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चुनावी रण में बिसराये मुद्दों को कांग्रेस ने उठाया, वनीकरण और पर्यावरणीय बदलाव को घोषणा पत्र में दी जगह - Congress Manifesto 2024 - CONGRESS MANIFESTO 2024

कांग्रेस ने लोकसभा चुनाव के लिए घोषणा पत्र जारी कर दिया है. कांग्रेस के घोषणा पत्र में वनीकरण और पर्यावरण जैसे मुद्दों को जगह दी गई है. ये ऐसे मुद्दे हैं जो पर्वतीय जिलों में बड़ी आबादी को प्रभावित करते हैं. इसके साथ ही कांग्रेस ने रोजगार, पेपर लीक मामलों के निपटारे के लिए फास्ट ट्रैक कोर्ट का भी वादा किया है.

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चुनावी रण में बिसराये मुद्दों को कांग्रेस ने उठाया
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By ETV Bharat Uttarakhand Team

Published : Apr 6, 2024, 5:30 PM IST

Updated : Apr 6, 2024, 10:22 PM IST

चुनावी रण में बिसराये मुद्दों को कांग्रेस ने उठाया

देहरादून: चुनाव में जिन मुद्दों को प्रत्याशी और राजनीतिक दल तवज्जो देना पसंद नहीं करते उन मामलों को कांग्रेस के घोषणा पत्र में जगह मिली है. उत्तराखंड जैसे हिमालय राज्यों के लिए बेहद जरूरी पर्यावरणीय और वनीकरण जैसे विषयों पर कांग्रेस ने एक्शन प्लान बनाया है. खास बात यह है कि उत्तराखंड में कांग्रेस के घोषणा पत्र के यह बिंदु राजनीतिक चर्चाओं में भी हैं. उत्तराखंड के लोगों की जरूरतों से भी जुड़े हुए हैं. कांग्रेस के घोषणा पत्र में कौन सी हैं खास बातें हैं आइये आपको बताते हैं.

अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी ने लोकसभा चुनाव को लेकर अपना घोषणा पत्र जारी कर दिया है. यह घोषणा पत्र पूरे देश को ध्यान में रखते हुए बनाया गया है. इनमें कुछ ऐसे मुद्दे भी हैं जो खासतौर पर पर्वतीय राज्यों को आकर्षित करते हैं. आमतौर पर लोकसभा चुनाव के दौरान प्रत्याशियों या राजनीतिक दलों के द्वारा राष्ट्रीय मुद्दों पर ही राजनीति की जाती है, लेकिन हिमालयी राज्यों की कुछ ऐसी समस्याएं भी हैं जिनका चुनावी दंगल के दौरान जिक्र नहीं होता है, मगर हकीकत में पर्वतीय जनपद में यह मुद्दे एक बड़ी आबादी को प्रभावित करते हैं.

बिंदुवार जानिए क्या हैं वह मुद्दे

  • महंगाई, रोजगार और कानून व्यवस्था जैसे राष्ट्रीय मुद्दों के अलावा पर्यावरणीय बदलाव को कांग्रेस ने दी तवज्जो.
  • घोषणा पत्र में पर्यावरण और वनीकरण से जुड़े विषय पर बताया भविष्य का एक्शन प्लान.
  • भूस्खलन जैसे खतरों से निदान के लिए राज्यों में अध्ययन के लिए उच्च स्तरीय कमेटी गठित करने का दिया भरोसा.
  • राज्य में वनीकरण के लिए स्थानीय समुदायों को भी योजना में शामिल करने का किया वादा.
  • मानव वन्य जीव संघर्ष के उपाय निकालने को भी बताया प्राथमिकता.
  • पर्यावरण प्रदूषण कम करने की अपनी कटिबद्धता को भी घोषणा पत्र में दी जगह.

वैसे तो उत्तराखंड के लिहाज से कांग्रेस के घोषणा पत्र में रोजगार और औद्योगिकरण जैसे दूसरे मुद्दे भी महत्वपूर्ण हैं, लेकिन पर्वतीय जनपद को देखते हुए आपदा हमेशा उत्तराखंड के लिए एक बड़ी समस्या रही है. इसके लिए एक विस्तृत प्लान की भी जरूरत महसूस की जाती रही है. बरसात के सीजन में अक्सर पहाड़ों पर भूस्खलन से न केवल आर्थिक नुकसान होता है बल्कि सैकड़ो लोगों को अपनी जान भी गंवानी पड़ती है. इतने महत्वपूर्ण मुद्दे पर भी लोकसभा चुनाव के दौरान प्रत्याशियों या राजनीतिक दलों द्वारा प्रचार के दौरान कोई चर्चा नहीं सुनाई देती. ऐसे में कांग्रेस के घोषणा पत्र से राज्य के आपदा की घटनाओं को भी राजनीतिक दल गंभीरता से ले रहे हैं, यह बात साबित होती है. इसके लिए कांग्रेस ने उच्च स्तरीय समिति गठित करने की बात अपने घोषणा पत्र में कही है.

पर्यावरणीय बदलाव के कारण भारत ही नहीं बल्कि दुनिया भर में नई समस्या खड़ी हो गई है. इससे पहले भी भाजपा सरकार के दौरान भी ग्रीन बोनस जैसे मुद्दे भी उठते रहे हैं, लेकिन अब लोकसभा चुनाव के दौरान कांग्रेस ने अपने घोषणा पत्र में वनीकरण के लिए स्थानीय लोगों को शामिल करने जैसे विषय भी रखे हैं. इतना ही नहीं मानव वन्य जीव संघर्ष की समस्या को भी घोषणा में तवज्जो दी गई है. कांग्रेस नेता कहते हैं कि कांग्रेस हाई कमान पहाड़ी जनपदों की समस्याओं को लेकर भी संजीदा है, इसीलिए घोषणा पत्र में इतने गंभीर मुद्दों को जगह दी गई है.

वैसे तो घोषणा पत्र में युवाओं को रोजगार देने की बात भी हुई है, साथ ही पेपर लीक मामलों के लिए फास्ट ट्रैक कोर्ट का गठन करने की भी बात कही गई है. इतना ही नहीं सरकारी नौकरियों में आवेदन शुल्क को समाप्त करने की बात कहकर युवाओं को रिझाने की कोशिश की है. इन सबके अलावा पहाड़ों के अनछुये मुद्दे भी कांग्रेस ने टच किये हैं. इस मामले में भाजपा का अपना तर्क है. भारतीय जनता पार्टी के राज्यसभा सांसद नरेश बंसल कहते हैं कांग्रेस लंबे समय तक सत्ता में रही है. अब जाकर वह अपने घोषणा पत्र में ऐसे मुद्दों को जगह दे रही है तो यह साफ है कि वह केवल सत्ता पाने के लिए झूठ का पुलिंदा तैयार किया है. उन्होंने कहा कांग्रेस के पास पहले भी इन मुद्दों का समाधान निकालने का समय था, मगर तब कांग्रेस ने ऐसा नहीं किया.

पढे़ं-चुनाव में प्रकृति और पर्यावरण भी हों राजनीतिक मुद्दा, जनता अब सरकार के काम पर देती है वोट- डॉ अनिल जोशी

चुनावी रण में बिसराये मुद्दों को कांग्रेस ने उठाया

देहरादून: चुनाव में जिन मुद्दों को प्रत्याशी और राजनीतिक दल तवज्जो देना पसंद नहीं करते उन मामलों को कांग्रेस के घोषणा पत्र में जगह मिली है. उत्तराखंड जैसे हिमालय राज्यों के लिए बेहद जरूरी पर्यावरणीय और वनीकरण जैसे विषयों पर कांग्रेस ने एक्शन प्लान बनाया है. खास बात यह है कि उत्तराखंड में कांग्रेस के घोषणा पत्र के यह बिंदु राजनीतिक चर्चाओं में भी हैं. उत्तराखंड के लोगों की जरूरतों से भी जुड़े हुए हैं. कांग्रेस के घोषणा पत्र में कौन सी हैं खास बातें हैं आइये आपको बताते हैं.

अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी ने लोकसभा चुनाव को लेकर अपना घोषणा पत्र जारी कर दिया है. यह घोषणा पत्र पूरे देश को ध्यान में रखते हुए बनाया गया है. इनमें कुछ ऐसे मुद्दे भी हैं जो खासतौर पर पर्वतीय राज्यों को आकर्षित करते हैं. आमतौर पर लोकसभा चुनाव के दौरान प्रत्याशियों या राजनीतिक दलों के द्वारा राष्ट्रीय मुद्दों पर ही राजनीति की जाती है, लेकिन हिमालयी राज्यों की कुछ ऐसी समस्याएं भी हैं जिनका चुनावी दंगल के दौरान जिक्र नहीं होता है, मगर हकीकत में पर्वतीय जनपद में यह मुद्दे एक बड़ी आबादी को प्रभावित करते हैं.

बिंदुवार जानिए क्या हैं वह मुद्दे

  • महंगाई, रोजगार और कानून व्यवस्था जैसे राष्ट्रीय मुद्दों के अलावा पर्यावरणीय बदलाव को कांग्रेस ने दी तवज्जो.
  • घोषणा पत्र में पर्यावरण और वनीकरण से जुड़े विषय पर बताया भविष्य का एक्शन प्लान.
  • भूस्खलन जैसे खतरों से निदान के लिए राज्यों में अध्ययन के लिए उच्च स्तरीय कमेटी गठित करने का दिया भरोसा.
  • राज्य में वनीकरण के लिए स्थानीय समुदायों को भी योजना में शामिल करने का किया वादा.
  • मानव वन्य जीव संघर्ष के उपाय निकालने को भी बताया प्राथमिकता.
  • पर्यावरण प्रदूषण कम करने की अपनी कटिबद्धता को भी घोषणा पत्र में दी जगह.

वैसे तो उत्तराखंड के लिहाज से कांग्रेस के घोषणा पत्र में रोजगार और औद्योगिकरण जैसे दूसरे मुद्दे भी महत्वपूर्ण हैं, लेकिन पर्वतीय जनपद को देखते हुए आपदा हमेशा उत्तराखंड के लिए एक बड़ी समस्या रही है. इसके लिए एक विस्तृत प्लान की भी जरूरत महसूस की जाती रही है. बरसात के सीजन में अक्सर पहाड़ों पर भूस्खलन से न केवल आर्थिक नुकसान होता है बल्कि सैकड़ो लोगों को अपनी जान भी गंवानी पड़ती है. इतने महत्वपूर्ण मुद्दे पर भी लोकसभा चुनाव के दौरान प्रत्याशियों या राजनीतिक दलों द्वारा प्रचार के दौरान कोई चर्चा नहीं सुनाई देती. ऐसे में कांग्रेस के घोषणा पत्र से राज्य के आपदा की घटनाओं को भी राजनीतिक दल गंभीरता से ले रहे हैं, यह बात साबित होती है. इसके लिए कांग्रेस ने उच्च स्तरीय समिति गठित करने की बात अपने घोषणा पत्र में कही है.

पर्यावरणीय बदलाव के कारण भारत ही नहीं बल्कि दुनिया भर में नई समस्या खड़ी हो गई है. इससे पहले भी भाजपा सरकार के दौरान भी ग्रीन बोनस जैसे मुद्दे भी उठते रहे हैं, लेकिन अब लोकसभा चुनाव के दौरान कांग्रेस ने अपने घोषणा पत्र में वनीकरण के लिए स्थानीय लोगों को शामिल करने जैसे विषय भी रखे हैं. इतना ही नहीं मानव वन्य जीव संघर्ष की समस्या को भी घोषणा में तवज्जो दी गई है. कांग्रेस नेता कहते हैं कि कांग्रेस हाई कमान पहाड़ी जनपदों की समस्याओं को लेकर भी संजीदा है, इसीलिए घोषणा पत्र में इतने गंभीर मुद्दों को जगह दी गई है.

वैसे तो घोषणा पत्र में युवाओं को रोजगार देने की बात भी हुई है, साथ ही पेपर लीक मामलों के लिए फास्ट ट्रैक कोर्ट का गठन करने की भी बात कही गई है. इतना ही नहीं सरकारी नौकरियों में आवेदन शुल्क को समाप्त करने की बात कहकर युवाओं को रिझाने की कोशिश की है. इन सबके अलावा पहाड़ों के अनछुये मुद्दे भी कांग्रेस ने टच किये हैं. इस मामले में भाजपा का अपना तर्क है. भारतीय जनता पार्टी के राज्यसभा सांसद नरेश बंसल कहते हैं कांग्रेस लंबे समय तक सत्ता में रही है. अब जाकर वह अपने घोषणा पत्र में ऐसे मुद्दों को जगह दे रही है तो यह साफ है कि वह केवल सत्ता पाने के लिए झूठ का पुलिंदा तैयार किया है. उन्होंने कहा कांग्रेस के पास पहले भी इन मुद्दों का समाधान निकालने का समय था, मगर तब कांग्रेस ने ऐसा नहीं किया.

पढे़ं-चुनाव में प्रकृति और पर्यावरण भी हों राजनीतिक मुद्दा, जनता अब सरकार के काम पर देती है वोट- डॉ अनिल जोशी

Last Updated : Apr 6, 2024, 10:22 PM IST
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