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मनेन्द्रगढ़ में फॉसिल्स पार्क का निर्माण, पर्यटन को मिलेगा बढ़ावा, रिसर्च में मिलेगी मदद - Fossils Park in Manendragarh - FOSSILS PARK IN MANENDRAGARH

मनेन्द्रगढ़ में फॉसिल्स पार्क का निर्माण किया जा रहा है. साथ ही इसे पर्यटन की दृष्टि से भी विकसित किया जा रहा है. इसे जैव विविधता पार्क के तौर पर विकसित करने की योजना है. इस पार्क के बन जाने से जीवाश्म की स्टडी में मदद मिल सकती है.

FOSSILS PARK IN MANENDRAGARH
मनेन्द्रगढ़ फॉसिल्स पार्क (ETV Bharat)
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By ETV Bharat Chhattisgarh Team

Published : Sep 21, 2024, 6:12 AM IST

मनेन्द्रगढ़ चिरमिरी भरतपुर: क्षेत्रवासियों की मांग पर वन मंडल मनेन्द्रगढ़ ने 28 करोड़ साल पुराने समुद्री जीवाश्मों को संरक्षित करने और इन्हें बेहतर तरीके से संजोने के लिए शासन को रिपोर्ट भेजी थी. इस रिपोर्ट के आधार पर अब करोड़ों साल पुराने इन जीवाश्मों को संरक्षित कर इस क्षेत्र को पर्यटन स्थल के तौर पर विकसित किया जा रहा है.

पृथ्वी के परिवर्तन का वैज्ञानिक प्रमाण: फॉसिल्स या जीवाश्म उन समुद्री जीवों के अवशेष होते हैं, जो करोड़ों साल पहले समुद्र में रहते थे. पृथ्वी के पुनर्निर्माण और प्राकृतिक परिवर्तनों के कारण जब समुद्र हटा, तो इन जीवों के अवशेष पत्थरों के बीच दबकर रह गए. यह जीवाश्म पृथ्वी के परिवर्तन और इसके इतिहास के महत्वपूर्ण वैज्ञानिक प्रमाण हैं.

मनेंद्रगढ़ में बन रहा जीवाश्म पार्क (ETV BHARAT)

क्षेत्र को संरक्षित करने का हो रहा काम: इस बारे में मनेन्द्रगढ़ के वन मंडल अधिकारी (डीएफओ) मनीष कश्यप ने कहा कि इस क्षेत्र को संरक्षित करने के लिए बाउंड्री वॉल, ट्रैक्टर्स गार्डन जैसे निर्माण किए जा रहे हैं. इसके अलावा पर्यटकों के लिए विशेष व्यवस्था की जाएगी, ताकि वे इस अद्वितीय धरोहर को समझ सकें. इस परियोजना के अंतर्गत पुराने वीडियो और जानकारियों को संजोने की योजना भी है, जिससे भविष्य में शिक्षा के क्षेत्र में इसका महत्व बढ़ सके.

"हमारी कोशिश है कि आने वाले लोग इस जीवाश्म के महत्व को समझें. यह गर्व की बात होगी कि मनेन्द्रगढ़ का यह क्षेत्र विश्व मानचित्र पर नई पहचान बनाएगा. इस परियोजना में संरचनात्मक सुधार के साथ-साथ पर्यटन सुविधाओं को भी उन्नत किया जा रहा है. आने वाले समय में इस क्षेत्र को और विकसित किया जाएगा. इससे अधिक से अधिक लोग इस स्थान का दौरा कर सकेंगे और साथ ही इसके ऐतिहासिक महत्व को समझ सकेंगे.:मनीष कश्यप, वन मंडल अधिकारी, मनेन्द्रगढ़

जैव विविधता पार्क के तौर पर किया जाएगा विकसित: मनेन्द्रगढ़ में मिले इन जीवाश्मों को साल 1982 में जियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया ने 'नेशनल जियोलॉजिकल मोनुमेंट्स की श्रेणी में शामिल किया था. इससे इस क्षेत्र को राष्ट्रीय स्तर पर खास पहचान भी मिली. अब इस क्षेत्र को बायोडायवर्सिटी हेरिटेज घोषित कर जैव विविधता पार्क के तौर पर विकसित किया जा रहा है. इस कदम से मनेंद्रगढ़ की पहचान देश विदेश में और बढ़ सकती है.

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पृथ्वी के परिवर्तन का वैज्ञानिक प्रमाण: फॉसिल्स या जीवाश्म उन समुद्री जीवों के अवशेष होते हैं, जो करोड़ों साल पहले समुद्र में रहते थे. पृथ्वी के पुनर्निर्माण और प्राकृतिक परिवर्तनों के कारण जब समुद्र हटा, तो इन जीवों के अवशेष पत्थरों के बीच दबकर रह गए. यह जीवाश्म पृथ्वी के परिवर्तन और इसके इतिहास के महत्वपूर्ण वैज्ञानिक प्रमाण हैं.

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क्षेत्र को संरक्षित करने का हो रहा काम: इस बारे में मनेन्द्रगढ़ के वन मंडल अधिकारी (डीएफओ) मनीष कश्यप ने कहा कि इस क्षेत्र को संरक्षित करने के लिए बाउंड्री वॉल, ट्रैक्टर्स गार्डन जैसे निर्माण किए जा रहे हैं. इसके अलावा पर्यटकों के लिए विशेष व्यवस्था की जाएगी, ताकि वे इस अद्वितीय धरोहर को समझ सकें. इस परियोजना के अंतर्गत पुराने वीडियो और जानकारियों को संजोने की योजना भी है, जिससे भविष्य में शिक्षा के क्षेत्र में इसका महत्व बढ़ सके.

"हमारी कोशिश है कि आने वाले लोग इस जीवाश्म के महत्व को समझें. यह गर्व की बात होगी कि मनेन्द्रगढ़ का यह क्षेत्र विश्व मानचित्र पर नई पहचान बनाएगा. इस परियोजना में संरचनात्मक सुधार के साथ-साथ पर्यटन सुविधाओं को भी उन्नत किया जा रहा है. आने वाले समय में इस क्षेत्र को और विकसित किया जाएगा. इससे अधिक से अधिक लोग इस स्थान का दौरा कर सकेंगे और साथ ही इसके ऐतिहासिक महत्व को समझ सकेंगे.:मनीष कश्यप, वन मंडल अधिकारी, मनेन्द्रगढ़

जैव विविधता पार्क के तौर पर किया जाएगा विकसित: मनेन्द्रगढ़ में मिले इन जीवाश्मों को साल 1982 में जियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया ने 'नेशनल जियोलॉजिकल मोनुमेंट्स की श्रेणी में शामिल किया था. इससे इस क्षेत्र को राष्ट्रीय स्तर पर खास पहचान भी मिली. अब इस क्षेत्र को बायोडायवर्सिटी हेरिटेज घोषित कर जैव विविधता पार्क के तौर पर विकसित किया जा रहा है. इस कदम से मनेंद्रगढ़ की पहचान देश विदेश में और बढ़ सकती है.

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