब्याज दरों पर लोन मिलना चाहिए.
- छोटे कारोबारियों की पेमेंट बग़ैर तगादे के और जल्दी मिले इसलिए पिछले बजट में लेट पेमेंट करने वालों पर एडिशनल इनकम टैक्स का प्रावधान लाया गया था. लेकिन इसका विपरीत प्रभाव देखा जा रहा है. छोटे कारोबारियों का माल बेचना मुश्किल होने लगा है, इसकी समीक्षा की जाए. जीएसटी में पहले से ही 180 दिनों में भुगतान का कानून है.
- पेट्रोल डीजल की कीमतों में 6 अप्रैल 2022 के बाद से कमी नहीं की गई है जबकि कच्चे तेल की कीमतों में 35 - 40% की गिरावट आई है, केन्द्र सरकार को पेट्रोलियम पदार्थों को जीएसटी के दायरे में लाकर या पेट्रोलियम कंपनियों पर दवाब बनाकर पेट्रोल डीजल की दरों में कटौती करनी चाहिए.
- जीएसटी की एमनेस्टी स्कीम बजट से एक दिन पहले समाप्त हो रही है. इसे बढ़ाया जाए तथा व्यापक किया जाए. 2017-18, 2018-19 में जीएसटी की पूरी समझ व्यापारी को नहीं थी. क्लेरिकल और ग़लतियाँ भी हुई होंगी, उसके लिए भी एमनेस्टी में जगह बनाई जाए.
बृजेश गोयल का मानना है कि अगर केंद्र सरकार इस बार बजट में उपरोक्त मांगों पर ध्यान देगी तो महंगाई से जूझ रहे माध्यम वर्गी परिवार और छोटे व्यापारियों को राहत मिल सकती है.
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