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रिश्वतखोर लेखपाल को तीन साल की जेल, कोर्ट ने 25 हजार का जुर्माना भी लगाया

नैनीताल जिले के हल्द्वानी में रिश्वतखोर लेखपाल को कोर्ट ने तीन साल के लिए जेल भेजा है.

haldwani
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By ETV Bharat Uttarakhand Team

Published : 3 hours ago

हल्द्वानी: जमीनी अभिलेख में फसल दर्ज करने के एवज में रिश्वत मांगने वाले लेखपाल संतोष कुमार श्रीवास्तव को कोर्ट ने तीस साल के कारावास की सजा सुनाई है. साथ ही कोर्ट ने दोषी पर 25 हजार रुपए का अतिरिक्त जुर्माना भी लगाया है.

जानकारी के मुताबिक विजिलेंस ने दोषी संतोष कुमार को साल 2017 में रिश्वत लेते हुए रंगेहाथ गिरफ्तार किया था. विजिलेंस अधिकारियों के मुताबिक जयंतनगर शक्तिफार्म सितारगंज ऊधम सिंह नगर निवासी शंकर विश्वास पुत्र संजय विश्वास ने सतर्कता अधिष्ठान कार्यालय में 27 नवंबर 2017 को शिकायत की थी.

अपनी शिकायत ने शंकर विश्वास बताया था कि उसकी दादी की मृत्यु के बाद खतौनी से दादी का नाम काटकर तीन एकड़ जमीन को तीन भाइयों के नाम दर्ज करने और उक्त जमीन में फसल दर्ज कराने सम्बन्धी कार्य कराना था. इसके लिए वो सर्वे लेखपाल संतोष के पास पहुंचे. संतोष ने इसके एवज में ढाई हजार रुपये रिश्वत की मांग की.

शिकायत पर विजिलेंस के निरीक्षक प्रमोद कुमार शाह के नेतृत्व में ट्रैप टीम गठित की गई. जिसने 28 नवंबर को लेखपाल संतोष को रिश्वत लेते रंगेहाथ पकड़ लिया. संतोष के खिलाफ विजिलेंस थाने में मुकदमा दर्ज हुआ. आरोप पत्र न्यायालय प्रेषित किया गया.

अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश प्रथम/विशेष न्यायाधीश भ्रष्टाचार निवारण हल्द्वानी नीलम रात्रा की अदालत ने संतोष कुमार श्रीवास्वत को कुसूरवार ठहराते हुए तीन वर्ष के कठिन कारावास और 25 हजार रुपये जुर्माने की सजा सुनाई. साथ ही कहा कि जुर्माना अदा न करने पर संतोष को छह माह का अतिरिक्त साधारण कारावास भोगना होगा.

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हल्द्वानी: जमीनी अभिलेख में फसल दर्ज करने के एवज में रिश्वत मांगने वाले लेखपाल संतोष कुमार श्रीवास्तव को कोर्ट ने तीस साल के कारावास की सजा सुनाई है. साथ ही कोर्ट ने दोषी पर 25 हजार रुपए का अतिरिक्त जुर्माना भी लगाया है.

जानकारी के मुताबिक विजिलेंस ने दोषी संतोष कुमार को साल 2017 में रिश्वत लेते हुए रंगेहाथ गिरफ्तार किया था. विजिलेंस अधिकारियों के मुताबिक जयंतनगर शक्तिफार्म सितारगंज ऊधम सिंह नगर निवासी शंकर विश्वास पुत्र संजय विश्वास ने सतर्कता अधिष्ठान कार्यालय में 27 नवंबर 2017 को शिकायत की थी.

अपनी शिकायत ने शंकर विश्वास बताया था कि उसकी दादी की मृत्यु के बाद खतौनी से दादी का नाम काटकर तीन एकड़ जमीन को तीन भाइयों के नाम दर्ज करने और उक्त जमीन में फसल दर्ज कराने सम्बन्धी कार्य कराना था. इसके लिए वो सर्वे लेखपाल संतोष के पास पहुंचे. संतोष ने इसके एवज में ढाई हजार रुपये रिश्वत की मांग की.

शिकायत पर विजिलेंस के निरीक्षक प्रमोद कुमार शाह के नेतृत्व में ट्रैप टीम गठित की गई. जिसने 28 नवंबर को लेखपाल संतोष को रिश्वत लेते रंगेहाथ पकड़ लिया. संतोष के खिलाफ विजिलेंस थाने में मुकदमा दर्ज हुआ. आरोप पत्र न्यायालय प्रेषित किया गया.

अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश प्रथम/विशेष न्यायाधीश भ्रष्टाचार निवारण हल्द्वानी नीलम रात्रा की अदालत ने संतोष कुमार श्रीवास्वत को कुसूरवार ठहराते हुए तीन वर्ष के कठिन कारावास और 25 हजार रुपये जुर्माने की सजा सुनाई. साथ ही कहा कि जुर्माना अदा न करने पर संतोष को छह माह का अतिरिक्त साधारण कारावास भोगना होगा.

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