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चाचा ने 11 वर्षीय भतीजी के साथ किया था रेप, कोर्ट ने सुनाई 20 साल कैद की सजा - श्रीट्रान इंडिया

पॉक्सो एक्ट के विशेष न्यायाधीश ने नाबालिग से दुष्कर्म के आरोपी चाचा को 20 साल के कैद की सजा सुनाई है. कोर्ट ने आरोपी पर 11 हजार रुपये का जुर्माना भी लगाया है. वहीं एक अन्य मामले में श्रीट्रान इंडिया के प्रबंधक अनंग पाल पवार को अग्रिम जमानत नहीं दी है.

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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Jan 25, 2024, 10:58 PM IST

लखनऊ : चचेरे भाई की नाबालिग लड़की के साथ दुष्कर्म करने के आरोपी सुभाष को दोषी ठहराते हुए पॉक्सो एक्ट के विशेष न्यायाधीश नीरज कुमार उपाध्याय ने दोषी को 20 साल के कैद की सजा सुनाई है. इसके साथ ही कोर्ट ने उस पर 11 हजार रुपये का जुर्माना भी लगाया है.

कोर्ट में सरकारी वकील सुखेन्द्र प्रताप सिंह ने बताया कि वादी ने मामले की रिपोर्ट मलिहाबाद थाने में दर्ज कराई थी. रिपोर्ट में कहा गया कि 8 अप्रैल 2019 को वादी की 11 वर्ष की पुत्री घर पर अकेली थी. उसी समय वादी का चचेरा भाई सुभाष वादी के घर आया और नाबालिग के साथ दुष्कर्म किया. बचाव पक्ष की ओर से दलील दी गई कि पट्टीदारी के विवाद में अभियुक्त को झूठा फंसाया गया है. हालांकि पीड़िता के बयानों व अन्य साक्ष्यों को देखते हुए कोर्ट ने अभियुक्त को दोषी करार दिया है.



श्रीट्रान इंडिया के प्रबंधक अनंग पाल पवार को अग्रिम जमानत नहीं : चिकित्सीय अवकाश लेकर नौकरी से गायब रहने व इस्तीफा देने के बाद भी सभी लाभ लेने और बाद में कूटरचित दस्तावेजों और मेडिकल के सहारे फिर से नौकरी प्राप्त करने के आरोपी श्रीट्रान इंडिया के तत्कालीन प्रबंधक अनंग पाल पवार की अग्रिम जमानत अर्जी को भ्रष्टाचार निवारण के विशेष न्यायाधीश अजय श्रीवास्तव ने खारिज कर दिया. कोर्ट में सरकारी वकील कमल अवस्थी और महेश त्रिपाठी ने बताया कि मामले की रिपोर्ट लखनऊ के विजिलेंस थाने में दर्ज कराई गई थी.

शासन ने 29 मार्च 2022 को सतर्कता अधिष्ठान को आदेश दिया था कि वह आरोपी के सेवा सम्बंधी प्रपत्रों में छेड़छाड़ की जांच करे. जांच में पता चला कि आरोपी अनंग पाल पवार की नियुक्ति राज्य सरकार के श्रीट्रान इंडिया में बिजनेस डेवलपमेंट इंजीनियर के पद पर हुई थी और उसने 2010 में चिकत्सीय अवकाश लिया था, लेकिन छुट्टी खत्म होने के बाद भी कार्य पर वापस नहीं आया जिस पर उसका वेतन रोक दिया गया था. इसके बाद आरोपी ने अपना त्याग पत्र दे दिया, जिसे स्वीकार करते हुए उसके समस्त भत्ते दे दिए गए. आरोप है कि आरोपी ने कार्यालय के अन्य अधिकारियों से मिलीभगत करके दस्तावेजों में छेड़छाड़ करते हुए, अवैध रूप से पुनः नौकरी प्राप्त कर ली.

यह भी पढ़ें : नौकर ने मालिक की नाबालिग बेटी से किया था रेप, कोर्ट ने 3 साल बाद सुनाई 20 साल कैद की सजा
सहारनपुर में नाबालिग से दुष्कर्म के दोषी को दस वर्ष का सश्रम कारावास

लखनऊ : चचेरे भाई की नाबालिग लड़की के साथ दुष्कर्म करने के आरोपी सुभाष को दोषी ठहराते हुए पॉक्सो एक्ट के विशेष न्यायाधीश नीरज कुमार उपाध्याय ने दोषी को 20 साल के कैद की सजा सुनाई है. इसके साथ ही कोर्ट ने उस पर 11 हजार रुपये का जुर्माना भी लगाया है.

कोर्ट में सरकारी वकील सुखेन्द्र प्रताप सिंह ने बताया कि वादी ने मामले की रिपोर्ट मलिहाबाद थाने में दर्ज कराई थी. रिपोर्ट में कहा गया कि 8 अप्रैल 2019 को वादी की 11 वर्ष की पुत्री घर पर अकेली थी. उसी समय वादी का चचेरा भाई सुभाष वादी के घर आया और नाबालिग के साथ दुष्कर्म किया. बचाव पक्ष की ओर से दलील दी गई कि पट्टीदारी के विवाद में अभियुक्त को झूठा फंसाया गया है. हालांकि पीड़िता के बयानों व अन्य साक्ष्यों को देखते हुए कोर्ट ने अभियुक्त को दोषी करार दिया है.



श्रीट्रान इंडिया के प्रबंधक अनंग पाल पवार को अग्रिम जमानत नहीं : चिकित्सीय अवकाश लेकर नौकरी से गायब रहने व इस्तीफा देने के बाद भी सभी लाभ लेने और बाद में कूटरचित दस्तावेजों और मेडिकल के सहारे फिर से नौकरी प्राप्त करने के आरोपी श्रीट्रान इंडिया के तत्कालीन प्रबंधक अनंग पाल पवार की अग्रिम जमानत अर्जी को भ्रष्टाचार निवारण के विशेष न्यायाधीश अजय श्रीवास्तव ने खारिज कर दिया. कोर्ट में सरकारी वकील कमल अवस्थी और महेश त्रिपाठी ने बताया कि मामले की रिपोर्ट लखनऊ के विजिलेंस थाने में दर्ज कराई गई थी.

शासन ने 29 मार्च 2022 को सतर्कता अधिष्ठान को आदेश दिया था कि वह आरोपी के सेवा सम्बंधी प्रपत्रों में छेड़छाड़ की जांच करे. जांच में पता चला कि आरोपी अनंग पाल पवार की नियुक्ति राज्य सरकार के श्रीट्रान इंडिया में बिजनेस डेवलपमेंट इंजीनियर के पद पर हुई थी और उसने 2010 में चिकत्सीय अवकाश लिया था, लेकिन छुट्टी खत्म होने के बाद भी कार्य पर वापस नहीं आया जिस पर उसका वेतन रोक दिया गया था. इसके बाद आरोपी ने अपना त्याग पत्र दे दिया, जिसे स्वीकार करते हुए उसके समस्त भत्ते दे दिए गए. आरोप है कि आरोपी ने कार्यालय के अन्य अधिकारियों से मिलीभगत करके दस्तावेजों में छेड़छाड़ करते हुए, अवैध रूप से पुनः नौकरी प्राप्त कर ली.

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