कवर्धा: छत्तीसगढ़ में मनरेगा योजना के तहत श्रमिकों को सबसे ज्यादा रोजगार देकर नंबर वन होने की वाहवाही लूटने वाला कवर्धा जिला भ्रष्टाचार में नंबर वन पर है. वहीं, जिले में भ्रष्टाचार की पोल खुलने के बाद अधिकारी लिपापोती कर ममाले को दबाने का प्रयास कर रहें हैं. अधिकारियों की पोल तो तब खुली जब ग्रामीणों को पता लगा कि गांव के तलाब गहरीकरण काम में उनकी हाजिर है, जबकि उन्होंने काम किया ही नहीं.
ग्रामीणों ने की शिकायत: इधर, ग्रामीणों ने मामले की शिकायत डिप्टी सीएम विजय शर्मा और कलेक्टर से की. जांच में ग्रामीणों की शिकायत सही पाई गई. सरपंच सचिव ने अधिकारियों से मिलकर गांव के तलाब को कागजों में गहरीकरण और निर्माण कर 12 लाख डकार गए थे. जिला सीईओ संदीप अग्रवाल संबंधित सरपंच सचिव पर कारवाई की बात कह रहे हैं, जबकि पंचायत अधिनियम के तहत सरपंच को तत्काल बर्खास्त कर सचिव और संबंधित अधिकारी एफआईआर दर्ज के साथ वसूली की कारवाई किया जाना चाहिए.
जानिए क्या है पूरा मामला: दरअसल, ये पूरा मामला कबीरधाम जिले के जनपद पंचायत बोड़ला अंतर्गत ग्राम पंचायत मंडमड़ा का है. यहां मनरेगा योजना के तहत गांव के शिशुमंदिर के पास तालाब निर्माण और गहरीकरण के नाम से 12 लाख रुपए से अधिक राशि स्वीकृत हुई थी, लेकिन दोनों जगह में कोई काम नहीं हुआ और रोजगार सचिव, सरपंच इंजीनियर के साथ मिलकर गांव के कुछ लोगों के नाम लगभग 12 लाख रुपए का फर्जी मस्टररोल भर लिया गया. साथ ही उनके खाते में राशि जमा कर आपस में बांट लिया गया. मामले की जानकारी जब अन्य ग्रामीणों को हुई तो उन्होंने शिकायत कलेक्टर और उपमुख्यमंत्री विजय शर्मा से की. इसके बाद जिला पंचायत सीईओ की ओर से टीम बनाकर शिकायत की जांच कराई गई, जिसमें ग्रामीणों की शिकायत सही मिली. लगभग 12 लाख रुपए के भ्रष्टाचार का खुलासा हुआ.
बोड़ला ब्लॉक के ग्राम पंचायत मड़मड़ा में सरपंच सचिव की मिली भगत से फर्जी मास्टरोल भरकर तलाब गहरीकरण और निर्माण के 12 लाख रुपए के भ्रष्टाचार का मामला सामने आया था. मामले की शिकायत मिलने पर जांच कराई गई. जांच में शिकायत सही पाई गई. मामले में सरपंच सचिव और इंजिनियर से राशि वसूली किया जाएगा. साथ ही सरपंच को बर्खास्त करने के लिए एसडीएम को पत्र लिखा गया है. -संदीप अग्रवाल, सीईओ, जिला पंचायत, कबीरधाम
सरपंच सचिव को बचाने का किया जा रहा प्रयास: इस मामले में कार्रवाई के नाम पर प्रशासन सरपंच को बर्खास्त करने के लिए एसडीएम को पत्र लिखने और सरपंच, सचिव और इंजीनियर से राशि वसूली करने की बात कर रही है. हालांकि इस पूरे भ्रष्टाचार के खेल में शामिल फर्जी मस्टररोल बनाने वाले और काम कराने के नाम पर मापपुस्तिका तैयार कर मूल्यांकन करने वाले इंजीनियर और अन्य दोषियों पर कारवाई नहीं की जा रही है, जबकि मनरेगा अधिनियम के अनुसार इस तरह का काम करने वाले लोगों को तत्काल सेवा से बर्खास्त कर एफआईआर दर्ज कराने के साथ ही राशि वसूली करने का प्रावधान है.