शिमला: हिमाचल प्रदेश में लोग दिवाली की तैयारियों में जुटे हुए हैं. राजधानी शिमला में भी धूमधाम से दिवाली का त्योहार मनाने की तैयारी की जा रही है. इस बीच शिमला के उपनगर टुटू में गोबर के दीए खास आकर्षण का केंद्र बने हुए हैं. टुटू में कामनापूर्णी गौशाला में गोबर से दीए और धूप बनाए जा रहे हैं. जो की लोगों को पसंद भी आ रहे हैं. इसके अलावा भी गोबर से बहुत सारी चीजें बनाई जा रही हैं.
3 सालों से बनाए जा रहे दीए
गौशाला समिति के अध्यक्ष सुरेंद्र ठाकुर ने बताया कि पिछले तीन सालों से दिवाली के लिए गौशाला में दीए और धूप बनाने का काम किया जा रहा है. बहुत से लोग इनकी खरीदारी भी करते हैं. इस साल भी समिति ने कारोबार का लक्ष्य 50 हजार रखा है. अभी स्थानीय स्तर पर लोग या फिर गौशाला के सदस्य ही इसका ज्यादा इस्तेमाल कर रहे हैं. आने वाले समय में इसे पूरा व्यावसायिक तौर पर किया जाना प्रस्तावित है.
दीयों और धूप की कीमत
सुरेंद्र ठाकुर ने बताया कि गौशाला में गोबर से बने दीयों की कीमत 10 रुपए से लेकर 50 रुपए तक है. वहीं, धूप के दाम 60 रुपए तक हैं. लोग भी गोबर से बने दीए और धूप पसंद कर रहे हैं. हालांकि अभी तक ज्यादा मात्रा में ब्रिकी नहीं हो रही है, लेकिन उम्मीद है कि आने वाले समय में इसकी बाजार में मांग बढ़ सकती है.
गोबर के दीए के फायदे
सुरेंद्र ठाकुर ने बताया कि दिवाली पर गाय के गोबर से बने दीपकों को प्रज्वलित किया जाएगा. शहर में ज्यादा से ज्यादा घरों में इन दीयों की रोशनी होगी. उन्होंने कहा कि गोबर से बने दीपक में घी मिलने से इससे निकलने वाला धुंआ भी वातावरण के लिए बेहद फायदेमंद रहेगा. गोबर से बने दीपक से वातावरण में शुद्धता होगी और इससे प्रदूषण भी नहीं होता है.
गोबर के धूप के फायदे
गौशाला समिति के अध्यक्ष सुरेंद्र ठाकुर ने कहा कि गोबर के धूपबत्ती का इस्तेमाल धार्मिक आयोजनों में बहुत प्राचीन समय से किया जाता रहा है. इसे धूपबत्ती के रूप में मंदिरों और घरों में जलाया जाता है. गोबर धूपबत्ती को धार्मिक रूप से महत्वपूर्ण माना जाता है. इसके गाय के गोबर के गुण होते हैं. इसे जलाने से नकारात्मक ऊर्जा का प्रभाव खत्म हो जाता है और घर में सकारात्मक ऊर्जा आती है.