रायपुर: छत्तीसगढ़ के आदिवासी नेता और पूर्व कैबिनेट मंत्री अमरजीत भगत ने आरक्षण को लेकर गुरुवार को बड़ा बयान दिया है. उन्होंने कहा कि माननीय सुप्रीम कोर्ट में आदिवासियों का पक्ष सही से प्रदेश सरकार नहीं रखी है. यही कारण है कि आज भी आदिवासी और अनुसूचित जनजाति वर्ग आरक्षण के लाभ से वंचित हैं. दरअसल, विधानसभा चुनाव के बाद से अमरजीत भगत सरगुजा जिले से लगातार दूरी बनाए हुए थे. हालांकि आरक्षण के मुद्दे पर उन्होंने खुलकर बात की है.
आरक्षण पर खुलकर बोले अमरजीत: पूर्व मंत्री ने सरगुजा में मीडिया से बातचीत के दौरान कहा, "आरक्षण को लेकर सुप्रीम कोर्ट में मौजूदा सरकार आदिवासियों का पक्ष सही से नहीं रख पाई है, जबकि आजादी के बाद से आदिवासी और अनुसूचित जनजाति वर्ग को एक समान अधिकार मिले, जिसको लेकर आरक्षण लागू की गई थी. हालांकि 1 अगस्त को महामहिम उच्च न्यायालय ने जो फैसला सुनाया है, वह आरक्षण के विपरीत है. 24 जनवरी को जो घटना हुई है, राष्ट्रपति श्रीमती मुर्मू जी अपने जन्मदिन के मौके पर दिल्ली में स्थित जगन्नाथ मंदिर में दर्शन करने जाती हैं, जहां उन्हें गर्भ गृह में प्रवेश से रोक दिया जाता है, जबकि दो अन्य मंत्री जो महामहिम राष्ट्रपति के साथ गए थे, उन्हें प्रवेश दे दिया जाता है. जब राष्ट्रपति जैसे ऊंचे पद वाले आदिवासियों के साथ भेदभाव हो जाता है तो आम अनुसूचित जाति जनजाति के साथ भेदभाव तो आम बात है."
चुनाव में हार का कारण आपसी तालमेल में कमी: इसके अलावा अमरजीत भगत ने हार का कारण पार्टी में नेताओं के बीच तालमेल ना होना बताया. साथ ही कहा कि छत्तीसगढ़ में हुए विधानसभा चुनाव में कांग्रेस इसलिए चुनाव हार गई क्योंकि नेताओं में आपसी तालमेल की कमी थी. यहां तेरा-मेरा का खेल चल रहा था. कांग्रेस को हार का सामना करना पड़ा. वहीं, जानता भी बदलाव चाहने लगी थी.