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आदेश की पालना कराएं या पेश होकर जवाब दें मुख्य सचिव- राजस्थान हाईकोर्ट

राजस्थान हाईकोर्ट ने बर्खास्त श्रमिक की बहाली के मामले में आदेश की पालना नहीं होने को गंभीर माना है. साथ ही इस मामले में मुख्य सचिव से जवाब देने को कहा है.

Considering non compliance,  Rajasthan High Court
राजस्थान हाईकोर्ट.
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By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : Feb 19, 2024, 9:26 PM IST

Updated : Feb 19, 2024, 10:40 PM IST

जयपुर. राजस्थान हाईकोर्ट ने बर्खास्त श्रमिक की बहाली के मामले में लेबर कोर्ट के आदेश की हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट में याचिका खारिज होने के बाद भी पालना नहीं होने को गंभीर माना है. इसके साथ ही अदालत ने मुख्य सचिव को कहा है कि वे 21 फरवरी तक आदेश की पालना सुनिश्चित कराएं. ऐसा नहीं करने पर अदालत ने मुख्य सचिव को व्यक्तिश या वीसी के जरिए अदालत में पेश होकर जवाब देने को कहा है. जस्टिस समीर जैन ने यह आदेश रामस्वरूप शर्मा की याचिका पर दिए.

याचिका में अधिवक्ता तन्मय ढंड ने अदालत को बताया की याचिकाकर्ता को राज्य सरकार ने श्रमिक पद से 7 मई 2015 को आदेश जारी कर सेवा से बर्खास्त कर दिया था. इसे उसने लेबर कोर्ट में चुनौती दी. लेबर कोर्ट ने 7 फरवरी 2020 को उसकी बर्खास्तगी को रद्द करते हुए जयपुर जिला कलेक्टर व एसडीएम दूदू को निर्देश दिया कि वे उसे 7 मई 2015 से ही सेवा में मानते हुए बहाल करें. साथ ही वह इस दौरान का 50 फीसदी वेतन प्राप्त करने का अधिकारी है.

पढ़ेंः हाईकोर्ट ने कहा दिव्यांगों के अधिकार को प्रभावी तरीके से लागू करे सरकार, RPSC पर लगाया पांच लाख का हर्जाना

लेबर कोर्ट के इस फैसले को राज्य सरकार ने हाईकोर्ट में चुनौती दी, लेकिन हाईकोर्ट की एकलपीठ ने 6 जनवरी 2021 व खंडपीठ ने 12 नवंबर 2021 को राज्य सरकार की याचिका व अपील खारिज कर दी. इस पर राज्य सरकार ने खंडपीठ के आदेश को एसएलपी के जरिए सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी. सुप्रीम कोर्ट ने भी लेबर कोर्ट के आदेश की पुष्टि करते हुए राज्य सरकार की एसएलपी 11 नवंबर 2022 को खारिज कर दी. इसके बावजूद भी राज्य सरकार ने लेबर कोर्ट के फैसले की पालना नहीं की. याचिका में कहा गया कि पूर्व में लेबर कोर्ट की ओर से दिए आदेश की पालना कराई जाए. जिस पर सुनवाई करते हुए एकलपीठ ने आदेश की पालना नहीं करने पर 21 फरवरी को मुख्य सचिव को तलब कर इस संबंध में अपना जवाब देने को कहा है.

जयपुर. राजस्थान हाईकोर्ट ने बर्खास्त श्रमिक की बहाली के मामले में लेबर कोर्ट के आदेश की हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट में याचिका खारिज होने के बाद भी पालना नहीं होने को गंभीर माना है. इसके साथ ही अदालत ने मुख्य सचिव को कहा है कि वे 21 फरवरी तक आदेश की पालना सुनिश्चित कराएं. ऐसा नहीं करने पर अदालत ने मुख्य सचिव को व्यक्तिश या वीसी के जरिए अदालत में पेश होकर जवाब देने को कहा है. जस्टिस समीर जैन ने यह आदेश रामस्वरूप शर्मा की याचिका पर दिए.

याचिका में अधिवक्ता तन्मय ढंड ने अदालत को बताया की याचिकाकर्ता को राज्य सरकार ने श्रमिक पद से 7 मई 2015 को आदेश जारी कर सेवा से बर्खास्त कर दिया था. इसे उसने लेबर कोर्ट में चुनौती दी. लेबर कोर्ट ने 7 फरवरी 2020 को उसकी बर्खास्तगी को रद्द करते हुए जयपुर जिला कलेक्टर व एसडीएम दूदू को निर्देश दिया कि वे उसे 7 मई 2015 से ही सेवा में मानते हुए बहाल करें. साथ ही वह इस दौरान का 50 फीसदी वेतन प्राप्त करने का अधिकारी है.

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लेबर कोर्ट के इस फैसले को राज्य सरकार ने हाईकोर्ट में चुनौती दी, लेकिन हाईकोर्ट की एकलपीठ ने 6 जनवरी 2021 व खंडपीठ ने 12 नवंबर 2021 को राज्य सरकार की याचिका व अपील खारिज कर दी. इस पर राज्य सरकार ने खंडपीठ के आदेश को एसएलपी के जरिए सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी. सुप्रीम कोर्ट ने भी लेबर कोर्ट के आदेश की पुष्टि करते हुए राज्य सरकार की एसएलपी 11 नवंबर 2022 को खारिज कर दी. इसके बावजूद भी राज्य सरकार ने लेबर कोर्ट के फैसले की पालना नहीं की. याचिका में कहा गया कि पूर्व में लेबर कोर्ट की ओर से दिए आदेश की पालना कराई जाए. जिस पर सुनवाई करते हुए एकलपीठ ने आदेश की पालना नहीं करने पर 21 फरवरी को मुख्य सचिव को तलब कर इस संबंध में अपना जवाब देने को कहा है.

Last Updated : Feb 19, 2024, 10:40 PM IST
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