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बार का दरवाजा बंदकर वकीलों पर भांजी थीं लाठियां, 6 एसआई समेत 18 पुलिसकर्मियों पर दर्ज हुई FIR

लखनऊ के समिट बिल्डिंग में पुलिस और वकीलों में विवाद (Lucknow lawyer police dispute) हो गया था. वकीलों ने पुलिस पर पिटाई करने का आरोप लगाया था. इसे लेकर वकील कई दिनों से कार्य बहिष्कार पर थे. अब मामले में कार्रवाई की गई है.

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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Feb 29, 2024, 7:47 AM IST

लखनऊ : राजधानी के समिट बिल्डिंग के एक बार में पुलिस की ओर से वकीलों की पिटाई की गई थी. इस मामले में विभूतिखंड थाने में 6 दरोगा समेत 18 पुलिसकर्मियों पर मुकदमा दर्ज किया गया है. यह मुकदमा उसी थाने में दर्ज कराया गया है जहां के पुलिसकर्मियों पर आरोप लगे थे. इस मामले को लेकर सेंट्रल बार एसोसिएशन कार्य बहिष्कार पर थी. मंगलवार को ज्वाइंट पुलिस कमिश्नर ने इस मामले में पुलिस का बचाव किया था.

मारपीट की सूचना पर पहुंची थी पुलिस : विभूतिखंड थाने में दर्ज एफआईआर के मुताबिक, वकील अभिषेक सिंह, मुकुल सिंह समेत सात वकील अपने मित्रों के साथ 23 फरवरी को समिट बिल्डिंग स्थित माई बार में खाना खाने गए थे. यहां अचानक दो पक्षों में मारपीट हो गई. इसकी सूचना मिलने पर पुलिस मौके पर पहुंची थी.

कई वकीलों को आई गंभीर चोट : पुलिस ने बार का दरवाजा अंदर से बंद कर लिया. इसके बाद जब वकील खाना खाकर बाहर जाने का प्रयास करने लगे तो पुलिसकर्मियों ने उन्हें पहले रोका. इसके बाद जब यह जानकारी हुई की वह सब पेशे से वकील हैं तो 6 दरोगा समेत 18 पुलिसकर्मियों ने लाठियों से सभी की पिटाई की. इससे कई वकीलों को गंभीर चोट आई.

वकीलों ने रोकी थी कैदियो की वैन : वकीलों ने यह एफआईआर विभूतिखंड थाने में ही तैनात दरोगा राहुल बालियान, जसीम रजा, प्रमोद कुमार सिंह, फूलचंद, रितेश दुबे, विनय गुप्ता कुल 18 पुलिसकर्मियों के खिलाफ दर्ज की गई है. बार में वकीलों और पुलिस के बीच हुए इस विवाद से नाराज सेंट्रल बार एसोसिएशन ने सोमवार को जिला कोर्ट में जमकर हंगामा काटते हुए कैदियों की वैन रोक ली थी.

ज्वाइंट पुलिस कमिश्नर ने एसोसिएशन को दिया था जवाब : बार अध्यक्ष अरविंद कुशवाहा ने कहा था जब तक दोषी पुलिसकर्मियों के खिलाफ मुकदमा नहीं लिखा जाता तब तक बार कार्य से बहिष्कार करेंगे. एफआईआर दर्ज करने से एक दिन पहले लखनऊ के ज्वाइंट पुलिस कमिश्नर कानून व्यवस्था उपेंद्र अग्रवाल ने पुलिसकर्मियों का बचाव करते हुए सेंट्रल बार एसोसिएशन को लिखित जवाब भेजा था.

उन्होंने कहा था कि माई बार में मारपीट हुई थी, जिसकी शिकायत में पुलिस मौके पर गई थी. कार्रवाई के तहत पुलिस सभी को थाने लेकर आई थी. इसमें शायद कोई अधिवक्ता भी हो सकता है. पुलिस कार्रवाई करते हुए किसी से उसका प्रोफेशन नहीं पूछती है और न ही देखने से यह पहचान सकती है कि वह अधिवक्ता हैं. जेसीपी ने सेंट्रल बार एसोसिएशन के सभी आरोपों को सिरे से नकार दिया था.

यह भी पढ़ें : थप्पड़ के बदले फौजी को बीच बाजार में मारी थी गोली, छोटे भाई को फांसी, बड़े को उम्रकैद की सजा

लखनऊ : राजधानी के समिट बिल्डिंग के एक बार में पुलिस की ओर से वकीलों की पिटाई की गई थी. इस मामले में विभूतिखंड थाने में 6 दरोगा समेत 18 पुलिसकर्मियों पर मुकदमा दर्ज किया गया है. यह मुकदमा उसी थाने में दर्ज कराया गया है जहां के पुलिसकर्मियों पर आरोप लगे थे. इस मामले को लेकर सेंट्रल बार एसोसिएशन कार्य बहिष्कार पर थी. मंगलवार को ज्वाइंट पुलिस कमिश्नर ने इस मामले में पुलिस का बचाव किया था.

मारपीट की सूचना पर पहुंची थी पुलिस : विभूतिखंड थाने में दर्ज एफआईआर के मुताबिक, वकील अभिषेक सिंह, मुकुल सिंह समेत सात वकील अपने मित्रों के साथ 23 फरवरी को समिट बिल्डिंग स्थित माई बार में खाना खाने गए थे. यहां अचानक दो पक्षों में मारपीट हो गई. इसकी सूचना मिलने पर पुलिस मौके पर पहुंची थी.

कई वकीलों को आई गंभीर चोट : पुलिस ने बार का दरवाजा अंदर से बंद कर लिया. इसके बाद जब वकील खाना खाकर बाहर जाने का प्रयास करने लगे तो पुलिसकर्मियों ने उन्हें पहले रोका. इसके बाद जब यह जानकारी हुई की वह सब पेशे से वकील हैं तो 6 दरोगा समेत 18 पुलिसकर्मियों ने लाठियों से सभी की पिटाई की. इससे कई वकीलों को गंभीर चोट आई.

वकीलों ने रोकी थी कैदियो की वैन : वकीलों ने यह एफआईआर विभूतिखंड थाने में ही तैनात दरोगा राहुल बालियान, जसीम रजा, प्रमोद कुमार सिंह, फूलचंद, रितेश दुबे, विनय गुप्ता कुल 18 पुलिसकर्मियों के खिलाफ दर्ज की गई है. बार में वकीलों और पुलिस के बीच हुए इस विवाद से नाराज सेंट्रल बार एसोसिएशन ने सोमवार को जिला कोर्ट में जमकर हंगामा काटते हुए कैदियों की वैन रोक ली थी.

ज्वाइंट पुलिस कमिश्नर ने एसोसिएशन को दिया था जवाब : बार अध्यक्ष अरविंद कुशवाहा ने कहा था जब तक दोषी पुलिसकर्मियों के खिलाफ मुकदमा नहीं लिखा जाता तब तक बार कार्य से बहिष्कार करेंगे. एफआईआर दर्ज करने से एक दिन पहले लखनऊ के ज्वाइंट पुलिस कमिश्नर कानून व्यवस्था उपेंद्र अग्रवाल ने पुलिसकर्मियों का बचाव करते हुए सेंट्रल बार एसोसिएशन को लिखित जवाब भेजा था.

उन्होंने कहा था कि माई बार में मारपीट हुई थी, जिसकी शिकायत में पुलिस मौके पर गई थी. कार्रवाई के तहत पुलिस सभी को थाने लेकर आई थी. इसमें शायद कोई अधिवक्ता भी हो सकता है. पुलिस कार्रवाई करते हुए किसी से उसका प्रोफेशन नहीं पूछती है और न ही देखने से यह पहचान सकती है कि वह अधिवक्ता हैं. जेसीपी ने सेंट्रल बार एसोसिएशन के सभी आरोपों को सिरे से नकार दिया था.

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