जयपुर: राजस्थान हाईकोर्ट ने अदालती आदेश के बावजूद भी अभ्यर्थी के अनुभव प्रमाण पत्र को सत्यापित नहीं करने पर प्रमुख चिकित्सा सचिव, स्वास्थ्य निदेशक और संयुक्त निदेशक सहित भीलवाड़ा सीएमएचओ को अवमानना नोटिस जारी किए हैं. जस्टिस उमाशंकर व्यास की एकलपीठ ने यह आदेश सुभाष आमेटा की अवमानना याचिका पर प्रारंभिक सुनवाई करते हुए दिए.
अवमानना याचिका में अधिवक्ता विजय पाठक ने अदालत को बताया कि याचिकाकर्ता ने नर्सिंग ऑफिसर भर्ती-2023 में आवेदन किया था. मेरिट में आने पर उसके दस्तावेजों का सत्यापन भी विभाग की ओर से कर लिया गया. वहीं याचिकाकर्ता की ओर से पूर्व में प्लेसमेंट एजेंसी के जरिए संविदा पर किए गए नर्सिंग ऑफिसर के कार्य का अनुभव प्रमाण पत्र जारी किया गया, लेकिन विभाग के अधिकारियों ने उस पर काउंटर साइन नहीं कर सत्यापित नहीं किया. जिसके चलते याचिकाकर्ता को भर्ती की अस्थायी चयन सूची में शामिल नहीं किया गया. इस कार्रवाई को उसने हाईकोर्ट में याचिका दायर कर चुनौती दी थी.
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याचिका को गत दिसंबर माह में हाईकोर्ट ने निस्तारित करते हुए विभाग को निर्देश दिए थे कि वह 9 नवंबर, 2023 को अनुभव प्रमाण पत्र के संबंध में बनाई पॉलिसी के आधार पर याचिकाकर्ता का अनुभव प्रमाण पत्र जारी कर उसे भर्ती प्रक्रिया में शामिल करे. याचिकाकर्ता की ओर से इस आदेश की पालना के लिए विभाग में कई बार अभ्यावेदन भी पेश किए, लेकिन उस पर कोई कार्रवाई नहीं की गई. याचिका में बताया गया कि पूर्व में विभाग ने अनुभव प्रमाण पत्रों की जांच के लिए सभी सीएमएचओ को सामान्य निर्देश जारी किए, लेकिन याचिकाकर्ता के प्रमाण पत्र का सत्यापन नहीं किया गया.
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याचिका में यह भी कहा गया कि गत 12 जुलाई को विभाग ने विभिन्न योजनाओं में कार्यरत रहने के दौरान जारी किए गए अनुभव प्रमाण पत्रों के सत्यापन करने के लिए एक फॉर्मेट जारी किया गया. इसके तहत अन्य कर्मचारियों के प्रमाण पत्र सत्यापन किए गए, लेकिन याचिकाकर्ता का प्रमाण पत्र सत्यापन नहीं किया गया. अवमानना याचिका में गुहार की गई कि अदालती आदेश की अवहेलना करने वाले अफसरों को दंडित किया जाए. जिस पर सुनवाई करते हुए एकलपीठ ने संबंधित अधिकारियों को अवमानना नोटिस जारी कर जवाब तलब किया है.