पलामूः लोकसभा चुनाव के दौरान सुरक्षा बलों के लिए सबसे बड़ा खतरा लैंडमाइंस होता है. बूढ़ापहाड़ के इलाके में सुरक्षाबलों का कब्जा है लेकिन लैंडमाइंस का खतरा टला नहीं है. बूढ़ापहाड़ के इलाके में एक बार फिर से लैंडमाइंस की खोज में अभियान शुरू किया गया है.
लोकसभा चुनाव से पहले सुरक्षा बलों का यह बड़ा अभियान है. जिसमें सीआरपीएफ की आधा दर्जन से अधिक कंपनियों को तैनात किया गया है. साथ ही सीआरपीएफ की दो से अधिक बम निरोधक दस्ते को भी तैनात किया गया है. बूढ़ापहाड़ करीब 52 वर्ग किलोमीटर में फैला हुआ है, जिसमें लातेहार और गढ़वा की तरफ से कई रास्ते हैं जो बूढ़ापहाड़ के गांव में जाते है.
सीआरपीएफ और बम निरोधक दस्ते की टीम एक-एक रास्ते की बारीकी से जांच कर रही है. सभी रास्ते की प्रत्येक सप्ताह जांच की जा रही है. पुलिस और सुरक्षा बलों ने एक दर्जन से अधिक रोड को चिन्हित किया है, जिस पर लगातार मॉनिटरिंग की जा रही है. जिससे चुनाव के दौरान संभावित खतरे को समय रहते टाला जा सके.
बूढापहाड़ से नहीं मिला हथियार और विस्फोटक का डंप
झारखंड के बूढ़ापहाड़ के इलाके में 2022 के अंतिम महीना में अभियान ऑक्टोपस शुरू किया गया था. जनवरी 2023 में बूढापहाड़ पर पूरी तरह से सुरक्षा बलों का कब्जा हो गया था. इस अभियान के दौरान पुलिस को एक भी गोली खर्च नहीं करनी पड़ी थी. इस अभियान में एक हजार से अधिक लैंड माइंस और विस्फोटक बरामद हुआ. हालांकि हथियार और विस्फोटक अलग-अलग इलाके से बरामद किए गए थे. नक्सलियों के द्वारा छुपाए गए हथियार और विस्फोटक का डंप अभी तक बरामद नहीं हुआ है.
नक्सलियों के द्वारा छुपाए गये हथियार और विस्फोटक के डंप की तलाश में लगातार अभियान चलाया जा रहा है. मिशन की गोपनीयता बनाए रखने और नाम न छापने की शर्त पर सीआरपीएफ के एक आला अधिकारी ने बताया कि नक्सलियों की इस अभियान में कई सावधानी बरती जा रही है, जिसका खुलासा नहीं किया जा सकता है. बूढ़ापहाड़ को डिमाइनिंग (लैंडमाइंस की खोज कर उसे नष्ट करने की प्रक्रिया) किया जा रहा है.
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