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'हेलो! इस कंपनी से HR हेड बात कर रहा हूं...' ऐसी कॉल आए तो सावधान! देहरादून से दो शातिर गिरफ्तार - DEHRADUN CYBER FRAUD

बेरोजगारों को दिग्गज इंटरनेशनल कंपनियों का फर्जी ऑफर लेटर का झांसा देते थे. देहरादून में 2 शातिर ठगों को गिरफ्तार किया गया है.

Uttarakhand STF Arrest Fraudsters
उत्तराखंड एसटीएफ के हत्थे चढ़े साइबर ठग (फोटो सोर्स- Uttarakhand STF)
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By ETV Bharat Uttarakhand Team

Published : Dec 13, 2024, 5:11 PM IST

देहरादून: तमाम दिग्गज कंपनियों के नाम पर बेरोजगार युवकों को फर्जी जॉब ऑफर लेटर थमा कर प्रोसेसिंग शुल्क के नाम पर साइबर ठगी करने वाले गिरोह के दो सदस्यों को गिरफ्तार किया गया है. पुलिस ने दोनों आरोपियों को पटेलनगर क्षेत्र से दबोचा है. गिरोह के सदस्यों ने ज्यादातर दक्षिण भारत के राज्यों तेलंगाना, आंध्र प्रदेश, कर्नाटक, महाराष्ट्र के बेरोजगार युवाओं को निशाना बनाया था. जबकि, सहारनपुर-देहरादून मार्ग पर बाबाजी ट्रांसपोर्ट की आड़ में कॉल सेंटर चलाया जा रहा था.

नामी कंपनियों के नाम पर थमाते थे फर्जी ऑफर लेटर: दरअसल, एसटीएफ को सूचना मिली थी कि आईबीएम, एचसीएल, टेक-महिंद्रा, अमेजॉन जैसी दिग्गज कंपनियों के नाम पर बेरोजगार युवकों को फर्जी 'जॉब ऑफर लेटर' देकर प्रोसेसिंग शुल्क के नाम पर साइबर ठगी की जा रही है. इसमें शामिल कुछ साइबर ठग देहरादून से इस गिरोह को संचालित कर रहे हैं. जिसके बाद उत्तराखंड एसटीएफ ने गृह मंत्रालय के 14C के अलग-अलग वेब पोर्टलों को चेक किया.

वेब पोर्टलों को चेक करने पता चला कि दिग्गज कंपनियों के नाम पर बेरोजगार युवकों को फर्जी जॉब ऑफर लेटर देकर प्रोसेसिंग शुल्क के नाम पर धनराशि ली जा रही है. जिसके तहत साइबर ठगों के कुछ संदिग्ध मोबाइल नंबर वर्तमान में देहरादून के पटेलनगर थाना क्षेत्र में काफी समय से सक्रिय हैं. जिससे यह साफ हो गया कि पटेलनगर में कई साइबरों ठगों के गिरोह अलग-अलग मोबाइल नंबरों से देशभर के कई बेरोजगार युवकों को साइबर ठगी का शिकार बना रहे हैं.

जांच के दौरान अलग-अलग मोबाइल नंबरों के डेटा का विश्लेषण किया गया और कई संदिग्ध बैंक एकाउंट्स के लेन-देन का डिटेल चेक किया गया. जिसमें पाया गया कि इन संदिग्ध बैंक खातों में देशभर के करीब हर राज्य से अलग-अलग लोगों से रोजाना 2500 से 30 हजार रुपए की किस्तों में लाखों रुपए जमा किए जा रहे हैं. प्रथम दृष्टया प्रकाश में आए संदिग्ध 5 बैंक खातों में ही पिछले 2 महीने में लाखों रुपए जमा किए गए और निकाले गए थे. इन खातों में देशभर के लगभग सभी राज्यों से पैसे जमा किए गए थे.

निशाने पर थे ज्यादातर दक्षिणी राज्यों के युवा: खासकर दक्षिणी राज्य तेलंगाना, आंध्र प्रदेश, महाराष्ट्र, कर्नाटक से ज्यादा धनराशि जमा की गई थी. इस संबंध में दक्षिण भारत के राज्यों में ऑनलाइन ठगी की घटनाओं का विश्लेषण किया. जिसके तहत 1930 पोर्टल पर कई ऐसी शिकायतें मिली, जिसमें बेरोजगार युवाओं के साथ उन्हें किसी दिग्गज कंपनी में नौकरी के लिए इंटरव्यू लेकर जॉब ऑफर लेटर देकर प्रोसेसिंग शुल्क के नाम पर ठगी की जा रही थी. इन घटनाओं से संबंधित गिरोह पटेलनगर में रहकर युवाओं को चूना लगा रहे थे.

क्या बोले एसटीएफ एसएसपी नवनीत सिंह भुल्लर: उत्तराखंड एसटीएफ एसएसपी नवनीत सिंह भुल्लर ने बताया कि यह गिरोह पटेलनगर क्षेत्र में रह रहा है, लेकिन यह गिरोह कहां से संचालित हो रहा है? उसके बारे में जानकारी नहीं हो पा रही थी. क्योंकि, इस गिरोह के सदस्यों की ओर से केवल फर्जी सिम को इस्तेमाल किया जा रहा था. उसमें तकनीक का इस्तेमाल कर अपने लोकेशन को कहीं दूर दिखाया जा रहा था.

इस पर एसटीएफ की टीम ने पिछले 15 दिनों में पटेलनगर क्षेत्र में ही रहकर गिरोह के बारे में जानकारी जुटाई. इसी कड़ी में गिरोह के दो सदस्य ईश्विंदर शेरगिल और विवेक रावत को सहारनपुर-देहरादून मार्ग पर स्थित बीजीटीसी बाबाजी ट्रांसपोर्ट कंपनी के कार्यालय से गिरफ्तार किया गया है. आरोपियों के कब्जे से 2 लैपटॉप, 7 प्री एक्टिव सिम कार्ड, 12 एटीएम कार्ड, 7 मोबाइल फोन, 2 पासबुक, 5 बैंकों की चेक बुक, 4 वॉकी-टॉकी सेट बरामद की गई हैं. बाकी, सदस्यों की तलाश की जा रही है.

इस तरह से युवाओं को जाल में फंसाते थे आरोपी: इस गिरोह का मुख्य सरगना ईश्विंदर शेरगिल उर्फ सन्नी है, जो अपने साथ इस काम करने के लिए विवेक रावत को लाया था. ईश्विंदर सिंह उर्फ सन्नी साल 2019 में साइबर ठगी के मामले में दिल्ली के वसंत कुंज थाना से जेल गया था. छूटने के बाद साइबर कॉल सेंटर में फिर से काम करने लगा था. जहां उसकी मुलाकात विवेक रावत से हुई, फिर दोनों देहरादून आए और ठगी का काम करना शुरू कर दिया.

ईश्विंदर ने देहरादून में 'बीजीटीसी बाबाजी ट्रांसपोर्ट कंपनी' और 'सन्नी फाउंडेशन' के नाम का एनजीओ बनाया. जहां तीन-चार लड़कों के साथ विवेक रावत को साइबर फ्रॉड के काम में लगा दिया. देश के विभिन्न राज्यों में मोबाइल कॉल कर बेरोजगार युवक और युवतियों को बहुराष्ट्रीय कंपनियों में नौकरी लगवाने का झांसा देकर पैसा ठगे जाने का काम किया जाने लगा.

दिल्ली से खरीदते थे बेरोजगार युवाओं का डाटा: ठगी के लिए दिल्ली निवासी एक व्यक्ति की ओर से दक्षिण भारतीय बेरोजगार युवक और युवतियों का डाटा, 1000 रुपए और एक प्री-एक्टिवेटेड सिम का 800 रुपए देकर खरीदा जाता था. इस डाटा में छात्रों का नाम, मोबाइल नंबर, ईमेल आईडी, एजुकेशन, की-स्किल और वो किस इंडस्ट्री में कार्य करने के इच्छुक हैं, उनके फोन नंबर के साथ पूरी डिटेल ली जाती थी.

इसके बाद ही उन्हें अलग-अलग कंपनियों जैसे टेक महिंद्रा, सिप्पला, आईबीएम, एचसीएल आदि में नौकरी में सिलेक्शन किए जाने के नाम पर कॉल करते थे. फिर बकायदा उनका ऑनलाइन टेस्ट लिया जाता था. जिसमें उनको बताया जाता कि वो ऑनलाइन टेस्ट में पास हो गए हैं और उनका सिलेक्शन हो गया है, फिर उन्हें संबंधित कंपनी की ओर जॉब लेटर ऑफर किया जाता था.

वहीं, बेरोजगार युवाओं से अलग-अलग प्रकार की प्रोसेसिंग फीस, मेडिकल परीक्षण फीस के नाम पर 250 से शुरू होकर 20-30 हजार की रकम अलग-अलग फर्जी खातों में जमा कराया जाता था. जिसके बाद वो एटीएम के माध्यम से रकम निकाल देते थे. एक खाते का इस्तेमाल 4-5 लाख रुपए के लिए किया जाता था, फिर उसे बंद कर दिया जाता था.

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देहरादून: तमाम दिग्गज कंपनियों के नाम पर बेरोजगार युवकों को फर्जी जॉब ऑफर लेटर थमा कर प्रोसेसिंग शुल्क के नाम पर साइबर ठगी करने वाले गिरोह के दो सदस्यों को गिरफ्तार किया गया है. पुलिस ने दोनों आरोपियों को पटेलनगर क्षेत्र से दबोचा है. गिरोह के सदस्यों ने ज्यादातर दक्षिण भारत के राज्यों तेलंगाना, आंध्र प्रदेश, कर्नाटक, महाराष्ट्र के बेरोजगार युवाओं को निशाना बनाया था. जबकि, सहारनपुर-देहरादून मार्ग पर बाबाजी ट्रांसपोर्ट की आड़ में कॉल सेंटर चलाया जा रहा था.

नामी कंपनियों के नाम पर थमाते थे फर्जी ऑफर लेटर: दरअसल, एसटीएफ को सूचना मिली थी कि आईबीएम, एचसीएल, टेक-महिंद्रा, अमेजॉन जैसी दिग्गज कंपनियों के नाम पर बेरोजगार युवकों को फर्जी 'जॉब ऑफर लेटर' देकर प्रोसेसिंग शुल्क के नाम पर साइबर ठगी की जा रही है. इसमें शामिल कुछ साइबर ठग देहरादून से इस गिरोह को संचालित कर रहे हैं. जिसके बाद उत्तराखंड एसटीएफ ने गृह मंत्रालय के 14C के अलग-अलग वेब पोर्टलों को चेक किया.

वेब पोर्टलों को चेक करने पता चला कि दिग्गज कंपनियों के नाम पर बेरोजगार युवकों को फर्जी जॉब ऑफर लेटर देकर प्रोसेसिंग शुल्क के नाम पर धनराशि ली जा रही है. जिसके तहत साइबर ठगों के कुछ संदिग्ध मोबाइल नंबर वर्तमान में देहरादून के पटेलनगर थाना क्षेत्र में काफी समय से सक्रिय हैं. जिससे यह साफ हो गया कि पटेलनगर में कई साइबरों ठगों के गिरोह अलग-अलग मोबाइल नंबरों से देशभर के कई बेरोजगार युवकों को साइबर ठगी का शिकार बना रहे हैं.

जांच के दौरान अलग-अलग मोबाइल नंबरों के डेटा का विश्लेषण किया गया और कई संदिग्ध बैंक एकाउंट्स के लेन-देन का डिटेल चेक किया गया. जिसमें पाया गया कि इन संदिग्ध बैंक खातों में देशभर के करीब हर राज्य से अलग-अलग लोगों से रोजाना 2500 से 30 हजार रुपए की किस्तों में लाखों रुपए जमा किए जा रहे हैं. प्रथम दृष्टया प्रकाश में आए संदिग्ध 5 बैंक खातों में ही पिछले 2 महीने में लाखों रुपए जमा किए गए और निकाले गए थे. इन खातों में देशभर के लगभग सभी राज्यों से पैसे जमा किए गए थे.

निशाने पर थे ज्यादातर दक्षिणी राज्यों के युवा: खासकर दक्षिणी राज्य तेलंगाना, आंध्र प्रदेश, महाराष्ट्र, कर्नाटक से ज्यादा धनराशि जमा की गई थी. इस संबंध में दक्षिण भारत के राज्यों में ऑनलाइन ठगी की घटनाओं का विश्लेषण किया. जिसके तहत 1930 पोर्टल पर कई ऐसी शिकायतें मिली, जिसमें बेरोजगार युवाओं के साथ उन्हें किसी दिग्गज कंपनी में नौकरी के लिए इंटरव्यू लेकर जॉब ऑफर लेटर देकर प्रोसेसिंग शुल्क के नाम पर ठगी की जा रही थी. इन घटनाओं से संबंधित गिरोह पटेलनगर में रहकर युवाओं को चूना लगा रहे थे.

क्या बोले एसटीएफ एसएसपी नवनीत सिंह भुल्लर: उत्तराखंड एसटीएफ एसएसपी नवनीत सिंह भुल्लर ने बताया कि यह गिरोह पटेलनगर क्षेत्र में रह रहा है, लेकिन यह गिरोह कहां से संचालित हो रहा है? उसके बारे में जानकारी नहीं हो पा रही थी. क्योंकि, इस गिरोह के सदस्यों की ओर से केवल फर्जी सिम को इस्तेमाल किया जा रहा था. उसमें तकनीक का इस्तेमाल कर अपने लोकेशन को कहीं दूर दिखाया जा रहा था.

इस पर एसटीएफ की टीम ने पिछले 15 दिनों में पटेलनगर क्षेत्र में ही रहकर गिरोह के बारे में जानकारी जुटाई. इसी कड़ी में गिरोह के दो सदस्य ईश्विंदर शेरगिल और विवेक रावत को सहारनपुर-देहरादून मार्ग पर स्थित बीजीटीसी बाबाजी ट्रांसपोर्ट कंपनी के कार्यालय से गिरफ्तार किया गया है. आरोपियों के कब्जे से 2 लैपटॉप, 7 प्री एक्टिव सिम कार्ड, 12 एटीएम कार्ड, 7 मोबाइल फोन, 2 पासबुक, 5 बैंकों की चेक बुक, 4 वॉकी-टॉकी सेट बरामद की गई हैं. बाकी, सदस्यों की तलाश की जा रही है.

इस तरह से युवाओं को जाल में फंसाते थे आरोपी: इस गिरोह का मुख्य सरगना ईश्विंदर शेरगिल उर्फ सन्नी है, जो अपने साथ इस काम करने के लिए विवेक रावत को लाया था. ईश्विंदर सिंह उर्फ सन्नी साल 2019 में साइबर ठगी के मामले में दिल्ली के वसंत कुंज थाना से जेल गया था. छूटने के बाद साइबर कॉल सेंटर में फिर से काम करने लगा था. जहां उसकी मुलाकात विवेक रावत से हुई, फिर दोनों देहरादून आए और ठगी का काम करना शुरू कर दिया.

ईश्विंदर ने देहरादून में 'बीजीटीसी बाबाजी ट्रांसपोर्ट कंपनी' और 'सन्नी फाउंडेशन' के नाम का एनजीओ बनाया. जहां तीन-चार लड़कों के साथ विवेक रावत को साइबर फ्रॉड के काम में लगा दिया. देश के विभिन्न राज्यों में मोबाइल कॉल कर बेरोजगार युवक और युवतियों को बहुराष्ट्रीय कंपनियों में नौकरी लगवाने का झांसा देकर पैसा ठगे जाने का काम किया जाने लगा.

दिल्ली से खरीदते थे बेरोजगार युवाओं का डाटा: ठगी के लिए दिल्ली निवासी एक व्यक्ति की ओर से दक्षिण भारतीय बेरोजगार युवक और युवतियों का डाटा, 1000 रुपए और एक प्री-एक्टिवेटेड सिम का 800 रुपए देकर खरीदा जाता था. इस डाटा में छात्रों का नाम, मोबाइल नंबर, ईमेल आईडी, एजुकेशन, की-स्किल और वो किस इंडस्ट्री में कार्य करने के इच्छुक हैं, उनके फोन नंबर के साथ पूरी डिटेल ली जाती थी.

इसके बाद ही उन्हें अलग-अलग कंपनियों जैसे टेक महिंद्रा, सिप्पला, आईबीएम, एचसीएल आदि में नौकरी में सिलेक्शन किए जाने के नाम पर कॉल करते थे. फिर बकायदा उनका ऑनलाइन टेस्ट लिया जाता था. जिसमें उनको बताया जाता कि वो ऑनलाइन टेस्ट में पास हो गए हैं और उनका सिलेक्शन हो गया है, फिर उन्हें संबंधित कंपनी की ओर जॉब लेटर ऑफर किया जाता था.

वहीं, बेरोजगार युवाओं से अलग-अलग प्रकार की प्रोसेसिंग फीस, मेडिकल परीक्षण फीस के नाम पर 250 से शुरू होकर 20-30 हजार की रकम अलग-अलग फर्जी खातों में जमा कराया जाता था. जिसके बाद वो एटीएम के माध्यम से रकम निकाल देते थे. एक खाते का इस्तेमाल 4-5 लाख रुपए के लिए किया जाता था, फिर उसे बंद कर दिया जाता था.

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