चंडीगढ़: हरियाणा में हुई कांग्रेस की हार के बाद जहां पार्टी के दिग्गज ईवीएम पर सवाल उठा रहे हैं, वहीं राहुल गांधी को अब लगने लगा है कि नेताओं का निजी स्वार्थ भी इसके लिए कहीं ना कहीं जिम्मेदार है. अगर ऐसा है तो सवाल बनता है कि क्या ऐसे में अब पार्टी बड़े स्तर पर हरियाणा में फैसले ले सकती है. ये चर्चा है कि प्रदेश अध्यक्ष और नेता प्रतिपक्ष की भूमिका में नए चेहरे को आगे लाया जा सकता है.
फैक्ट फाइंडिंग कमेटी लगाएगी हार की वजह का पता
हरियाणा विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की हार के बाद पार्टी में घमासान जारी है. एक तरफ पार्टी के चुनाव में रहे उम्मीदवार उनकी हार के लिए भूपेंद्र और दीपेंद्र हुड्डा के साथ-साथ पार्टी अध्यक्ष और कुमारी सैलजा की अनदेखी को जिम्मेदार ठहरा रहे हैं. वहीं कांग्रेस पार्टी ने हार की समीक्षा के लिए फैक्ट फाइंडिंग कमेटी के गठन की बात कही है. अपने ही नेताओं पर आरोप लगाने वाले कमेटी के सामने भी अपनी बात कहने की बातकर रहे हैं. वहीं राहुल गांधी ने भी पार्टी नेताओं के निजी स्वार्थ को भी हार का जिम्मेदार माना है.
प्रदेश अध्यक्ष बदलने की भी चर्चा
इस घमासान के बाद अब चर्चा होने लगी है कि क्या पार्टी हरियाणा में बड़े स्तर पर संगठन में बदलाव कर सकती है. वहीं चर्चा ये भी हो रही है कि होडल से चुनाव हारने के बाद अब प्रदेश अध्यक्ष उदयभान की कुर्सी भी जा सकती है. इस बार पार्टी किसी और को नेता प्रतिपक्ष बनाए तो उसमें भी कोई बड़ी बात नहीं होगी. यानी पार्टी कई बड़े फैसले इस हार के मंथन के बाद ले सकती है.
क्या कहते हैं राजनीतिक मामलों के जानकर?
कांग्रेस की हार और उसके बाद हो रहे मंथन को लेकर राजनीतिक मामलों के जानकर धीरेंद्र अवस्थी कहते हैं कि इस बार चुनाव के नतीजे चौंकाने वाले रहे हैं. किसी ने भी इस तरह के नतीजों की उम्मीद नहीं की थी. कोई भी रिपोर्ट इस बात का संकेत नहीं दे रही थी. जब हर तरफ उम्मीद के विपरीत चौंकाने वाले परिणाम आएं तो जाहिर सी बात है कि किसी भी पार्टी के लिए ये गंभीर चिंतन का वक्त होता है.
पदाधिकारियों पर होगी कार्रवाई!
पार्टी नेता प्रदेश अध्यक्ष, प्रभारी और हुड्डा पर सवाल उठा रहे हैं तो क्या ऐसे में प्रदेश अध्यक्ष और नेता प्रतिपक्ष को भी बदला जा सकता है? इस पर धीरेंद्र अवस्थी कहते हैं कि जो नेता हरियाणा में चुनाव को लीड कर रहे थे, नैतिक तौर पर जिम्मेदारी तो उनकी बनती है. हाईकमान जवाब भी उन्ही से मांगेगा. क्योंकि वो पूरे चुनाव को लीड कर रहे थे, उनको मालूम था कहां कमियां हैं, अगर उन कमियों को दूर करने पर काम नहीं हुए हैं, तो ये भी उन्हीं से पूछा जायेगा. उनको बेहतर पता है कि कहां उनसे गलतियां हुई हैं. ऐसा लगता है कि इस पर चिंतन होगा, और एक्शन भी लिया जायेगा.
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