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टीकाकरण के बाद शिशुओं की मौत की जांच चाहती है कांग्रेस, जांच समिति का किया गठन - Bilaspur infants Death Case

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By ETV Bharat Chhattisgarh Team

Published : Sep 2, 2024, 7:38 AM IST

बिलासपुर जिले के पटैता कोरीपारा गांव में टीकाकरण के बाद दो शिशुओं की मौत पर सियासत गरमा गई है. कांग्रेस ने इस घटना की जांच के लिए कोटा विधायक अटल श्रीवास्तव की अध्यक्षता में छह सदस्यीय समिति का गठन किया है.

BILASPUR INFANTS DEATH CASE
शिशुओं के मौत की जांच की मांग (ETV Bharat)

रायपुर : छत्तीसगढ़ के बिलासपुर जिले अंतर्गत पटैता कोरीपारा गांव में टीकाकरण के बाद दो शिशुओं की मौत से इलाके में मातम पसरा हुआ है. बच्चों के टीकाकरण को लेकर लोग डरे सहमे हुए हैं. वहीं दूसरी ओर कांग्रेस ने टीकाकरण के बाद शिशुओं की मौत को लेकर जांच की मांग किया है. विपक्ष ने घटनाओं की जांच के लिए कोटा विधायक अटल श्रीवास्तव की अध्यक्षता में छह सदस्यीय समिति का गठन किया है.

शिशुओं की मौत की जांच चाहती है कांग्रेस : रविवार को दो बच्चो की मौत की खबर मिलने के बाद छत्तीसगढ़ के पूर्व उपमुख्यमंत्री और पूर्व स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंहदेव ने बिलासपुर जिला अस्पताल का दौरा किया. उन्होंने अस्पताल में एहतियात के तौर पर रखे गए अन्य बच्चों के परिजनों से मुलाकात की और शिशुओं की मौत को बहुत गंभीर मुद्दा बताया. इसके बाद पूर्व डिप्टी सीएम टीएस सिंह देव ने टीकाकरण के बाद शिशुओं की मौत को लेकर जांच की मांग की है. साथ ही उन टीकों के सभी बैचों को एक साथ सील करने की मांग भी की है.

कांग्रेस ने जांच समिति का किया गठन : कांग्रेस पार्टी ने इस घटना की जांच के लिए कोटा विधायक अटल श्रीवास्तव की अध्यक्षता में छह सदस्यीय समिति का गठन किया है. कांग्रेस ने मामले की आधिकारिक जांच की भी मांग की है. बिलासपुर के पूर्व विधायक शैलेश पांडे ने मौतों के लिए टीकाकरण को जिम्मेदार ठहराया है. उन्होंने भाजपा पर इस घटना को लेकर चुप रहने का आरोप भी लगाया है.

मौत का टीके से संबंध से अधिकारियों का इनकार : बिलासपुर जिले के मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. प्रभात श्रीवास्तव ने कहा, "जिले के कोटा ब्लॉक के अंतर्गत पतेटा गांव के आंगनवाड़ी केंद्र में 30 अगस्त को आठ बच्चों का टीकाकरण किया गया था. दो दिन के बच्चे को बीसीजी का टीका लगाया गया था, जिसकी उसी दिन मौत हो गई. जबकि दो महीने के बच्चे को पेंटावेलेंट-1 टीका लगाया गया था, जिसे अगले दिन मृत अवस्था में अस्पताल लाया गया. जिसके बाद उसी गांव के छह अन्य बच्चों को मेडिकल जांच के लिए बिलासपुर जिला अस्पताल लाया गया है.

"टीकाकरण का नवजात शिशुओं की मौत से कोई लेना-देना नहीं है. अन्य सभी बच्चे स्वस्थ हैं और उन्हें कोई परेशानी नहीं है. दोनों बच्चों की मौत टीकाकरण के कारण नहीं हुई. वास्तविक कारण अज्ञात है, क्योंकि नवजात शिशुओं के परिजनों ने पोस्टमार्टम कराने से इनकार कर दिया है. उन्होंने कहा कि संक्रमण और निमोनिया से मौत हो सकती है." - डॉ. प्रभात श्रीवास्तव, सीएमएचओ, बिलासपुर

स्वास्थ्य अधिकारी के मुताबिक, बीसीजी की 5,000 खुराकें एक बैच में प्राप्त हुई थीं, जिनमें से 3,000 खुराकें दी जा चुकी हैं. इसी तरह पेंटावेलेंट वैक्सीन की 10,000 खुराकों में से अब तक 6,000 खुराकें दी जा चुकी हैं. उन्होंने कहा कि दोनों शिशुओं की मौत से पहले या बाद में टीकों के संबंध में कहीं से भी ऐसी कोई शिकायत नहीं मिली है. एहतियात के तौर पर टीके की खेप का इस्तेमाल रोक दिया गया है.

(पीटीआई)

टीकाकरण के बाद दो मासूम की गई जान, उच्च स्तरीय जांच की मांग - Children Died in Bilaspur
बिलासपुर में दो बच्चों की मौत के बाद हरकत में सरकार, खास सीरीज के वैक्सीन को लेकर टीकाकरण पर रोक - health minister Ban on vaccination
कोटा में टीका लगाने से हुई दो बच्चों की मौत के बाद जिला अस्पताल पहुंचे टीएस सिंहदेव - children died after vaccination

रायपुर : छत्तीसगढ़ के बिलासपुर जिले अंतर्गत पटैता कोरीपारा गांव में टीकाकरण के बाद दो शिशुओं की मौत से इलाके में मातम पसरा हुआ है. बच्चों के टीकाकरण को लेकर लोग डरे सहमे हुए हैं. वहीं दूसरी ओर कांग्रेस ने टीकाकरण के बाद शिशुओं की मौत को लेकर जांच की मांग किया है. विपक्ष ने घटनाओं की जांच के लिए कोटा विधायक अटल श्रीवास्तव की अध्यक्षता में छह सदस्यीय समिति का गठन किया है.

शिशुओं की मौत की जांच चाहती है कांग्रेस : रविवार को दो बच्चो की मौत की खबर मिलने के बाद छत्तीसगढ़ के पूर्व उपमुख्यमंत्री और पूर्व स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंहदेव ने बिलासपुर जिला अस्पताल का दौरा किया. उन्होंने अस्पताल में एहतियात के तौर पर रखे गए अन्य बच्चों के परिजनों से मुलाकात की और शिशुओं की मौत को बहुत गंभीर मुद्दा बताया. इसके बाद पूर्व डिप्टी सीएम टीएस सिंह देव ने टीकाकरण के बाद शिशुओं की मौत को लेकर जांच की मांग की है. साथ ही उन टीकों के सभी बैचों को एक साथ सील करने की मांग भी की है.

कांग्रेस ने जांच समिति का किया गठन : कांग्रेस पार्टी ने इस घटना की जांच के लिए कोटा विधायक अटल श्रीवास्तव की अध्यक्षता में छह सदस्यीय समिति का गठन किया है. कांग्रेस ने मामले की आधिकारिक जांच की भी मांग की है. बिलासपुर के पूर्व विधायक शैलेश पांडे ने मौतों के लिए टीकाकरण को जिम्मेदार ठहराया है. उन्होंने भाजपा पर इस घटना को लेकर चुप रहने का आरोप भी लगाया है.

मौत का टीके से संबंध से अधिकारियों का इनकार : बिलासपुर जिले के मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. प्रभात श्रीवास्तव ने कहा, "जिले के कोटा ब्लॉक के अंतर्गत पतेटा गांव के आंगनवाड़ी केंद्र में 30 अगस्त को आठ बच्चों का टीकाकरण किया गया था. दो दिन के बच्चे को बीसीजी का टीका लगाया गया था, जिसकी उसी दिन मौत हो गई. जबकि दो महीने के बच्चे को पेंटावेलेंट-1 टीका लगाया गया था, जिसे अगले दिन मृत अवस्था में अस्पताल लाया गया. जिसके बाद उसी गांव के छह अन्य बच्चों को मेडिकल जांच के लिए बिलासपुर जिला अस्पताल लाया गया है.

"टीकाकरण का नवजात शिशुओं की मौत से कोई लेना-देना नहीं है. अन्य सभी बच्चे स्वस्थ हैं और उन्हें कोई परेशानी नहीं है. दोनों बच्चों की मौत टीकाकरण के कारण नहीं हुई. वास्तविक कारण अज्ञात है, क्योंकि नवजात शिशुओं के परिजनों ने पोस्टमार्टम कराने से इनकार कर दिया है. उन्होंने कहा कि संक्रमण और निमोनिया से मौत हो सकती है." - डॉ. प्रभात श्रीवास्तव, सीएमएचओ, बिलासपुर

स्वास्थ्य अधिकारी के मुताबिक, बीसीजी की 5,000 खुराकें एक बैच में प्राप्त हुई थीं, जिनमें से 3,000 खुराकें दी जा चुकी हैं. इसी तरह पेंटावेलेंट वैक्सीन की 10,000 खुराकों में से अब तक 6,000 खुराकें दी जा चुकी हैं. उन्होंने कहा कि दोनों शिशुओं की मौत से पहले या बाद में टीकों के संबंध में कहीं से भी ऐसी कोई शिकायत नहीं मिली है. एहतियात के तौर पर टीके की खेप का इस्तेमाल रोक दिया गया है.

(पीटीआई)

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