शिमला: हिमाचल में उचित मूल्य की दुकानों में अब उपभोक्ताओं को गेहूं का आटा, चावल, तीन दालें, नमक, सरसों तेल के बाद अब मक्की का ऑर्गेनिक आटा भी उपलब्ध होगा. प्रदेश में पढ़े लिखे युवाओं के पलायन को रोकने और खेती बाड़ी के पेशे से जोड़ने के लिए सुक्खू सरकार ने अनूठी पहल की है. ग्रामीणों की आर्थिक सेहत सुधारने के लिए सरकार प्राकृतिक तकनीक से तैयार पारंपरिक फसलों को किसानों से महंगे भाव में खरीदने की योजना लेकर आई है.
इसके तहत प्रदेश में प्राकृतिक खेती से जुड़े किसानों से 30 रुपये किलो मक्की की फसल खरीदी जा रही है. अब मिलों में पिसाई करके 15 दिसंबर के बाद उपभोक्ताओं को डिपुओं में पहली बार मक्की का ऑर्गेनिक आटा उपलब्ध होगा. मक्की की पिसाई का काम 15 मिलों को दिया गया है.
इतने किलो पैकिंग में उपलब्ध होगा आटा
हिमाचल के डिपुओं में पहली बार उपभोक्ताओं को प्राकृतिक खेती की तकनीक से तैयार की गई मक्की का आटा मिलेगा जो एक किलो और पांच किलो की पैकिंग में उपलब्ध होगा. इसके लिए खाद्य नागरिक आपूर्ति एवं उपभोक्ता मामले विभाग ने फ्लोर मिलों से मक्की की पिसाई का कार्य दे दिया है. ऐसे में दिसंबर महीने की 15 तारीख के बाद मक्की का आटा उचित मूल्यों की दुकानों में बेचने के लिए उपलब्ध होगा.
खासकर शहरी क्षेत्रों में सर्दियों के मौसम में मक्की के आटे की काफी अधिक मांग रहती है. बता दें कि ऑर्गेनिक मक्की का आटा उच्च गुणवत्ता से भरपूर होता है. इसमें कीटनाशकों और रसायनों का प्रयोग नहीं किया जाता है. डिपुओं में इसे उपलब्ध करवाने से आम जनता तक इसकी पहुंच बढ़ेगी और उन्हें एक पोषक और प्राकृतिक आहार विकल्प मिलेगा. मक्की के आटे में फाइबर, प्रोटीन और कई महत्वपूर्ण विटामिन होते हैं जो सेहत के लिए फायदेमंद हैं. खासकर सर्दियों में मक्की की रोटी खाने से शरीर को गर्मी मिलती है.
25 अक्टूबर से मक्की की खरीद शुरू
प्रदेश की सुक्खू सरकार पहली बार किसानों से प्राकृतिक खेती से तैयार मक्की की फसल को 30 रुपये प्रति किलो के हिसाब से खरीद रही है. इसके लिए प्रदेशभर में प्राकृतिक खेती खुशहाल किसान योजना के तहत 25 अक्टूबर से मक्की को खरीदने की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है. ऐसे में प्राकृतिक खेती से तैयार मक्की की खपत बढ़ाने के लिए सरकार ने डिपुओं में मक्की का आटा बेचने की योजना तैयार की है. इसके तहत हिमाचल के डिपुओं में पहली बार बिना कीटनाशकों और रसायनों से तैयार की गई मक्की का आटा मिलेगा. प्रदेश की सुक्खू सरकार का स्वास्थ्य को बढ़ावा देने और लोगों को स्वस्थ आहार उपलब्ध कराने की दिशा में ये एक महत्वपूर्ण कदम है.
20 रुपये किलो बिकती है मक्की
हिमाचल प्रदेश में प्राकृतिक खेती से तैयार की जाने वाली मक्की को सरकार पहली बार 30 रुपये किलो के हिसाब से खरीद रही है. यानी प्राकृतिक खेती खुशहाल किसान योजना के तहत अब किसानों की मक्की की फसल 3 हजार प्रति क्विंटल बिक रही है. वहीं, किसानों को रासायनिक खेती के जरिए तैयार मक्की का भाव 20 रुपये प्रति किलो मिल रहा है.
इस तरह से देश में मक्की पर दिया जाने वाला ये सबसे अधिक न्यूनतम समर्थन मूल्य है. किसान से अधिकतम 20 क्विंटल मक्की खरीदी जाएगी जिसके बाद मक्की की पिसाई कर लोगों को डिपुओं में पैकिंग में मक्की का आटा उपलब्ध करवाया जाएगा ताकि भविष्य में मक्की की खपत बढ़ने से किसानों से ज्यादा फसल खरीदी जा सके. इससे किसानों की आर्थिकी मजबूत होगी.
3218 प्रमाणित किसान चयनित
इसके लिए प्रदेश भर में प्राकृतिक खेती करने वाले 3,218 प्रमाणित किसान चयनित किए गए हैं. बता दें कि इस साल लाहौल-स्पीति और किन्नौर के अलावा अन्य 10 जिलों में प्राकृतिक खेती से 13,304 हेक्टेयर भूमि पर 27,768 मीट्रिक टन मक्की तैयार की गई है.
इसमें से सरकार 508 मीट्रिक टन अतिरिक्त मक्की किसानों से खरीद रही है. इस सीजन में 92,516 किसानों ने प्राकृतिक खेती से मक्की की फसल तैयार की है जिसमें खरीद के लिए विभाग ने 3,218 किसान चयनित किए हैं.
प्राकृतिक खेती खुशहाल किसान योजना के उप निदेशक डॉ. मोहिंद्र सिंह भवानी का कहना है कि 25 अक्टूबर से मक्की की खरीद का कार्य शुरू हो चुका है. अब तक किसानों से 250 मीट्रिक टन मक्की खरीद जा चुकी है. उनका कहना है कि अब फ्लोर मिलों में पिसाई कर 15 दिसंबर के बाद उपभोक्ताओं को डिपुओं के माध्यम से ऑर्गेनिक मक्की का आटा उपलब्ध करवाया जाएगा.
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