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बिहार में 35 साल बाद CPIML को लाल झंडा फहराने की चुनौती: आरा, नालंदा और काराकाट से महागठबंधन की उम्मीदें - Lok Sabha Elections 2024 - LOK SABHA ELECTIONS 2024

Last phase election बिहार में लोकसभा चुनाव के आखिरी चरण में 8 सीटों पर चुनाव होने जा रहे हैं, जिनमें महागठबंधन की ओर से CPIML के तीन प्रत्याशी मैदान में हैं. ये सीटें आरा, नालंदा और काराकाट हैं. बिहार से आखिरी बार CPIML का कोई सांसद 1989 में चुना गया था. अब 35 साल बाद CPIML के सामने चुनौती है. महागठबंधन को इन क्षेत्रों में बड़ी उम्मीदें हैं. देखना दिलचस्प होगा कि क्या CPIML का लाल झंडा फिर से फहराया जा सकेगा. पढ़ें, विस्तार से.

CPIML प्रत्याशियों की चुनौती.
CPIML प्रत्याशियों की चुनौती. (ETV Bharat)
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By ETV Bharat Bihar Team

Published : May 31, 2024, 3:46 PM IST

पटनाः बिहार में लोकसभा चुनाव के आखिरी चरण में 8 सीटों पर होने वाले चुनावी संग्राम में महागठबंधन की ओर से CPIML (मार्क्सवादी-लेनिनवादी) के तीन प्रत्याशी मैदान में हैं. यह चुनाव इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि पिछले 35 सालों से बिहार की धरती पर CPIML का कोई सांसद नहीं चुना गया है. 1989 में आरा सीट से रामेश्वर प्रसाद की जीत के बाद, CPIML के लाल झंडे को फिर से लहराने की कोशिशें जारी हैं.

लाल झंडा फहराने की चुनौती. (ETV Bharat)

एक जून को होना है मतदान: सीपीआई (एमएल) तीन लोकसभा सीटें - आरा, नालंदा और काराकाट पर चुनाव लड़ रही है. महागठबंधन में सीट शेयरिंग के बाद भाकपा माले ने आरा से सुदामा प्रसाद को अपना प्रत्याशी बनाया है. काराकाट से राजाराम सिंह को मैदान में उतारा है. जबकि, नालंदा से संदीप सौरभ को अपना उम्मीदवार बनाया है. यहां शनिवार 1 जून को मतदान होना है.

आरा से सुदामा प्रसाद मैदान मेंः आरा से माले ने सुदामा प्रसाद को उम्मीदवार बनाया है. सुदामा प्रसाद आरा जिले के तरारी विधानसभा से माले के विधायक हैं. उन्होंने 2015 में पहली बार तरारी सीट पर जीत हासिल की. फिर 2020 के विधानसभा चुनाव दुबारा जीते. 2024 लोकसभा चुनाव में सुदामा प्रसाद का सीधा मुकाबला बीजेपी से लगातार दो बार सांसद रहे और केंद्रीय मंत्री आरके सिंह से है.

आरा का जातीय समीकरणः आरा के जातीय समीकरण की बात की जाय तो यहां यादव मतदाताओं की संख्या सबसे ज्यादा है. जिले में लगभग 3 लाख 50 हजार यादव मतदाता हैं. यह आरजेडी का परंपरागत वोट है. भाकपा माले के आधार वोट पिछड़ा, अतिपिछड़ा, मुसलमान समेत दलित समाज का वोट माना जाता है. पासवान जाति के मतदाताओं की संख्या लगभग 50 हजार है. चंद्रवंशी वोटरों की संख्या भी 50 हजार के करीब है. अतिपिछड़ा वोट पांच लाख से ऊपर है. भूमिहार जाति का वोट एक लाख 15 हजार है.

काराकाट से राजाराम सिंह हैं प्रत्याशीः CPI-ML ने 2024 लोकसभा चुनाव में राजाराम सिंह को काराकाट लोकसभा क्षेत्र से अपना प्रत्याशी बनाया है. काराकाट से प्रत्याशी राजाराम सिंह 1995 और 2000 में औरंगाबाद के ओबरा से दो बार विधायक रह चुके हैं. लोकसभा चुनाव में उनके खिलाफ एनडीए ने पूर्व सांसद और राष्ट्रीय लोक मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष उपेंद्र कुशवाहा को अपना उम्मीदवार बनाया. शुरू में उपेंद्र कुशवाहा और राजाराम सिंह के बीच सीधी लड़ाई दिख रही थी. लेकिन भोजपुरी सिने स्टार पवन सिंह ने निर्दलीय नामांकन पत्र दाखिल किया और अब काराकाट में त्रिकोणीय मुकाबला हो गया है.

काराकाट का जातीय समीकरणः यहां सबसे अधिक करीब 3 लाख यादव मतदाता हैं. 2.5 लाख मुस्लिम, कोइरी-कुर्मी मिलाकर करीब ढाई लाख वोटर्स हैं. राजपूत मतदाता की संख्या करीब दो लाख है. निषाद के 1.5 लाख तो इसके अलावा 75 हजार ब्राह्मण और करीब 50 हजार भूमिहार वोटर्स भी हैं. राजाराम सिंह और उपेंद्र कुशवाहा दोनों कुशवाहा जाति से आते हैं, इसलिए यहां कुशवाहा वोट में बिखराव देखने को मिल सकता है. सीपीआई-माले के लिए सबसे अच्छी स्थिति काराकाट लोकसभा क्षेत्र में होगी, क्योंकि इस सीट के अंतर्गत आने वाले सभी छह विधानसभा क्षेत्रों पर वर्तमान में महागठबंधन के विधायकों का कब्जा है.

नालंदा से संदीप सौरभ उम्मीदवारः CPI-ML ने 2024 लोकसभा चुनाव में नालंदा से संदीप सौरभ को अपना उम्मीदवार बनाया है. संदीप सौरभ अभी पालीगंज से माले के विधायक हैं. संदीप सौरभ जेएनयू छात्र संघ के महासचिव रह चुके हैं. संदीप सौरभ का मुकाबला जदयू से तीन बार के सांसद रहे कौशलेंद्र कुमार से है. नालंदा में संदीप सौरभ के सामने सबसे बड़ी चुनौती है कि नालंदा लोकसभा क्षेत्र नीतीश कुमार का गृह जिला है. इस सीट से जेडीयू 2014 में मोदी लहर में भी नहीं हारा था.

नालंदा का जातीय समीकरणः नालंदा लोकसभा सीट के जातीय समीकरण की बात करें तो यहां कुर्मी जाति के वोटरों की बहुलता है. मुस्लिम और यादव वोटर्स की संख्या भी ज्यादा है. यहां पर कुर्मी मतदाता 24 प्रतिशत से ज्यादा है. वहीं यादव वोटर्स 15 हैं. मुस्लिम मतदाता लगभग 10 प्रतिशत हैं. हर चुनाव में यहां सवर्ण वोटर्स भी निर्णायक भूमिका में रहते हैं.

सोशल इंजीनियरिंग के तहत उम्मीदवारों का चयनः वरिष्ठ पत्रकार रवि उपाध्याय का कहना है कि लोकसभा चुनाव में माले ने जातीय समीकरण को देखते हुए अपने प्रत्याशी दिए हैं. नालंदा से यादव जाति का उम्मीदवार दिया है. आरा से वैश्य समुदाय का उम्मीदवार और काराकाट से कुशवाहा जाति का उम्मीदवार दिया है. पहली बार सीपीआईएमएल सोशल इंजीनियरिंग के तहत चुनाव लड़ रही है. लेकिन जिन जातियों के उम्मीदवारों का उन्होंने चयन किया है उस जाति के लोगों में भी माले को लेकर डर बना रहता था.

"आरा काराकाट एवं नालंदा सीट पर सीपीआईएमएल ने अपने प्रत्याशी दिये हैं. सीपीआईएमएल के इतिहास को देखते हुए लोगों के मन में डर बना रहता है. आम लोगों के मन में यह धारणा है कि जमीन से जुड़े किसी भी मामले में ये लोग जबरन दखलअंदाजी करते हैं."- रवि उपाध्याय, राजनीतिक विश्लेषक

35 वर्ष पहले माले की हुई थी जीतः बिहार से आखिरी बार सीपीआई (एमएल) का कोई सांसद 1989 में चुना गया था, जब आरा से रामेश्वर प्रसाद जीते थे. 2020 के विधानसभा चुनाव में पार्टी ने 19 सीटों पर चुनाव लड़ा था, जिनमें से 12 पर उसे जीत मिली. CPI-ML की उम्मीदें इस बात से बढ़ गई हैं कि यह बिहार में राष्ट्रीय जनता दल के नेतृत्व वाले विपक्षी इंडिया गठबंधन का हिस्सा है. इस बार 30 वर्ष के बाद लोकसभा चुनाव जीतने की उम्मीद है.

इसे भी पढ़ेंः कभी एक दर्जन लोकसभा सीटों पर था वाम दलों का दबदबा...फिर गरीब भी बंट गये जाति में - Lok Sabha Election 2024

इसे भी पढ़ेंः वाम दल और कांग्रेस दोनों चुनावों में पीएफआई का समर्थन ले रहे हैं: अमित शाह - Lok Sabha Election 2024

पटनाः बिहार में लोकसभा चुनाव के आखिरी चरण में 8 सीटों पर होने वाले चुनावी संग्राम में महागठबंधन की ओर से CPIML (मार्क्सवादी-लेनिनवादी) के तीन प्रत्याशी मैदान में हैं. यह चुनाव इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि पिछले 35 सालों से बिहार की धरती पर CPIML का कोई सांसद नहीं चुना गया है. 1989 में आरा सीट से रामेश्वर प्रसाद की जीत के बाद, CPIML के लाल झंडे को फिर से लहराने की कोशिशें जारी हैं.

लाल झंडा फहराने की चुनौती. (ETV Bharat)

एक जून को होना है मतदान: सीपीआई (एमएल) तीन लोकसभा सीटें - आरा, नालंदा और काराकाट पर चुनाव लड़ रही है. महागठबंधन में सीट शेयरिंग के बाद भाकपा माले ने आरा से सुदामा प्रसाद को अपना प्रत्याशी बनाया है. काराकाट से राजाराम सिंह को मैदान में उतारा है. जबकि, नालंदा से संदीप सौरभ को अपना उम्मीदवार बनाया है. यहां शनिवार 1 जून को मतदान होना है.

आरा से सुदामा प्रसाद मैदान मेंः आरा से माले ने सुदामा प्रसाद को उम्मीदवार बनाया है. सुदामा प्रसाद आरा जिले के तरारी विधानसभा से माले के विधायक हैं. उन्होंने 2015 में पहली बार तरारी सीट पर जीत हासिल की. फिर 2020 के विधानसभा चुनाव दुबारा जीते. 2024 लोकसभा चुनाव में सुदामा प्रसाद का सीधा मुकाबला बीजेपी से लगातार दो बार सांसद रहे और केंद्रीय मंत्री आरके सिंह से है.

आरा का जातीय समीकरणः आरा के जातीय समीकरण की बात की जाय तो यहां यादव मतदाताओं की संख्या सबसे ज्यादा है. जिले में लगभग 3 लाख 50 हजार यादव मतदाता हैं. यह आरजेडी का परंपरागत वोट है. भाकपा माले के आधार वोट पिछड़ा, अतिपिछड़ा, मुसलमान समेत दलित समाज का वोट माना जाता है. पासवान जाति के मतदाताओं की संख्या लगभग 50 हजार है. चंद्रवंशी वोटरों की संख्या भी 50 हजार के करीब है. अतिपिछड़ा वोट पांच लाख से ऊपर है. भूमिहार जाति का वोट एक लाख 15 हजार है.

काराकाट से राजाराम सिंह हैं प्रत्याशीः CPI-ML ने 2024 लोकसभा चुनाव में राजाराम सिंह को काराकाट लोकसभा क्षेत्र से अपना प्रत्याशी बनाया है. काराकाट से प्रत्याशी राजाराम सिंह 1995 और 2000 में औरंगाबाद के ओबरा से दो बार विधायक रह चुके हैं. लोकसभा चुनाव में उनके खिलाफ एनडीए ने पूर्व सांसद और राष्ट्रीय लोक मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष उपेंद्र कुशवाहा को अपना उम्मीदवार बनाया. शुरू में उपेंद्र कुशवाहा और राजाराम सिंह के बीच सीधी लड़ाई दिख रही थी. लेकिन भोजपुरी सिने स्टार पवन सिंह ने निर्दलीय नामांकन पत्र दाखिल किया और अब काराकाट में त्रिकोणीय मुकाबला हो गया है.

काराकाट का जातीय समीकरणः यहां सबसे अधिक करीब 3 लाख यादव मतदाता हैं. 2.5 लाख मुस्लिम, कोइरी-कुर्मी मिलाकर करीब ढाई लाख वोटर्स हैं. राजपूत मतदाता की संख्या करीब दो लाख है. निषाद के 1.5 लाख तो इसके अलावा 75 हजार ब्राह्मण और करीब 50 हजार भूमिहार वोटर्स भी हैं. राजाराम सिंह और उपेंद्र कुशवाहा दोनों कुशवाहा जाति से आते हैं, इसलिए यहां कुशवाहा वोट में बिखराव देखने को मिल सकता है. सीपीआई-माले के लिए सबसे अच्छी स्थिति काराकाट लोकसभा क्षेत्र में होगी, क्योंकि इस सीट के अंतर्गत आने वाले सभी छह विधानसभा क्षेत्रों पर वर्तमान में महागठबंधन के विधायकों का कब्जा है.

नालंदा से संदीप सौरभ उम्मीदवारः CPI-ML ने 2024 लोकसभा चुनाव में नालंदा से संदीप सौरभ को अपना उम्मीदवार बनाया है. संदीप सौरभ अभी पालीगंज से माले के विधायक हैं. संदीप सौरभ जेएनयू छात्र संघ के महासचिव रह चुके हैं. संदीप सौरभ का मुकाबला जदयू से तीन बार के सांसद रहे कौशलेंद्र कुमार से है. नालंदा में संदीप सौरभ के सामने सबसे बड़ी चुनौती है कि नालंदा लोकसभा क्षेत्र नीतीश कुमार का गृह जिला है. इस सीट से जेडीयू 2014 में मोदी लहर में भी नहीं हारा था.

नालंदा का जातीय समीकरणः नालंदा लोकसभा सीट के जातीय समीकरण की बात करें तो यहां कुर्मी जाति के वोटरों की बहुलता है. मुस्लिम और यादव वोटर्स की संख्या भी ज्यादा है. यहां पर कुर्मी मतदाता 24 प्रतिशत से ज्यादा है. वहीं यादव वोटर्स 15 हैं. मुस्लिम मतदाता लगभग 10 प्रतिशत हैं. हर चुनाव में यहां सवर्ण वोटर्स भी निर्णायक भूमिका में रहते हैं.

सोशल इंजीनियरिंग के तहत उम्मीदवारों का चयनः वरिष्ठ पत्रकार रवि उपाध्याय का कहना है कि लोकसभा चुनाव में माले ने जातीय समीकरण को देखते हुए अपने प्रत्याशी दिए हैं. नालंदा से यादव जाति का उम्मीदवार दिया है. आरा से वैश्य समुदाय का उम्मीदवार और काराकाट से कुशवाहा जाति का उम्मीदवार दिया है. पहली बार सीपीआईएमएल सोशल इंजीनियरिंग के तहत चुनाव लड़ रही है. लेकिन जिन जातियों के उम्मीदवारों का उन्होंने चयन किया है उस जाति के लोगों में भी माले को लेकर डर बना रहता था.

"आरा काराकाट एवं नालंदा सीट पर सीपीआईएमएल ने अपने प्रत्याशी दिये हैं. सीपीआईएमएल के इतिहास को देखते हुए लोगों के मन में डर बना रहता है. आम लोगों के मन में यह धारणा है कि जमीन से जुड़े किसी भी मामले में ये लोग जबरन दखलअंदाजी करते हैं."- रवि उपाध्याय, राजनीतिक विश्लेषक

35 वर्ष पहले माले की हुई थी जीतः बिहार से आखिरी बार सीपीआई (एमएल) का कोई सांसद 1989 में चुना गया था, जब आरा से रामेश्वर प्रसाद जीते थे. 2020 के विधानसभा चुनाव में पार्टी ने 19 सीटों पर चुनाव लड़ा था, जिनमें से 12 पर उसे जीत मिली. CPI-ML की उम्मीदें इस बात से बढ़ गई हैं कि यह बिहार में राष्ट्रीय जनता दल के नेतृत्व वाले विपक्षी इंडिया गठबंधन का हिस्सा है. इस बार 30 वर्ष के बाद लोकसभा चुनाव जीतने की उम्मीद है.

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