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संविदा कर्मचारियों ने सरकार के खिलाफ किया अनोखा प्रदर्शन, भीख मांग कर कलेक्टर को सौंपी राशि - unique protest against government

सरकारी कार्यालयों में संविदा पर काम कर रहे कर्मचारियों ने राज्य सरकार का विरोध करने का अनोखा उपाय निकाला. इन कर्मचारियों ने भीख मांग कर राशि जिला कलक्टर को अपने ज्ञापन के साथ सौंपी और सरकार से संविदा कर्मियों के हित में निर्णय करने की मांग की.

unique protest against  government
संविदा कर्मचारियों ने भीख मांग कर कलेक्टर को सौंपी राशि (photo etv bharat alwar)
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By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : Jul 11, 2024, 8:44 PM IST

Updated : Jul 11, 2024, 9:23 PM IST

भीख मांग कर कलेक्टर को सौंपी राशि (video etv bharat alwar)

अलवर. कांट्रेक्चुअल कंप्यूटर एम्पलाई व संविदा प्लेसमेंट संघर्ष समिति ने राजस्थान सरकार के खिलाफ शहर के शहीद स्मारक पर अनोखा विरोध प्रदर्शन किया. इसमें सरकार के सभी विभागों में ठेके पर नियुक्ति कर्मचारी शामिल हुए. उन्होंने वाहन चालकों, दुकानदारों और राहगीरों से भीख मांग कर पैसे इकट्ठा किया. कर्मचारी महासंघ के संरक्षक ने कहा कि यह पैसा अलवर जिला कलेक्टर को सौंपा जाएगा और राजस्थान के मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा तक भिजवाया जाएगा, ताकि उन्हें ठेका प्रथा बंद करने की याद आए.

कर्मचारी महासंघ के संरक्षक खेमचंद सोमवंशी ने बताया कि पिछले कई वर्षों से मांगे मनवाने के लिए समिति की ओर से कई ज्ञापन सौंपे गए, लेकिन इस ओर किसी सरकार का ध्यान नहीं गया. इसी कड़ी में अलवर शहर के शहीद स्मारक पर कर्मचारियों द्वारा अनूठा प्रदर्शन किया गया. इसमें शहर के सरकारी कार्यालयों में कार्यरत कर्मचारियों ने सड़क पर भीख मांग कर राशि इकट्ठा की. उन्होंने कहा कि कर्मचारियों को सरकार ने भीख मांगने पर मजबूर कर दिया है.

पढ़ें: लंबे समय से कार्यरत संविदा कर्मी को नियमित नहीं करने पर मांगा जवाब

183 रुपए जुटे भीख में: इस भीख में 183 रुपए जुटाए गए. इसके बाद मुख्यमंत्री के नाम ज्ञापन एवं राशि जिला कलेक्टर को सौंपी गई. समिति के प्रदेश सचिव यश जोशी ने कहा कि सरकार के खजाने में पैसा खत्म हो गया है. यह पैसा राजस्व को भरने के लिए इकट्ठा किया गया. इसमें शहर से भीख मांग कर पैसा इकट्ठा किया गया. हमारा यह कदम उठाने के पीछे यह कारण रहा कि सरकार को शर्म आए और वह आरएलएसडीसी बोर्ड का गठन करके जल्द ही ठेका प्रथा बंद करें. उन्होंने कहा कि पूर्व सरकार ने पिछले विधानसभा सत्र में 1 अक्टूबर 2023 को सरकारी विभागों में ठेका पर कर्मचारी लेने की प्रथा को समाप्त कर आरएलएसडीसी द्वारा लेने का प्रस्ताव पारित किया था, लेकिन इस बीच चुनाव आ गए और यह प्रस्ताव कागजों में ही रह गया.

संविदाकर्मियों को बजट से थी आस: महासंघ के संरक्षक खेमचंद सोमवंशी ने कहा कि संविदा कर्मियों का लगातार शोषण किया जा रहा है. सरकारी विभागों के अधिकतर कार्य संविदा कर्मियों द्वारा ही किया जा रहे हैं. राजस्थान के बजट से भी संविदा कर्मियों को बड़ी आस थी, लेकिन संविदा कर्मियों या ठेका कर्मचारियों पर बजट में कोई ध्यान नहीं दिया गया. सरकार का ध्यान आकर्षित करने के लिए यह कदम उठाया गया है. यदि मांगे नहीं मानी गई तो 25 जुलाई को जयपुर में जगह चिन्हित कर आगे की रणनीति तैयार की जाएगी.

भीख मांग कर कलेक्टर को सौंपी राशि (video etv bharat alwar)

अलवर. कांट्रेक्चुअल कंप्यूटर एम्पलाई व संविदा प्लेसमेंट संघर्ष समिति ने राजस्थान सरकार के खिलाफ शहर के शहीद स्मारक पर अनोखा विरोध प्रदर्शन किया. इसमें सरकार के सभी विभागों में ठेके पर नियुक्ति कर्मचारी शामिल हुए. उन्होंने वाहन चालकों, दुकानदारों और राहगीरों से भीख मांग कर पैसे इकट्ठा किया. कर्मचारी महासंघ के संरक्षक ने कहा कि यह पैसा अलवर जिला कलेक्टर को सौंपा जाएगा और राजस्थान के मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा तक भिजवाया जाएगा, ताकि उन्हें ठेका प्रथा बंद करने की याद आए.

कर्मचारी महासंघ के संरक्षक खेमचंद सोमवंशी ने बताया कि पिछले कई वर्षों से मांगे मनवाने के लिए समिति की ओर से कई ज्ञापन सौंपे गए, लेकिन इस ओर किसी सरकार का ध्यान नहीं गया. इसी कड़ी में अलवर शहर के शहीद स्मारक पर कर्मचारियों द्वारा अनूठा प्रदर्शन किया गया. इसमें शहर के सरकारी कार्यालयों में कार्यरत कर्मचारियों ने सड़क पर भीख मांग कर राशि इकट्ठा की. उन्होंने कहा कि कर्मचारियों को सरकार ने भीख मांगने पर मजबूर कर दिया है.

पढ़ें: लंबे समय से कार्यरत संविदा कर्मी को नियमित नहीं करने पर मांगा जवाब

183 रुपए जुटे भीख में: इस भीख में 183 रुपए जुटाए गए. इसके बाद मुख्यमंत्री के नाम ज्ञापन एवं राशि जिला कलेक्टर को सौंपी गई. समिति के प्रदेश सचिव यश जोशी ने कहा कि सरकार के खजाने में पैसा खत्म हो गया है. यह पैसा राजस्व को भरने के लिए इकट्ठा किया गया. इसमें शहर से भीख मांग कर पैसा इकट्ठा किया गया. हमारा यह कदम उठाने के पीछे यह कारण रहा कि सरकार को शर्म आए और वह आरएलएसडीसी बोर्ड का गठन करके जल्द ही ठेका प्रथा बंद करें. उन्होंने कहा कि पूर्व सरकार ने पिछले विधानसभा सत्र में 1 अक्टूबर 2023 को सरकारी विभागों में ठेका पर कर्मचारी लेने की प्रथा को समाप्त कर आरएलएसडीसी द्वारा लेने का प्रस्ताव पारित किया था, लेकिन इस बीच चुनाव आ गए और यह प्रस्ताव कागजों में ही रह गया.

संविदाकर्मियों को बजट से थी आस: महासंघ के संरक्षक खेमचंद सोमवंशी ने कहा कि संविदा कर्मियों का लगातार शोषण किया जा रहा है. सरकारी विभागों के अधिकतर कार्य संविदा कर्मियों द्वारा ही किया जा रहे हैं. राजस्थान के बजट से भी संविदा कर्मियों को बड़ी आस थी, लेकिन संविदा कर्मियों या ठेका कर्मचारियों पर बजट में कोई ध्यान नहीं दिया गया. सरकार का ध्यान आकर्षित करने के लिए यह कदम उठाया गया है. यदि मांगे नहीं मानी गई तो 25 जुलाई को जयपुर में जगह चिन्हित कर आगे की रणनीति तैयार की जाएगी.

Last Updated : Jul 11, 2024, 9:23 PM IST
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