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IPS किशोर कुणाल के घुड़सवार दस्ते से खौफ खाते थे अपराधी और दबंग, रेलवे स्टेशन और बस स्टैंड पर थी खास नजर - IPS KISHORE KUNAL DEATH

एक समय पलामू में अपराधियों का बोलबाला था, लेकिन जैसे ही किशोर कुणाल ने एसपी का पद संभालते ही अपराधियों पर नकेल कस दी.

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ग्राफिक्स इमेज (ETV BHARAT)
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By ETV Bharat Jharkhand Team

Published : Dec 29, 2024, 12:11 PM IST

पलामू: पूर्व आईपीएस आचार्य किशोर कुणाल का निधन हो गया है. आईपीएस अधिकारी किशोर कुणाल 26 फरवरी 1982 को पलामू के एसपी के पद पर तैनात हुए थे. यह पोस्टिंग उस समय हुई थी, जब पलामू के इलाके में दबंगों और अपराधियों का बोलबाला था. आईपीएस किशोर कुणाल ने उस दौरान दबंगों और अपराधियों पर लगाम कसी थी. आज भी पलामू के लोग अपराधियों के खिलाफ उनकी कार्रवाई को याद करते हैं.

घुड़सवारों से होती थी गश्त

अविभाजित बिहार में नक्सल युग की शुरुआत से पहले पलामू दबंगई और बाहुबलियों के लिए जाना जाता था. किशोर कुणाल ने ही पलामू में सबसे पहले घुड़सवार दस्ते की शुरुआत की थी. छह घोड़े लाए गए थे, जिनका इस्तेमाल पूरे इलाके में गश्त के लिए किया जाता था. तत्कालीन एसपी किशोर कुणाल खुद रात में अपनी जीप से इलाके में घूमते थे. जैसे ही घुड़सवार गश्त के लिए निकलते थे, अपराधी और दबंग डरने लगते थे. उस दौरान उन्होंने कई नामी दबंगों के खिलाफ कार्रवाई भी की थी.

दो जगहों पर थी आईपीएस की खास नजर

किशोर कुणाल करीब दो साल तक पलामू में एसपी के पद पर तैनात रहे. वरिष्ठ पत्रकार फैयाज अहमद बताते हैं कि किशोर कुणाल ने ही पलामू में सबसे पहले घुड़सवार दस्ते की शुरुआत की थी. उन्होंने बताया कि एक इंटरव्यू के दौरान किशोर कुणाल ने कहा था कि रेलवे स्टेशन और बस स्टैंड बहुत महत्वपूर्ण हैं. दोनों जगहों पर उनकी खास नजर थी. बस स्टैंड और रेलवे स्टेशन अपराधियों के भागने के लिए अहम जगह हैं.

ये भी पढ़ें: अयोध्या केस : जिस नक्शे को SC में फाड़ा गया, उसमें था राम जन्म का प्रमाण - किशोर कुणाल से बातचीत

ये भी पढ़ें: बिहार में मंदिर के लिए मुस्लिम परिवार ने दान कर दी अपनी ढाई करोड़ की जमीन - विराट रामायण मन्दिर का निर्माण

पलामू: पूर्व आईपीएस आचार्य किशोर कुणाल का निधन हो गया है. आईपीएस अधिकारी किशोर कुणाल 26 फरवरी 1982 को पलामू के एसपी के पद पर तैनात हुए थे. यह पोस्टिंग उस समय हुई थी, जब पलामू के इलाके में दबंगों और अपराधियों का बोलबाला था. आईपीएस किशोर कुणाल ने उस दौरान दबंगों और अपराधियों पर लगाम कसी थी. आज भी पलामू के लोग अपराधियों के खिलाफ उनकी कार्रवाई को याद करते हैं.

घुड़सवारों से होती थी गश्त

अविभाजित बिहार में नक्सल युग की शुरुआत से पहले पलामू दबंगई और बाहुबलियों के लिए जाना जाता था. किशोर कुणाल ने ही पलामू में सबसे पहले घुड़सवार दस्ते की शुरुआत की थी. छह घोड़े लाए गए थे, जिनका इस्तेमाल पूरे इलाके में गश्त के लिए किया जाता था. तत्कालीन एसपी किशोर कुणाल खुद रात में अपनी जीप से इलाके में घूमते थे. जैसे ही घुड़सवार गश्त के लिए निकलते थे, अपराधी और दबंग डरने लगते थे. उस दौरान उन्होंने कई नामी दबंगों के खिलाफ कार्रवाई भी की थी.

दो जगहों पर थी आईपीएस की खास नजर

किशोर कुणाल करीब दो साल तक पलामू में एसपी के पद पर तैनात रहे. वरिष्ठ पत्रकार फैयाज अहमद बताते हैं कि किशोर कुणाल ने ही पलामू में सबसे पहले घुड़सवार दस्ते की शुरुआत की थी. उन्होंने बताया कि एक इंटरव्यू के दौरान किशोर कुणाल ने कहा था कि रेलवे स्टेशन और बस स्टैंड बहुत महत्वपूर्ण हैं. दोनों जगहों पर उनकी खास नजर थी. बस स्टैंड और रेलवे स्टेशन अपराधियों के भागने के लिए अहम जगह हैं.

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