पटना: भारत में पहली बार नियॉन आर्ट एग्जिबिशन पटना में लगाया गया है. यह प्रदर्शनी कला संस्कृति युवा विभाग और ला पिंटूरा के सहयोग से लगाया गया है. नियॉन आर्ट एग्जीबिशन में कलाकारों के द्वारा अलग-अलग थीम पर तस्वीर तैयार किया गया है. जिसमें वेशभूषा में देवी ,नृत्य करते भैरव, छठ पर्व और संघर्षरत बच्चे जैसे वैश्विक मुद्दों पर चित्रण किया गया है.
पटना में देश की पहली नियॉन कला प्रदर्शनी: इस एग्जीबिशन में 50 से अधिक खूबसूरत पेंटिंग लगायी गयी है, जिसमें 15 से अधिक कलाकारों ने हिस्सा लिया है. नियॉन आर्ट ब्लू रे लाइट पर काफी चमकीला और आकर्षक दिखता है. ला पिंटूरा के डायरेक्टर अभिषेक कुमार ने बताया कि नियॉन पेंटिंग अलग होती है. वॉटरकलर , तेल और एक्रेलिक कलर्स से तैयार किया जाता है.
"इस आर्ट में नियॉन कलर्स का यूज किया गया जो बाकी कलरों से अलग होता है. इसकी खासियत है कि यह बहुत ज्यादा वाइब्रेंट और ग्लोइंग करती है. इस आर्ट को जब भी आप ब्लू लाइट से देखेंगे तो ऐसा लगेगा कि पेंटिंग के अंदर से लाइट जल रही है.वह बहुत ज्यादा ग्लो करता है."- अभिषेक कुमार, डायरेक्टर, ला पिंटूरा संस्था
अन्य देशों में काफी फेमस है यह कला: उन्होंने कहा कि हम लोगों ने कैनवस पर पेंटिंग नहीं की है बल्कि अलग-अलग आर्ट फॉर्म्स को यूज किया है, जैसे बिहार के मधुबनी उसको भी हम लोगों ने नियॉन पेंट में बनाया है और उसकी प्रदर्शन की है. इसी के साथ-साथ तिब्बत नेपाल और इंडोनेशिया का एक फेमस आर्ट ठंका है. वहां की आर्ट को जानने के लिए हमारी संस्था ने वर्कशॉप किया और वहां से हम लोगों ने इस कला को सीखा.
क्या है नियॉन पेटिंग: अभिषेक कहते हैं कि वर्कशॉप के बाद हमने नियॉन पेंटिंग बनाना शुरू किया और अब यहां प्रदर्शनी लगायी गई है. नियॉन बेसिकली अलग टाइप का कलर है. इसको किसी भी आर्ट फॉर्म में यूज कर सकते हैं. आज के समय में बहुत ज्यादा फेमस हो रहा है. बिहार में और इंडिया में भी इसका प्रचलन तेजी से बढ़ाने की कोशिश में कलाकार लगे हैं.
बेकार चीजों से बनी पेंटिंग देख सभी दंग: उन्होंने आगे बताया कि कलाकारों के द्वारा नियॉन कला प्रदर्शनी में भक्ति के रंग के साथ आपको अलग-अलग थीम पर तस्वीर देखने को मिलेगी. भारत में नियॉन आर्ट का एग्जीबिशन नहीं लगता है. विदेश में इसकी ज्यादा डिमांड है. इसलिए भारत और बिहार के आर्ट से जुड़े कलाकार को इसमें लगाया गया है. इस प्रदर्शनी में नियॉन पेंटिंग में स्क्रैप छाता की बेकार पड़े सामानों का उपयोग किया गया है.