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ये है प्राकृतिक खेती की ताकत, जब पांवटा में भारी बारिश में बह रही थी किसानों की फसलें, तब खेतों में पूरी ताकत से खड़ी रही नेचुरल फार्मिंग क्रॉप्स - Natural Farming in Himachal

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By ETV Bharat Himachal Pradesh Team

Published : 3 hours ago

Natural Farming benefits: पांवटा साहिब में बीते दिनों हुई भारी बारिश किसानों की मेहनत पर कहर बनकर टूटी. भारी बारिश में खेतों में खड़ी फसलें बर्बाद हो गई. वहीं, दूसरी ओर भारी बारिश साथ लगते खेतों में प्राकृतिक रूप से उगाई फसलों की जड़ें नहीं हिला पाई. पढ़िए पूरी खबर...

Natural Farming benefits
नेचुरल फार्मिंग की ताकत (Etv Bharat)

सिरमौर: हिमाचल प्रदेश के सिरमौर जिले के उपमंडल पांवटा साहिब में बुधवार और वीरवार की मध्य रात्रि में हुई भीषण बारिश विभिन्न पंचायतों में किसानों की फसलों पर कहर बनकर टूटी. वहीं, दूसरी तरफ एक ऐसी भी तस्वीर सामने आई है, जहां यह बारिश प्राकृतिक रूप से उगाई फसलों की जड़ें तक नहीं हिला पाई. लिहाजा प्राकृतिक और रासायनिक उर्वरकों से की गई खेती के बीच अंतर भी देखने को मिला.

दरअसल केंद्र और प्रदेश सरकारें प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने की दिशा में लगातार काम कर रही है. इसको लेकर किसानों को निरंतर जागरूक भी किया जा रहा है. इसी बीच उपमंडल पांवटा साहिब में भीषण बारिश के बीच प्राकृतिक तरीके से उगी फसलों और दूसरी खेती में अंतर समझाने के लिए इससे बड़ा उदाहरण नहीं मिल सकता.

पांवटा में भारी बारिश से बर्बाद हुई फसलें
पांवटा में भारी बारिश से बर्बाद हुई फसलें (ETV Bharat)

बता दें कि पांवटा साहिब के ग्रामीण क्षेत्रों में बारिश से भारी नुकसान हुआ है. किसानों की खेतों में लगी धान के साथ-साथ गन्ने की फसल भी खेतों में तबाह हो गई. फिलहाल कृषि विभाग फसलों को हुए नुकसान की रिपोर्ट तैयार करने में जुटा है. वहीं कृषि विभाग की मानें तो क्षेत्र की 11 पंचायतों में धान (500) हेक्टेयर, मक्का (100 हेक्टेयर), गन्ना (150 हेक्टेयर) और चरी (90 हेक्टेयर) को बारिश से नुकसान हुआ है. बताया जा रहा है कि फसलों को सबसे अधिक नुकसान कुंडियों पंचायत में दर्ज किया गया है.

इसी नुकसान के बीच यह भारी बारिश कृषि विभाग सिरमौर के भंगाणी में स्थापित बीज उत्पादन एवं प्राकृतिक खेती मॉडल फार्म में उगी फसलों की जड़ें तक नहीं हिला पाई. इस फॉर्म में उगी तमाम फसलें प्राकृतिक खेती से तैयार की गई हैं. यहां 13 हेक्टेयर पर कृषि विभाग का फार्म स्थापित है, जिसमें 11 हैक्टेयर पर खेती की जा रही है. इस फार्म में उगाए गए धान, गन्ना व दालों सहित चारे और फ्रूट ट्री को कोई भी नुकसान नहीं हुआ है. अहम बात यह भी है कि फार्म के साथ उगी किसानों की फसलों को बारिश ने भारी नुकसान पहुंचाया है. जिला सिरमौर में भी प्राकृतिक खेती को लेकर काफी काम किया जा रहा है.

भारी बारिश में भी मजबूती से जमी रही प्राकृतिक खेती
भारी बारिश में भी मजबूती से जमी रही प्राकृतिक खेती (ETV Bharat)

लोगों का स्वास्थ्य किसानों पर निर्भर: बता दें कि सिरमौर से हाल ही में सोलन स्थानांतरित हुए कृषि उपनिदेशक डा. राजेंद्र ठाकुर ने अपने कार्यकाल के दौरान प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने के लिए किसानों को जागरूक करने के साथ-साथ कई तरह ठोस कदम उठाए. डा. राजेंद्र ने कहा, "अब लोगों का स्वास्थ्य किसानों के उत्पादों पर निर्भर है. किसान जितना प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देंगे, देश और प्रदेश उतनी प्रगति करेगा. उन्होंने कहा कि मिट्टी की सेहत के साथ-साथ पर्यावरण स्वस्थ रहेगा, तो लोग भी पूरी तरह स्वस्थ रहेंगे. आजकल का खानपान और प्रदूषित पर्यावरण ही बीमारियों को बढ़ा रहा है. ऐसे में प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देना चाहिए".

प्राकृतिक खेती को बढ़ावा दें किसान: कृषि उपनिदेशक सिरमौर डॉ. राज कुमार ने कहा, बीते बुधवार रात बारिश से किसानों की फसलों को भारी नुकसान हुआ है. बहराल, पातलियों, बद्रीपुर, अम्बोया तारूवाला, भंगाणी, जामनीवाला, भांटावाली, भुंगरनी और मतरालियों पंचायतों में मक्की, धान, गन्ना सहित चारे को भी नुकसान पहुंचा है. कृषि विभाग प्राकृतिक खेती को बढ़ावा दे रहा है, जिसको लेकर हर संभव कदम उठाए जा रहे हैं. उन्होंने किसानों से भी आग्रह किया कि प्राकृतिक खेती को प्रमुखता दें. इस खेती में शून्य लागत है और उत्पादन भी रासायनिक उर्वरकों से उपजी फसलों से काफी अधिक है. लिहाजा अब मांग भी प्राकृतिक खेती से उगी फसलों की सबसे अधिक है.

ये भी पढ़ें: कीवी की खेती से लखपति बन गए हिमाचल के ये बागवान, एक साल में कमाए 25 लाख रुपये

सिरमौर: हिमाचल प्रदेश के सिरमौर जिले के उपमंडल पांवटा साहिब में बुधवार और वीरवार की मध्य रात्रि में हुई भीषण बारिश विभिन्न पंचायतों में किसानों की फसलों पर कहर बनकर टूटी. वहीं, दूसरी तरफ एक ऐसी भी तस्वीर सामने आई है, जहां यह बारिश प्राकृतिक रूप से उगाई फसलों की जड़ें तक नहीं हिला पाई. लिहाजा प्राकृतिक और रासायनिक उर्वरकों से की गई खेती के बीच अंतर भी देखने को मिला.

दरअसल केंद्र और प्रदेश सरकारें प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने की दिशा में लगातार काम कर रही है. इसको लेकर किसानों को निरंतर जागरूक भी किया जा रहा है. इसी बीच उपमंडल पांवटा साहिब में भीषण बारिश के बीच प्राकृतिक तरीके से उगी फसलों और दूसरी खेती में अंतर समझाने के लिए इससे बड़ा उदाहरण नहीं मिल सकता.

पांवटा में भारी बारिश से बर्बाद हुई फसलें
पांवटा में भारी बारिश से बर्बाद हुई फसलें (ETV Bharat)

बता दें कि पांवटा साहिब के ग्रामीण क्षेत्रों में बारिश से भारी नुकसान हुआ है. किसानों की खेतों में लगी धान के साथ-साथ गन्ने की फसल भी खेतों में तबाह हो गई. फिलहाल कृषि विभाग फसलों को हुए नुकसान की रिपोर्ट तैयार करने में जुटा है. वहीं कृषि विभाग की मानें तो क्षेत्र की 11 पंचायतों में धान (500) हेक्टेयर, मक्का (100 हेक्टेयर), गन्ना (150 हेक्टेयर) और चरी (90 हेक्टेयर) को बारिश से नुकसान हुआ है. बताया जा रहा है कि फसलों को सबसे अधिक नुकसान कुंडियों पंचायत में दर्ज किया गया है.

इसी नुकसान के बीच यह भारी बारिश कृषि विभाग सिरमौर के भंगाणी में स्थापित बीज उत्पादन एवं प्राकृतिक खेती मॉडल फार्म में उगी फसलों की जड़ें तक नहीं हिला पाई. इस फॉर्म में उगी तमाम फसलें प्राकृतिक खेती से तैयार की गई हैं. यहां 13 हेक्टेयर पर कृषि विभाग का फार्म स्थापित है, जिसमें 11 हैक्टेयर पर खेती की जा रही है. इस फार्म में उगाए गए धान, गन्ना व दालों सहित चारे और फ्रूट ट्री को कोई भी नुकसान नहीं हुआ है. अहम बात यह भी है कि फार्म के साथ उगी किसानों की फसलों को बारिश ने भारी नुकसान पहुंचाया है. जिला सिरमौर में भी प्राकृतिक खेती को लेकर काफी काम किया जा रहा है.

भारी बारिश में भी मजबूती से जमी रही प्राकृतिक खेती
भारी बारिश में भी मजबूती से जमी रही प्राकृतिक खेती (ETV Bharat)

लोगों का स्वास्थ्य किसानों पर निर्भर: बता दें कि सिरमौर से हाल ही में सोलन स्थानांतरित हुए कृषि उपनिदेशक डा. राजेंद्र ठाकुर ने अपने कार्यकाल के दौरान प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने के लिए किसानों को जागरूक करने के साथ-साथ कई तरह ठोस कदम उठाए. डा. राजेंद्र ने कहा, "अब लोगों का स्वास्थ्य किसानों के उत्पादों पर निर्भर है. किसान जितना प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देंगे, देश और प्रदेश उतनी प्रगति करेगा. उन्होंने कहा कि मिट्टी की सेहत के साथ-साथ पर्यावरण स्वस्थ रहेगा, तो लोग भी पूरी तरह स्वस्थ रहेंगे. आजकल का खानपान और प्रदूषित पर्यावरण ही बीमारियों को बढ़ा रहा है. ऐसे में प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देना चाहिए".

प्राकृतिक खेती को बढ़ावा दें किसान: कृषि उपनिदेशक सिरमौर डॉ. राज कुमार ने कहा, बीते बुधवार रात बारिश से किसानों की फसलों को भारी नुकसान हुआ है. बहराल, पातलियों, बद्रीपुर, अम्बोया तारूवाला, भंगाणी, जामनीवाला, भांटावाली, भुंगरनी और मतरालियों पंचायतों में मक्की, धान, गन्ना सहित चारे को भी नुकसान पहुंचा है. कृषि विभाग प्राकृतिक खेती को बढ़ावा दे रहा है, जिसको लेकर हर संभव कदम उठाए जा रहे हैं. उन्होंने किसानों से भी आग्रह किया कि प्राकृतिक खेती को प्रमुखता दें. इस खेती में शून्य लागत है और उत्पादन भी रासायनिक उर्वरकों से उपजी फसलों से काफी अधिक है. लिहाजा अब मांग भी प्राकृतिक खेती से उगी फसलों की सबसे अधिक है.

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